अंकारा : तुर्की में सेना के अंसतुष्ट सैनिकों की ओर से तख्तापलट की कोशिश को वफादार सैनिकों और वहां की आवाम द्वारा नाकाम कर दिया गया. शनिवार को राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने कहा कि स्थिति काबू में है और पूरे देश पर नियंत्रण हासिल कर लिया गया है. बता दें कि शुक्रवार की पूरी रात राजधानी अंकारा और इस्तांबुल की सड़कों पर सैनिकों के एक गुट ने टैंक से धमाके किये और हेलीकॉप्टर से गोलीबारी की. दोनों शहरों में रातभर हुई हिंसा के दौरान 265 लोग मारे गये, जबकि 1,440 घायल हो गये. मारे गये लोगों में 104 बागी सैनिक हैं. वहीं, 3000 से अधिक बागी सैनिकों को गिरफ्तार कर लिया गया है और 29 कर्नल व पांच जनरलों को उनके पद से हटा दिया गया है. थर्ड आर्मी के कमांडर जनरल इरदल ओजतुर्क को हिरासत में लिया गया है.
तख्तापलट की कोशिश विद्रोहियों के एफ-जेटों के अंकारा में काफी नीचे तक उतरने के साथ शुरू हुई. सैनिक और टैंक सड़कों पर उतर गये. विद्रोही सैनिक इस्तांबुल में बोसफोरस जलडमरूमध्य पर दो पुलों को अवरूद्व करने के लिए आगे बढ़ गये. हालांकि, लोगों ने विरोधी सैनिकों का मुकाबला किया और टैंक के आगे खड़ा हो गये. वहीं, कुछ लोगों ने तख्तापलट का समर्थन किया. प्रसिद्ध तकसीम स्क्वायर पर भी सैनिकों ने प्रदर्शनकारियों पर गोली चलायी, जिससे कई लोग घायल हो गये. ये लोग तख्तापलट के प्रयास का विरोध कर रहे थे. हालांकि, सेना के किसी अधिकारी ने तख्तापलट की कोशिश की जिम्मेदारी नहीं ली है. लेकिन, राष्ट्रपति एर्दोगन और प्रधानमंत्री बिन अली यिलदिरीम का दावा है कि धर्मगुरु फतहुल्ला गुलेन इसके लिए जिम्मेदार हैं. तख्तापलट समर्थक एक प्रमुख जनरल मारा गया है. इसी बीच, तुर्की ने तख्तापलट की कोशिश में शामिल उन आठ लोगों के प्रत्यर्पण की मांग की, यूनान में सैन्य हेलीकॉप्टर से उतरे. इधर, विश्व नेताओं ने शांति का आह्वान किया है.
गुलेन तख्ता पलट का मास्टरमाइंड : पीएम
तुर्की के प्रधानमंत्री यिलदिरीम ने तख्तापलट के लिए निर्वासित इसलामी धर्मगुरु फतहुल्लाह गुलेन को जिम्मेदार बताया है. उन्होंने कहा कि मौलवी गुलेन के अनुयायियों की तरफ से सरकार के खिलाफ बगावत करने की कोशिश थी. वहीं, राष्ट्रपति एर्दोगन ने गुलेन पर तख्तापलट की साजिश रचने का आरोप लगाया है. हालांकि, गुलेन ने इनकार किया है.
अमेरिका में रहते हैं फतहुल्लाह गुलेन
फतहुल्लाह गुलेन को तुर्की का दूसरा सबसे ताकतवर शख्स है. इसलामी धर्मगुरू फतहुल्लाह गुलेन के तुर्की में लाखों अनुयायी हैं. डेढ़ सौ से ज्यादा देशों में उनके स्कूल हैं और उनका कारोबार अरबों डॉलर का है. वे 90 के दशक से अमेरिका के पेनसिलवीनिया में रह रहे हैं. तुर्की में देश के खिलाफ काम करने के आरोप लगने के बाद वो अमेरिका आ गये थे. गुलेन पहले एर्दोगन के करीबी थे.
तख्तापलट क्यों ?
तुर्की में उथल-पुथल मचानेवाले सैनिकों ने मॉर्शल लॉ और कर्फ्यू की घोषणा की है. खुद को ‘काउंसिल फॉर पीस इन होमलैंड’ कहनेवाले समूह ने बयान जारी कहा कि ‘संवैधानिक व्यवस्था, लोकतंत्र, मानवाधिकार और स्वतंत्रता को बहाल करने के लिए तख्तापलट की शुरुआत की गयी है तथा देश में कानून की सर्वोच्चता बरकरार रहने दें.
2745 जज बरखास्त
तुर्की में देश के शीर्ष अदालत के न्यायाधीश अलपारसलान अलटान को हिंसक तख्तापलट के प्रयास के सिलसिले में शनिवार को गिरफ्तार किया गया. अलटान संवैधानिक अदालत के 17 न्यायाधीशों में से एक हैं. उनकी गिरफ्तारी का कारण नहीं बताया गया है. इससे पहले, न्यायिक अधिकारियों ने कहा कि पूरे देश इस सिलसिले में करीब 2745 जजों को बरखास्त कर दिया गया.
यूनेस्को विश्व धरोहर बैठक स्थगित
यूनेस्को ने तुर्की में हुई तख्तापलट की कोशिश के आलोक में इस्तांबुल की अपनी विश्व धरोहर बैठक शनिवार को अगले आदेश तक निलंबित कर दी. पिछले शनिवार को शुरू हुई यूनेस्को की बैठक यह निर्णय ले रही थी कि दुनियाभर में फैले 29 स्थलों को विश्व धरोहर संरक्षण प्रदान किया जाये या नहीं.
तुर्की में 148 भारतीय बच्चे, 38 अधिकारी सुरक्षित: सुषमा
तुर्की में विश्व स्कूल खेल प्रतियोगिता में भाग लेने गये सभी 148 भारतीय बच्चे और 38 अधिकारी सुरक्षित हैं. यह जानकारी विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने यहां दी. सुषमा ने ट्वीट किया, ‘तुर्की के ट्रापजोन में 148 भारतीय बच्चे और 38 अधिकारी हैं. ये सभी सुरक्षित हैं.’ उन्होंने लिखा, ‘खेल चल रहे हैं. ये (खिलाड़ी और अधिकारी) 18 जुलाई से समूह में लौटना शुरू कर देंगे.’ भारत तुर्की में घटनाक्रम पर करीब से निगाह रखे है और उसने अपने देशवासियों को वहां हालात ठीक होने तक बाहर नहीं निकलने की सलाह दी है. भारतीय दूतावास ने भारतीयों की सहायता के लिए अंकारा में (प्लस 905303142203) और इस्तांबुल (प्लस 905305671095) में आपात हेल्पलाइन भी बनायी है.
चुनी गयी सरकार के समर्थन में अमेरिका
अमेरिका ने तुर्की की लोकतांत्रिक रूप से चुनी गयी सरकार को पूरा समर्थन दे दिया है. तुर्की नाटो में अमेरिका का खास सहयोगी है. अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने विदेश सचिव जॉन कैरी से फोन पर तुर्की के हालात जाने. व्हाइट हाउस ने कहा है कि तुर्की में सभी पक्षों को सरकार का समर्थन करना चाहिए.