।। दक्षा वैदकर।।
कार्यालय में ऐसे लोग आपने जरूर देखें होंगे, जो बॉस से कहते हैं कि बस आप एक बार मेरी सैलरी बढ़ा दें, फिर देखें मैं कितना काम कर के दिखाता हूं.. या वे कहते हैं कि आप एक बार मुङो सेल्स मैनेजर बना के तो देखें, मैं साबित कर दूंगा कि मैं मौजूदा सेल्स मैनेजर से बेहतर काम कर सकता हूं. वे यह भी वाक्य जोड़ते हैं कि मैं जिस तरह का काम आपकी कंपनी के लिए करना चाहता हूं, दरअसल उसके लिये मेरा प्रभारी बनना बेहद जरूरी है. कुछ बच्चे अपने टीचर से कहते हैं कि मैम प्लीज, इस बार तिमाही परीक्षा में मुङो पास कर दें वरना घर पर पिटाई होगी. मैं वादा करता हूं कि इसके बाद वाली परीक्षा में मैं अच्छे नंबर ला कर दिखाऊंगा.
दरअसल ये लोग किसी और से नहीं बल्कि अपने आप से ही झूठ बोलते हैं. क्योंकि जो शर्त वह रख रहे हैं, वह ठीक नहीं है. एक तरह से वे कह रहे हैं कि ‘आप पहले हमें पुरस्कृत करें, फिर हम परफॉर्म कर के दिखायेंगे’. यह नियम ही गलत है. पुरस्कार पाने के लिए पहले आपको मेहनत करनी होगी. बिना मेहनत के पुरस्कार कभी, किसी को नहीं दिया जाता.
अगर आप सुबह 11 बजे ऑफिस आते हैं और पूरा काम बड़ी ईमानदारी, एकनिष्ठा, उत्साह के साथ कर शाम छह बजे घर जाते हैं, तो आप अपनी नौकरी को स्थिर रखते हैं. इस तरह आपको न कोई डांटेगा, न ही आपकी सैलरी कटेगी, न ही आपको अचानक नौकरी से निकाला जायेगा (यदि मंदी का दौर न हो तो). लेकिन अगर आप चाहेंगे कि आपकी सैलरी बढ़ायी जाये, आपको प्रमोशन मिले, तो इसके लिए आपको अतिरिक्त काम, अतिरिक्त ईमानदारी, अतिरिक्त एकनिष्ठा, अतिरिक्त उत्साह के साथ करना होगा.
याद रहे कि आपका नियोक्ता आपको हमेशा और धन देने के लिए इच्छुक होता है, लेकिन वह एक व्यापारी है और व्यापार चलाता है, कोई धर्मार्थ संस्था नहीं. उसके द्वारा आपको और अधिक सैलरी दिये जाने के लिए, आपको खुद को उसके लिए और अधिक मूल्यवान बनाना चाहिए. आप ऐसा अतिरिक्त प्रयास, अतिरिक्त एकनिष्ठा, अतिरिक्त उत्साह और अतिरिक्त कार्य समय एवं जिम्मेवारियों को वहन कर के कर सकते हैं.
बात पते कीः
-ये कदम बुरे दिनों में आपकी नौकरी बचाने की और अच्छे दिनों में वेतन बढ़ाने व पदोन्नति की गारन्टी देते हैं. ऐसा कर के तो देखें एक बार.
-सैलरी हाथ में आये इसके लिये जितना काम मिले, उसे करना तो जरूरी है ही. लेकिन अगर सैलरी बढ़ाना चाहते हैं, तो ज्यादा काम करना ही होगा.