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स्टार्ट अप : 10,000 करोड़ रुपये के ‘फंड्स ऑफ फंड’ को मंजूरी
बढ़ेगी स्टार्टअप इंडिया की रफ्तार ‘स्टार्टअप इंडिया’ मुहिम को गति देने के लिए केंद्र सरकार अपनी पूर्व की घोषणाओं को अमलीजामा पहनाने में जुट गयी है. पिछले दिनों 10,000 करोड़ रुपये के ‘फंड्स ऑफ फंड’ के गठन को सरकार की मंजूरी मिलने से आगामी कुछ वर्षों में देश में रोजगार के 18 लाख नये अवसर […]
बढ़ेगी स्टार्टअप इंडिया की रफ्तार
‘स्टार्टअप इंडिया’ मुहिम को गति देने के लिए केंद्र सरकार अपनी पूर्व की घोषणाओं को अमलीजामा पहनाने में जुट गयी है. पिछले दिनों 10,000 करोड़ रुपये के ‘फंड्स ऑफ फंड’ के गठन को सरकार की मंजूरी मिलने से आगामी कुछ वर्षों में देश में रोजगार के 18 लाख नये अवसर पैदा होने की उम्मीद है.
इस बीच विशेषज्ञों का मानना है कि भारत में अभी 10,000 स्टार्टअप्स खड़े होने की क्षमता है. क्या है स्टार्टअप इंडिया पहल और इसका एक्शन प्लान, केंद्र सरकार द्वारा स्टार्टअप्स को कैसे दी जायेगी मदद, किन राज्यों में स्टार्टअप्स को मिल रहा है बेहतर माहौल और क्या हैं इसकी राह में प्रमुख चुनौतियां आदि जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं पर नजर डाल रहा है यह आलेख…
केंद्र सरकार ने स्टार्टअप्स (नव-उद्यमों) की मदद के लिए 10,000 करोड़ रुपये के ‘फंड्स आॅफ फंड’ (एफएफएस) के गठन को मंजूरी दी है. यह राशि 14वें और 15वें वित्त आयोग के कार्यकाल में खर्च की जायेगी. इस कोष में वित्त वर्ष 2015-16 में 500 करोड़ रुपये दिये गये हैं, जबकि 2016-17 में 600 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है. उम्मीद जतायी गयी है कि इससे स्टार्टअप उद्यमों के लिए स्थायी धन स्रोत उपलब्ध होगा और आगामी कुछ वर्षों में देश में 18 लाख रोजगार सृजित होंगे.
स्टार्टअप्स के लिए फंड्स ऑफ फंड का गठन केंद्र सरकार द्वारा इसी वर्ष जनवरी में शुरू की गयी ‘स्टार्टअप इंडिया’ की कार्ययोजना के तहत किया गया है. यह कोष भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) में होगा. यह सेबी (सिक्योरिटीज एंड एक्सचेंज बोर्ड ऑफ इंडिया) के पास रजिस्टर्ड वैकल्पिक निवेश कोषों यानी अल्टरनेटिव इनवेस्टमेंट फंड्स (एआइएफ) में योगदान करेगा. एफएफएस की रोजाना की गतिविधियों के संचालन और प्रबंधन के लिए सिडबी की विशेषज्ञता का इस्तेमाल किया जायेगा. औद्योगिक नीति और संवर्धन विभाग ‘स्टार्टअप इंडिया’ कार्ययोजना के अनुरूप इस कार्य की समीक्षा करेगा. सरकार ने 10,000 करोड़ रुपये के इस फंड से आगामी वर्षों में करीब 60,000 करोड़ रुपये का इक्विटी निवेश और इससे दोगुना डेट इन्वेस्टमेंट हासिल होने की उम्मीद जतायी है.
आगामी दशक में 10,000 स्टार्टअप्स की संभावना
भारत में बड़े पैमाने पर रोजगार के अवसर पैदा करने के लिए स्टार्टअप्स के माध्यम से इनोवेटिव आइडिया को अमलीजामा पहनाने और उसे कारोबारी मौके में बदलते हुए इसमें तेजी लाने की जरूरत है. उद्यम पूंजी के बारे में एक विशेषज्ञ समिति ने कहा है कि भारत में अगले दस वर्षों में उच्चस्तरीय 2500 कारोबार स्थापित करने की क्षमता है और इसमें सफलता के लिए 10 हजार स्टार्टअप्स फैलाने की जरूरत होगी.
विदेशी उद्यम पूंजी कोष से
मिल रही मदद
कई सफल स्टार्टअप्स को विदेशी उद्यम पूंजी कोषों ने रकम मुहैया करायी है और कई स्टार्टअप ऐसी रकम हासिल करने के लिए देश से बाहर जाने के प्रयास में हैं. उम्मीद की जा रही है की ‘फंड्स आॅफ फंड’ यानी एक खास कोष बनाने से इनोवेटिव स्टार्टअप्स को पूंजी हासिल करने में आ रही मुश्किलें कम होंगी और देश में ही उनकी समस्याओं का समाधान हो सकेगा.
‘स्टार्टअप इंडिया’ पहल
भारत में उद्यमिता को प्रोमोट करते हुए इसे दुनिया के स्टार्टअप हब के रूप में विकसित करना है मकसद.
15 अगस्त, 2015 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले से देश के नाम संबोधन में की थी ‘स्टार्टअप इंडिया’ की घोषणा.
16 जनवरी, 2016 को वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय के तहत इसे औपचारिक रूप से लॉन्च किया गया.
‘स्टार्टअप इंडिया’ एक्शन प्लान
– स्टार्टअप के लिए सेल्फ-सर्टिफिकेशन सिस्टम होगा. शुरू के तीन वर्ष तक किसी भी स्टार्टअप के निरीक्षण के लिए कोई अधिकारी नहीं जायेगा.
– बायोटेक्नोलॉजी को बढ़ावा देने के लिए सात नये रिसर्च शुरू करने की तैयारी. इन्क्यूबेशन को बढ़ावा देने की भी तैयारी.
80 फीसदी तक पेटेंट रजिस्ट्रेशन शुल्क में कमी लाने की घोषणा की गयी इस स्कीम को कामयाब बनाने के लिए.
3 वर्षों तक दी जायेगी स्टार्टअप्स को कैपिटल गेन टैक्स से छूट यानी यदि आप संपत्ति बेच कर स्टार्टअप में पैसा लगायेंगे, तो उसमें छूट मिलेगी.
3 वर्षों तक दी जायेगी स्टार्टअप्स को मुनाफे में टैक्स से छूट. महिलाओं के लिए खास इंतजाम.
5 लाख स्कूलों में देशभर में बच्चों में इनाेवेशन प्रोग्राम को शुरू करने की है योजना.
स्टार्टअप्स को वित्तीय मदद
500 करोड़ रुपये दिये गये फंड्स ऑफ फंड में 2015-16 के दौरान.
600 करोड़ रुपये आवंटन का प्रावधान एफएफएस में वित्त वर्ष 2016-17 के लिए.
विदेश से मिलनेवाली मदद
2 अरब डाॅलर का निवेश किया है जापान के सॉफ्ट बैंक ने भारतीय स्टार्टअप्स में.
10 अरब डॉलर का कुल निवेश किया गया है भारतीय स्टार्टअप्स में अब तक जापान के संगठनों द्वारा.
स्टार्टअप्स के लिहाज से िवभिन्न
राज्यों का मूल्यांकन
– स्टार्टअप्स के जानकारों का मानना है कि दक्षिण भारतीय राज्यों- कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना- में स्टार्टअप को शुरू करने के लिए बेहतर सरकारी नीतियां हैं और अच्छा माहौल मिल रहा है.
– बेंगलुरू को भारत की सिलिकन वैली के रूप में पहचाना जाने लगा है.
– केरल सरकार ने केरल आइटी मिशन के तहत स्टार्टअप पॉलिसी का गठन किया है, जिसमें राज्य में स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए 50 अरब के निवेश पर फोकस किया गया है.
– तेलंगाना ने देश का सबसे बड़ा इन्क्यूबेशन सेंटर लॉन्च किया है.
स्टार्टअप्स की चुनौतियां
देश में स्टार्टअप्स के सामने चुनौतियां कम नहीं हैं. जानकारों के मुताबिक, कुछ प्रमुख चुनौतियां इस प्रकार हैं-
– घरेलू जोखिम पूंजी की सीमित उपलब्धता.
– बैंकों से पारंपरिक तौर पर मिलनेवाले लोन की राह में व्यवधान.
– जरूरी सूचनाओं को एकत्रित करने की असमर्थता.
– क्रेडिट एजेंसियों से पूरी मदद नहीं मिल पाना.
स्टार्टअप क्लास : स्टार्टअप शुरू करने से पहले जानें कुछ जरूरी बातों को
दिव्येंदु शेखर
सरकार की ओर से स्टार्टअप को बढ़ावा दिये जाने के कारण आज अनेक युवा अपना उद्यम शुरू करना चाहते हैं. ऐसे ही कुछ युवाओं की आरंभिक जानकारियों को पुख्ता करते हुए इनकी आगे बढ़ने की राह आसान बनाने में सहयोग दे रहे हैं दिव्येंदु शेखर. कुछ बड़ी ग्लोबल फाइनेंशियल और कंज्यूमर कंपनियों में ये काम कर चुके हैं. फिलहाल ये ग्लोबल कॉरपोरेशंस और स्टार्टअप्स को ई-कॉमर्स और फाइनेंशियल प्लानिंग में सुझाव देते हैं. प्रस्तुत हैं इनसे किये गये कुछ चुनिंदा सवाल और उनके जवाब :
– स्टार्टअप शुरू करने से पहले किन बातों का ध्यान रखना चाहिए?
एक अच्छा स्टार्टअप तभी बन पाता है, जब उसकी नींव मजबूत हो. इसके लिए आपको निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए.
प्रोडक्ट : आप जो चीज बना रहे हैं या जो सर्विस दे रहे हैं, क्या उसकी बाजार में जरूरत है! अगर है तो क्या वह पहले से मौजूद है?
अगर आप किसी ऐसे प्रोडक्ट को ला रहे हैं, तो ये ध्यान रखें कि आपका प्रोडक्ट पिछले प्रोडक्ट से काफी बेहतर हो!
टीम : आपकी टीम आपके सफलता या असफलता का सबसे बड़ा कारण होती है! आपकी टीम आपके जितनी ही समझदार और मेहनती होनी चाहिए.
पैसा : आपके पास कम से कम इतना पैसा हो कि आप पांच से छह महीने तक बिना किसी चिंता के अपना काम चला सकें! इसके लिए सबसे पहले उस पैसे का इंतजाम करें.
– शुरुआती दौर में स्टार्टअप को वित्तीय मदद कहां-कहां से मिल सकती है?
पिछले कुछ दिनों में सरकार ने स्टार्टअप को बढ़ावा देने के लिए काफी योजनाएं बनायी हैं. स्टार्टअप इंडिया अभियान के अंतर्गत सरकार ऐसे उद्यम को आर्थिक सहायता भी प्रदान कर रही है. बहरहाल किसी भी प्रकार की सहायता से पहले आपको कुछ रकम का इंतजाम खुद करना पड़ता है. इस रकम से शुरुआती खर्चों को पूरा किया जाता है.
– इनक्यूबेटर्स का क्या अर्थ होता है?
इन्क्यूबेटर एक ऐसी संस्था या संस्थान होता है, जो स्टार्टअप्स को शुरुआती मदद उपलब्ध कराता है. यह मदद ज्यादातर ऑफिस, तकनीक तथा ट्रेनिंग के तौर पर मिलती है. कुछ इन्क्यूबेटर थोड़ी बहुत वित्तीय मदद भी देते हैं. इन्क्यूबेटर ऐसे स्टार्टअप्स को लेते हैं, जो काफी शुरुआती अवस्था या फिर बस एक बिजनेस आइडिया के स्टेज पर होते हैं.
– स्टार्टअप्स को प्रोमोट करने में इन्क्यूबेशन सेंटर्स की क्या भूमिका होती है?
एक अच्छा इन्क्यूबेटर स्टार्टअप को खड़ा करने में काफी मददगार होता है. खासकर ऐसे स्टार्टअप, जहां शुरुआत में तकनीकी रिसर्च और डेवलपमेंट की जरूरत हो. उद्यमी को ऐसी जगहों पर अच्छी गाइडेंस के साथ साथ सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर सपोर्ट भी मिलता है, जो उनको अपने उद्यम को जल्दी खड़ा करने में मददगार होता है. इन्क्यूबेटर आपको अच्छे निवेशकों से भी मिलवाते हैं, जो आपको निवेश का अच्छा मौका दिला सकते हैं.
– बी-टू-बी और बी-टू-सी का तात्पर्य क्या है?
बी-टू-बी का मतलब होता है- बिजनेस टू बिजनेस और बी-टू-सी का मतलब होता है बिजनेस टू कंज्यूमर. बी-टू-बी ऐसे उद्यम होते हैं, जहां आपके प्रोडक्ट दूसरे बिजनेस के काम आते हैं. इनका डायरेक्ट कस्टमर से काम नहीं पड़ता! इसका उदाहरण है ऑटो कंपोनेंट या इआरपी सॉफ्टवेयर. बी-टू-सी डायरेक्ट एंड कस्टमर को बेचे जाते हैं और इसका उदाहरण है कार, वाशिंग पाउडर आदि.
विदेश से मिलनेवाली मदद
2 अरब डाॅलर का निवेश किया है जापान के सॉफ्ट बैंक ने भारतीय स्टार्टअप्स में.
10 अरब डॉलर का कुल निवेश किया गया है भारतीय स्टार्टअप्स में अब तक जापान के संगठनों द्वारा.
स्टार्टअप्स के लिहाज से िवभिन्न
राज्यों का मूल्यांकन
– स्टार्टअप्स के जानकारों का मानना है कि दक्षिण भारतीय राज्यों- कर्नाटक, केरल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना- में स्टार्टअप को शुरू करने के लिए बेहतर सरकारी नीतियां हैं और अच्छा माहौल मिल रहा है.
– बेंगलुरू को भारत की सिलिकन वैली के रूप में पहचाना जाने लगा है.
– केरल सरकार ने केरल आइटी मिशन के तहत स्टार्टअप पॉलिसी का गठन किया है, जिसमें राज्य में स्टार्टअप इकोसिस्टम के लिए 50 अरब के निवेश पर फोकस किया गया है.
– तेलंगाना ने देश का सबसे बड़ा इन्क्यूबेशन सेंटर लॉन्च किया है.
स्टार्टअप्स की चुनौतियां
देश में स्टार्टअप्स के सामने चुनौतियां कम नहीं हैं. जानकारों के मुताबिक, कुछ प्रमुख चुनौतियां इस प्रकार हैं-
– घरेलू जोखिम पूंजी की सीमित उपलब्धता.
– बैंकों से पारंपरिक तौर पर मिलनेवाले लोन की राह में व्यवधान.
– जरूरी सूचनाओं को एकत्रित करने की असमर्थता.
– क्रेडिट एजेंसियों से पूरी मदद नहीं मिल पाना.
डाटा & फैक्ट्स
गठन के सालभर में बिलियन डॉलर तक पहुंचनेवाले दुनिया के टॉप 10 स्टार्टअप
मूल्य स्टार्टअप
2.56 वेबन ग्रुप
2.46 पिनटेरेस्ट
2.43 हांगजू कुवैदी टेक्नोलॉजी
2.32 ट्विटर
2.28 येलो मोबाइल
2.02 केलिएंट टेक्नोलॉजीज
1.71 जिओमी टेक्नोलॉजी
1.58 एकेमाइ टेक्नोलॉजी
1.46 ग्रूपोन
1.25 स्लैक
कामयाबी की राह
स्टार्टअप के लिए हर पल को बनाये उपयोगी
स्टार्टअप की शुरुआत के लिए जितना जरूरी निर्धारित किये गये प्लान के अनुसार काम करना है, उतना ही जरूरी स्टार्टअप को ज्यादा-से-ज्यादा समय देना भी है. शुरुआती दौर में आपको स्टार्टअप को स्थापित करने के लिए कई कार्यों पर ध्यान देना होता है. ऐसे में कुछ बातों पर ध्यान देकर आप अपने दिन को और ज्यादा उपयोगी बना सकते हैं
– वर्किंग मूड को पहचानें : अकसर लोग सुबह के समय खुद को ऊर्जा से भरपूर महसूस करते हैं. वहीं कुछ लोग सुबह के बजाय शाम के वक्त ज्यादा फोकस होकर काम करने की खूबी रखते हैं. काम को बेहतर तरीके से अंजाम देने के लिए आप अपने वर्किंग मूड को पहचानें और कार्यों को अपने प्रोडक्टिव समय के अनुसार करने की प्लानिंग करें. किसी भी काम को बेमन से न करें, वरना इसमें आपका वक्त और पैसे दोनों जाया हो सकते हैं.
– तैयार करें कार्यों की सूची : बेहतर होगा कि आप रात में कुछ देर का वक्त निकाल कर अगले दिन के कार्यों की एक लिस्ट तैयार कर लें. ऐसा करने से आपको एक ही दिन में ज्यादा-से-ज्यादा कार्यों को वक्त पर खत्म करने में सहूलियत होगी. साथ ही यह लिस्ट कार्यों को उनकी प्राथमिकता के हिसाब से खत्म करने में भी सहायक होगी.
– प्लानिंग की आदत : पहले से की गयी प्लानिंग न सिर्फ आपकी प्रोडक्टिविटी को बढ़ायेगी, बल्कि इससे आपको काम के बीच में आनेवाली रुकावटों का अंदाजा भी पहले से हो जायेगा. जाहिर है आप पहले से अपने स्टार्टअप के काम के बीच आनेवाली रुकावटों के बारे में जान जायेंगे और समय रहते उन्हें दूर करने का रास्ता भी ढूंढ़ पायेंगे.
– एक रूट, ज्यादा काम : जब भी आपको किसी क्लाइंट से मिलने जाना हो, तो बेहतर होगा कि आप बाहर जाने से पहले यह भी चेक कर लें कि क्लाइंट से मिलने के अलावा आप उस रूट पर और किन-किन कार्यों को खत्म कर सकते हैं. ऐसा करने से आपको एक ही रूट पर बार-बार नहीं जाना पड़ेगा और आप एक साथ कई कार्यों को खत्म कर पायेंगे. जाहिर है, इससे आपका वक्त भी बचेगा.
– फोन रिमाइंडर : आप स्टार्टअप से जुड़े किसी काम को वक्त पर खत्म करना भूल न जाएं, इसके लिए अपने फोन पर रिमाइंडर भी सेट कर सकते हैं. स्टार्टअप के शुरुआती दौर में कम समय में लोगों को ज्यादा-से-ज्यादा काम करना होता है, ऐसे में रिमाइंडर आपको काम की याद दिलाता रहेगा. साथ ही वक्त पर हर काम को खत्म करने से आप नुकसान से
भी बच सकेंगे.
– प्राची
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