14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

रोबोट्स के बढ़ते इस्तेमाल से 2020 तक 50 लाख जाॅब्स पर खतरा

इक्कसवीं सदी के आरंभिक दौर में जब दुनियाभर में अनेक क्षेत्रों में कंप्यूटर का इस्तेमाल शुरू हुआ, तब आशंका के विपरीत नौकरियों की बाढ़ सी आ गयी. लेकिन, उसी समय अनेक विशेषज्ञों ने यह भी भांप लिया था कि आनेवाले समय में इनसानी कामगारों के लिए यह खतरा साबित हो सकता है. आज दुनिया उस […]

इक्कसवीं सदी के आरंभिक दौर में जब दुनियाभर में अनेक क्षेत्रों में कंप्यूटर का इस्तेमाल शुरू हुआ, तब आशंका के विपरीत नौकरियों की बाढ़ सी आ गयी. लेकिन, उसी समय अनेक विशेषज्ञों ने यह भी भांप लिया था कि आनेवाले समय में इनसानी कामगारों के लिए यह खतरा साबित हो सकता है.
आज दुनिया उस मुहाने पर पहुंच चुकी है, जब चीन समेत अनेक देशों में इनसानी कामगारों को हटा कर कंप्यूटर और रोबोट के माध्यम से अनेक कार्य निपटाये जा रहे हैं. भविष्य में जॉब्स पर इनके कब्जे की आशंका और ज्यादा बढ़ गयी है. इस संबंध में क्या है मौजूदा स्थिति और क्या-क्या जतायी जा रही हैं आशंकाएं, नजर डाल रहा है यह आलेख.
दुनियाभर में तकनीकी उत्थान के बीच इनसानों के लिए जॉब की समस्या का दौर भी शुरू हो चुका है. एप्पल और सैमसंग जैसी कंपनियों को सामान सप्लाइ करनेवाली कंपनी फॉक्सकॉन में चीन में इनसानी कामगारों की जगह रोबोट के बढ़ते इस्तेमाल के कारण अब तक करीब 60,000 कामगारों को हटाया जा चुका है. ‘द साउथ चाइना मॉर्निंग पोस्ट’ की रिपोर्ट के मुताबिक, कुछ साल पहले इस कंपनी में इनसानी कामगारों की संख्या 1,10,000 थी, लेकिन रोबोट के इस्तेमाल के बाद अब इनकी संख्या मात्र 50,000 रह गयी है. चीन के स्थानीय सरकारी अधिकारी के हवाले से इस रिपोर्ट में बताया गया है कि कई अन्य कंपनियां भी इस राह पर आगे बढ़ चुकी हैं.
एक सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक, ताइवान की 35 कंपनियों ने पिछले एक साल के दौरान आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस को बढ़ावा देने के लिए करीब चार अरब युआन (करीब 60 करोड़ डॉलर) की रकम खर्च की है. रोबोट को कामगारों के तौर पर विकसित करने के लिए चीन में सबसे ज्यादा निवेश किया जा रहा है. फॉक्सकॉन टेक्नोलॉजी ग्रुप के हवाले से रिपोर्ट में कहा गया है कि निर्माण की प्रक्रिया के दौरान संचालन संबंधी ज्यादातर कार्य इसके माध्यम से हो रहे हैं.
हालांकि, इससे लॉन्ग टर्म जाॅब लॉस की आशंका से फिलहाल इनकार किया गया है. कंपनी के एक अधिकारी का कहना है, ‘रोबोटिक्स इंजीनियरिंग और इनोवेटिव मैन्युफैक्चरिंग टेक्नोलॉजीज को हम केवल उन्हीं कार्यों के लिए इस्तेमाल में ला रहे हैं, जिनमें एक ही तरीके का काम बार-बार निपटाया जाता है. इन कार्यों में लगे इनसानी कामगारों को ट्रेनिंग देकर रिसर्च, डेवलपमेंट, प्रोसेस कंट्रोल और क्वालिटी कंट्रोल जैसे उच्च गुणवत्ता वाले कार्यों में लगाया जायेगा.’
अर्थशास्त्रियों की चेतावनी
उत्पादन में बढ़ता ऑटोमेशन किस तरह जाॅब मार्केट को प्रभावित कर रहा है, इस संदर्भ में अर्थशास्त्रियों ने चेताया है. ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के सहयोग से डेलॉइट द्वारा तैयार एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए अर्थशास्त्रियों ने आशंका जतायी है कि अगले 20 वर्षों में 35 फीसदी नौकरियां खत्म हो सकती हैं. मैकडोनाल्ड के पूर्व चीफ एग्जीक्यूटिव एड रेंजी का कहना है कि मजदूरी की दरों में बढ़ोतरी होने के कारण कंपनियों का रुझान रोबोट कामगारों की ओर बढ़ा है. अमेरिका के एक फॉक्स बिजनेस प्रोग्राम के दौरान हाल ही में उन्होंने कहा है कि मजदूरी की दर बढ़ जाने के कारण ज्यादातर कंपनियां रोबोट को प्राथमिकता दे रही हैं.
रोबोट से रिप्लेस होनेवाले प्रमुख जाॅब्स
फार्मास्यूटिकल्स : भविष्य में आपको दवा की दुकानों पर रोबोट बैठे दिख सकते हैं. यूसीएसएफ मेडिकल सेंटर ने हाल ही में अपने दो अस्पतालों में ऑटोमेटेड व रोबोटिक्स-नियंत्रित फार्मेसी की शुरुआत की है. मेडिकल स्टोर पर जैसे ही कंप्यूटर दवा की परची के जरिये ऑर्डर लेता है, रोबोट उसी के अनुरूप दवाओं को खोज कर निकालता है और सभी की पैकेजिंग करके ग्राहक को मुहैया कराता है. इतना ही नहीं, मरीज के डोज के हिसाब से वह उसे अलग-अलग रूप से पैक भी करता है. अस्पताल के अन्य कई कार्यों में भी ऑटोमेटेड सिस्टम का इस्तेमाल होने लगा है.
लॉयर्स एंड पारालीगल्स : वकील समेत कई अन्य पेशे में बड़ी मात्रा में दस्तावेजों को खंगाला जाता है और उनकी समीक्षा की जाती है. इस तरह के काम की लागत ज्यादा आती है. ऐसे में यदि इसे सॉफ्टवेयर के जरिये निबटाया जाये, तो समय और लागत दोनों में कमी आयेगी. ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ की रिपोर्ट के मुताबिक, एक ऐसे सॉफ्टवेयर का विकास किया गया है, जिसकी मदद से महज एक लाख डॉलर के खर्च पर 15 लाख दस्तावेजों का विश्लेषण किया जा सकता है.
ड्राइवर : गूगल ने एक ड्राइवरलेस कार को विकसित किया है और उसका प्रायोगिक परीक्षण आखिरी चरण में है. गूगल के ड्राइवरलेस कार प्रोजेक्ट अल्फाबेट के सीइओ जाॅन क्रेफकिक ने इसी सप्ताह घोषणा की है कि मिशिगन के निकट डेट्रॉएट में लोगों के समक्ष जल्द ही इसे प्रदर्शित किया जायेगा. खबरों के मुताबिक, गूगल के अलावा ऑटोमोटिव सेक्टर की अन्य बड़ी कंपनियों में शामिल टेसला मोटर्स, जनरल मोटर्स, डेमलर, वोल्वो, फोर्ड, जगुआर लैंड रोवर, ऑडी और बीएमडब्ल्यू जैसी कंपनियां भी इस दिशा में आगे बढ़ रही हैं.
अंतरिक्ष यात्री : जनरल मोटर्स के पार्टनरशिप में नासा का रोबोनॉट2 इसका हालिया उदाहरण कहा जा सकता है. इसके तहत भयावह दिखनेवाले और सेंसरयुक्त पांच हाथोंवाले एक ऐसे रोबोट को विकसित किया गया है, जो स्पेस स्टेशन पर अनेक कार्यों को निपटाने में सक्षम है.
इसे वहां पर सहायकों के तौर पर तैनात किया जायेगा. नासा को उम्मीद है कि आनेवाले समय में इनका इस्तेमाल अंतरिक्ष में विचरण के लिए किया जा सकता है.
स्टोर क्लर्क्स : आपने आखिरी बार बैंक जाकर नकदी कब निकाली थी? काफी अरसे पहले यानी पिछले कई सालों से आप अक्सर एटीएम जाकर ही नकदी निकाल रहे हैं. निश्चित रूप से एटीएम ने बैंक में कर्मचारी की जरूरतों को कम किया है. इसी तरह से आनेवाले समय में कंपनियों में चेकआउट क्लर्क्स के कार्यों का निपटारा रोबोट के माध्यम से होगा. खासकर चेन सिस्टम में होनेवाले ज्यादातर काम रोबोट के जरिये कम समय और लागत में हो सकते हैं. सेल्फ-सर्विस मशीनों के जरिये निपटाये जानेवाले कार्यों में साल-दर-साल लगातार बढ़ोतरी हो रही है.
सैनिक : रोबोट, ड्रोन और अन्य अत्याधुनिक हथियारों के विकास के साथ संख्याबल में सैनिकों की जरूरत कम होती जा रही है. अनेक देशों की सेनाओं में इनकी संख्या बढ़ रही है और मानवीय सैनिकों की संख्या कम हो रही है. उदाहरण के तौर पर इराक में मॉड्यूलर एडवांस्ड आर्म्ड रोबोटिक सिस्टम का व्यापक पैमाने पर इस्तेमाल किया गया. इन रोबोट की मॉनीटरिंग जीपीएस के माध्यम से की गयी. इसे इस तरह से प्रोग्राम किया गया है, ताकि यह फायर और नॉन-फायर जोन को आसानी से समझ सके और अपने निर्धारित मकसद को अंजाम दे सके.
बचावकर्मी : किसी प्राकृतिक या मानव-जनित आपदा की दशा में उस स्थान पर राहत अभियान के दौरान बचावकर्मियों को अनेक दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इसलिए एक ऐसे रोबोट का विकास किया गया है, जो आसानी से आपदा स्थल तक पहुंच सके और वहां पर फंसे हुए लोगों को बाहर निकालने में मदद कर सके. जापान के तोहोकु यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिकों ने सांप की तरह जमीन पर रेंगनेवाले रोबोट को विकसित किया है. किसी ध्वस्त इमारत के भीतर ये रोबोट आसानी से घुस सकते हैं और इनमें लगे कैमरे के जरिये सर्च अभियान को कामयाब बनाया जा सकता है.
खेती में भी बढ़ रहा रोबोट का इस्तेमाल
खेती में भी रोबोट का इस्तेमाल शुरू हो चुका है और आशंका जतायी जा रही है कि यह किसानों के काम को रिप्लेस कर सकता है. ‘मिरर डॉट को डॉट यूके’ की एक रिपोर्ट में खेती के लिए खास तौर से विकसित किये गये ‘फार्मबोट्स’ नामक एक रोबोट को इनसानी कामगारों के मुकाबले ज्यादा सस्ता बताया गया है. ऑस्ट्रेलिया में इसकी मदद से मवेशियों पर निगाह रखी जा रही है. ऑस्ट्रेलिया में बड़े चारागाह वाले इलाकों में मवेशियों पर निगाह रखना मुश्किल काम माना जाता है. रोबोट के जरिये यह काम आसान हो गया है.
सेंसरों के माध्यम से यह रोबोट मवेशियों के शरीर के तापमान समेत उनके भीतर अन्य प्रकार की शारीरिक गड़बड़ियों को समझ जाता है. इससे संबंधित आशंकाओं के बारे में सिडनी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर सालेह सुकारेह का कहना है कि इनसानी कामगारों की कमी के चलते किसान इस रोबोट का इस्तेमाल करते हैं. उम्मीद जतायी गयी है कि दुनियाभर में खेती के श्रमिकों की कमी के बीच रोबोट से खेती की लागत में कमी आयेगी. श्रमिकों की मजदूरी ज्यादा होने के कारण खेती के कार्यों में इसे अपनाया जा रहा है.
इनसानी कामगार से सस्ता रोबोट
अमेरिका में ज्यादातर जोखिम भरे और बोझिल कार्यों को रोबोट के जरिये महज 15 डॉलर प्रति घंटे की दर से निपटाया जा सकेगा. 20 वर्षों से ज्यादा समय तक बिजनुस एक्जीक्यूटिव और उद्यमी रह चुके ओलिवर मिशेल ने ‘रोबोटिक्स ट्रेंड्स’ की एक रिपोर्ट में रोबोट का जबरदस्त तरीके से डिफेंड किया है.
ज्यादातर आर्थिक विशेषज्ञों की उन आशंकाओं को उन्होंने जायज नहीं ठहराया है, जिनमें रोबोट का उभार इनसानी कामगारों के लिए खतरनाक बताया जा रहा है. इसके लिए उन्होंने एक उदाहरण भी दिया है. वर्ष 1969 में न्यूयॉर्क में एक बैंक ने जब एटीएम की शुरुआत की थी, तो आर्थिक मामलों के विशेषज्ञों ने आशंका जतायी थी कि इससे बैंक की नौकरियां खतरे में पड़ सकती हैं. लेकिन, वास्तविकता यह है कि बैंकों की शाखाएं निरंतर बढ़ रही हैं.
हालांकि, अनेक ऐसे कार्य हैं, जिनमें इनसानी कामगारों के मुकाबले रोबोट से काम लेना ज्यादा सस्ता है. रिपोर्ट के मुताबिक, मैकडोनाल्ड के पूर्व सीइओ एड रेंजी का कहना है कि रेस्टोरेंट में काम करनेवाले कर्मचारी के तौर पर 35,000 डॉलर की लागत का एक रोबोट इनसानी कामगार से ज्यादा सस्ता है.
इन्हें भी जानें
रोबोट से 98 फीसदी तक रिप्लेस होनेवाले जॉब्स
वि भिन्न कार्यों पर रोबोट का कितना असर होगा, इस संबंध में ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी इंजीनियरिंग साइंस डिपार्टमेंट और ऑक्सफोर्ड मार्टिन प्रोग्राम ने एक अध्ययन किया है. इसमें 700 से अधिक प्रकार के जॉब्स पर ऑटोमेशन का कितना असर होगा, इसका आकलन किया गया है.
साथ ही इसमें यह भी बताया गया है कि बहुत से ऐसे जाॅब्स हैं, जिन पर फिलहाल ऑटोमेशन को असर नहीं होगा, यानी रोबोट से रिप्लेस होने की इनकी गुंजाइश अभी बहुत कम है. ऑक्सफोर्ड मार्टिन की इस रिपोर्ट में निम्न जॉब्स के बारे में आशंका जतायी गयी है कि भविष्य में इन जाॅब्स को करीब 98 फीसदी तक रोबोट से रिप्लेस किया जा सकता है :
– टेलीमार्केटियर्स
– डाटा इंट्री का काम
– लाइब्रेरी टेक्निशियन
– न्यू एकाउंट्स क्लर्क
– फोटोग्राफिक प्रोसेस वर्कर्स
– प्रोसेसिंग मशीन ऑपरेटर्स
– कारगो एंड फ्रेट एजेंट्स
– मैथेमेटिकल टेक्निशियंस
– सीवर वर्कर्स
– क्रेडिट एनालिस्ट्स
– मिलिंग एंड प्लानिंग मशीन सेटर्स
– शिपिंग, रिसिविंग एंड ट्रैफिक क्लर्क्स
– पैकेजिंग एंड फिलिंग मशीन आॅपरेटर्स
इन प्रोफेशन को रोबोट से रिप्लेस होने की संभावना एक फीसदी से भी कम है

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें