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रिश्तों के साथ मजाक करना बंद करें

।। दक्षा वैदकर।। ‘विश्वास’ पर कॉलम प्रकाशित करने के बाद लोगों ने मुङो उनकी समस्याएं भेजी हैं, जिनमें से कुछ का जिक्र करना बेहद जरूरी है. एक मित्र ने लिखा है ‘मुझे मेरी पत्नी के प्यार की परीक्षा लेनी थी. इसके लिए मैंने दोस्त की मदद ली. दोस्त ने रांग नंबर डायल करने के बहाने […]

।। दक्षा वैदकर।।

‘विश्वास’ पर कॉलम प्रकाशित करने के बाद लोगों ने मुङो उनकी समस्याएं भेजी हैं, जिनमें से कुछ का जिक्र करना बेहद जरूरी है. एक मित्र ने लिखा है ‘मुझे मेरी पत्नी के प्यार की परीक्षा लेनी थी. इसके लिए मैंने दोस्त की मदद ली. दोस्त ने रांग नंबर डायल करने के बहाने पत्नी से बातचीत शुरू की और दोस्त बन गया. अब वो मुङो रोज बताता है कि पत्नी उसके साथ किस-किस तरह की बातें शेयर करती हैं. कभी-कभी लगता है कि वह सच कह रहा है, कभी लगता है कि झूठ भी हो सकता है. मेरी एक बेटी है. मैं पत्नी को तलाक नहीं दे सकता और साथ रह भी नहीं सकता. मैं क्या करूं?’

एक दूसरे मित्र लिखते हैं ‘मुझे अपनी पत्नी का अटेंशन चाहिए था. मैंने अपनी पुरानी दोस्त को कहा कि मुझसे चैट पर नकली-नकली प्यार भरी बातें करो, ताकि पत्नी को जलन हो और वो मेरा ज्यादा ख्याल रखे. नकली चैट तैयार करने के बाद मैंने पत्नी को खुद बताया कि मुङो मेरी पुरानी दोस्त मिली है. उससे मैं चैट करता हूं. पत्नी मुस्कुरा दी और अपने काम में लग गयी. मेरी बातों का उस पर असर ही नहीं हुआ. मैंने रात को उसे कहा कि दोस्त के साथ मैं थोड़ा फ्लर्ट भी करता हूं. इस बार पत्नी चुप थी. मैं खुश हो गया कि तीर निशाने पे लगा है. लेकिन बात बिगड़ गयी. पत्नी ने चुपके से चैट पढ़ी और मायके चली गयी. मैंने उसे समझाया कि ये सिर्फ अटेंशन पाने के लिए किया था, लेकिन वह मानने को तैयार नहीं. मैं क्या करूं?

ये दो खत पढ़ कर बहुत आश्चर्य हो रहा है कि कोई पति-पत्नी के रिश्ते को खेल की तरह कैसे ले सकता है. हमनें विश्वास की परिभाषा की धज्जियां उड़ा दी हैं. हम रिश्तों की परीक्षा लेते हैं, उन्हें खुद उलझाते हैं और बाद में रोते हैं. हम ये समझ ही नहीं पाते कि हमारी छोटी-सी गलती किस तरह जिंदगी तबाह कर सकती है. इन दोनों ही केसेज में मेरा बस यही सुझाव है कि सामनेवाले पर आंख मूंद कर विश्वास करें और उसे केवल प्यार दें. इतना ज्यादा विश्वास करें कि वह खुद भी गलती करने से पहले 1000 बार सोचें. आपका भरोसा व प्यार देख करआपसे सच्च प्यार निभाने को मजबूर हो जाये.

बात पते की..

रिश्तों पर भरोसा करना सीखें. इतना अधिक भरोसा कि सामनेवाला का स्वभाव भी अगर धोखे का है, तो भी वह आपको धोखा देने से रूक जाये.

रिश्तों की परीक्षा न लें. जो भी गलत फहमी है, उस पर बात करें और उसे तुरंत हल करें. किसी तीसरे की मदद ऐसे मामलों में बिल्कुल न लें.

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