14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

अगस्ता से बीजेपी को राहत, कांग्रेस पर दबाव

प्रमोद जोशी वरिष्ठ पत्रकार, बीबीसी हिंदी डॉटकॉम के लिए अगस्ता वेस्टलैंड केस ‘उत्तराखंड गेट’ से घिरे दिख रहे भारतीय जनता पार्टी को सांस लेने का मौक़ा देगा, साथ ही अगले तीन साल तक भारतीय राजनीति को गरमा कर रखेगा. भले ही नतीजा वैसा ही फुस्स हो, जैसा अब तक होता रहा है. चिंता की बात […]

Undefined
अगस्ता से बीजेपी को राहत, कांग्रेस पर दबाव 7

अगस्ता वेस्टलैंड केस ‘उत्तराखंड गेट’ से घिरे दिख रहे भारतीय जनता पार्टी को सांस लेने का मौक़ा देगा, साथ ही अगले तीन साल तक भारतीय राजनीति को गरमा कर रखेगा.

भले ही नतीजा वैसा ही फुस्स हो, जैसा अब तक होता रहा है.

चिंता की बात यह है कि इससे सामान्य नागरिक के मन में प्रशासन और राजनीति के प्रति नफ़रत बढ़ेगी.

इसे घटनाक्रमों के साथ जोड़ें तो सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय, राष्ट्रीय जांच एजेंसी और दूसरी ख़ुफ़िया एजेंसियों की साख मिट्टी में मिलती नज़र आ रही है.

बिचौलिए क्रिश्चियन माइकेल ने अगस्ता वेस्टलैंड के भारत में सक्रिय अधिकारियों को जो दिशा-निर्देश दिए हैं, उनसे सवाल उठता है कि क्या कारण है कि नामी उत्पादक भी भारत में ‘घूस’ को ज़रूरी मानते हैं? और मीडिया को मैनेज करने की बात सोचते हैं?

Undefined
अगस्ता से बीजेपी को राहत, कांग्रेस पर दबाव 8

भारतीय जनता पार्टी की दिलचस्पी व्यक्तिगत रूप से सोनिया गांधी और राहुल गांधी में है. उसका गणित है कि कांग्रेस को ध्वस्त करना है तो ‘परिवार’ को निशाना बनाओ.

भ्रष्टाचार के इस प्रकार के आरोपों से रक्षा में कांग्रेस को जेडीयू, आरजेडी, सपा और वाम मोर्चा का समर्थन नहीं मिलेगा. जिनके साथ मिलकर पार्टी बीजेपी के ख़िलाफ़ मोर्चा बनाना चाहती है.

फ़िलहाल इस वर्चुअल मोर्चे को बीजेपी के साथ कांग्रेस की भी आलोचना करनी होगी.

उत्तराखंड मामले को लेकर सरकार संसद के चालू सत्र में घिरी हुई थी. अब उसे कांग्रेस पर जवाबी हमला बोलने का मौक़ा मिला है.

Undefined
अगस्ता से बीजेपी को राहत, कांग्रेस पर दबाव 9

हालांकि इटली की अदालत ने यह फ़ैसला सात अप्रैल को दिया था पर इसका राजनीतिक मतलब समझने में दिल्ली ने क़रीब तीन हफ़्ते लगाए. या कुछ सोचकर इस पर तब चर्चा शुरू की जब संसद का सत्र चल रहा था.

ऐसे विवादों की माइलेज अच्छी होती है. बोफ़ोर्स और हवाला मामले लंबे समय तक भारतीय राजनीति को प्रभावित करते रहे. यह मामला भी यूपी और पंजाब चुनाव से लेकर 2019 के लोकसभा चुनाव तक चलना चाहिए.

सिर्फ़ भाजपा ही नहीं कांग्रेस और बाक़ी दल अपनी सुविधा से इसकी अलग-अलग पूूँछ पकड़ रहे हैं. कांग्रेस का कहना है कि ये गांधी परिवार को निपटाने की साज़िश है. इसके लिए उसने बिचौलिए क्रिश्चियन माइकेल की चिट्ठी का सहारा लिया है.

Undefined
अगस्ता से बीजेपी को राहत, कांग्रेस पर दबाव 10

चिट्ठी के अनुसार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पिछले साल संयुक्त राष्ट्र महासभा की बैठक के दौरान इटली के प्रधानमंत्री मत्तेयो रेनजी से मिले थे. माइकेल का आरोप है कि कांग्रेस के गांधी परिवार को फँसाने के बदले इतालवी नौसैनिकों का मामला निपटाने का पेशकश की गई थी.

सवाल है कि क्या इटली की अदालत किसी साज़िश में शामिल है? बहरहाल इस मामले ने भाजपा को न केवल जवाबी हमले का बल्कि कांग्रेस को गहरी चोट पहुँचाने का मौक़ा दिया है.

भ्रष्टाचार के आरोपों से कांग्रेस पहले से घायल है. साल 2010 से पार्टी पर भ्रष्टाचार से जुड़े आरोप लगते रहे हैं. दिल्ली में सत्ता बदलने के बाद पहले रॉबर्ट वाड्रा का मामला उठा. फिर नेशनल हैरल्ड, फिर इशरत जहाँ.

Undefined
अगस्ता से बीजेपी को राहत, कांग्रेस पर दबाव 11

संयोग से राज्यसभा में सुब्रमण्यम स्वामी का प्रवेश भी इसी मौक़े पर हुआ है. बुधवार को उनके आगमन की झलक भी मिली. उनकी कुछ बातें सदन की कार्यवाही से हटा दी गईं, पर स्वामी ने अपने ट्वीट में इशारा किया कि वे आगे अभी क्या कहने वाले हैं.

ऐसा नहीं कि कांग्रेसी तरकश में तीर नहीं हैं. बुधवार को राज्यसभा में ग़ुलाम नबी आज़ाद ने कहा, यूपीए सरकार ने कंपनी को ब्लैकलिस्ट किया पर मोदी सरकार ने इस रोक को हटा दिया. यही नहीं कंपनी को ‘मेक इन इंडिया’ में भागीदार बना लिया.

इसके जवाब में रक्षामंत्री मनोहर पर्रिकर का कहना है कि ब्लैकलिस्ट तो हमने किया 3 जुलाई 2014 में. कांग्रेस ने किस तारीख़ को किया, ज़रा दिखाए तो सही.

Undefined
अगस्ता से बीजेपी को राहत, कांग्रेस पर दबाव 12

यह पहला मौक़ा है, जब सरकार हमलावर है और विपक्ष दबाव में है.

लेकिन इस मामले में मोदी सरकार ने पिछले दो साल में क्या किया? किसी ने घूस दी तो किसने ली? सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय पिछले दो साल से जांच कर रहे हैं लेकिन उनकी जांच की प्रगति का कुछ पता नहीं है.

किसी के पास पुष्ट प्रमाण नहीं हैं पर बिचौलिए क्रिश्चियन माइकेल के हाथ के लिखे कुछ काग़ज़ प्रचलन में हैं, जिनमें एएफ़, डीएस, जेएस, एपी और एफ़एएम जैसे संकेताक्षरों से कई तरह के अनुमान लगाए जा रहे हैं.

यह वैसा ही विवरण है जैसा बोफ़ोर्स मामले में या नब्बे के दशक में हवाला मामले में था और वैसे ही निष्कर्ष हैं. सवाल है कि क्या नतीजा भी वैसा ही होगा?

(बीबीसी हिन्दी के एंड्रॉएड ऐप के लिए यहां क्लिक करें. आप हमें फ़ेसबुक और ट्विटर पर भी फ़ॉलो कर सकते हैं.)

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें