भारत सरकार ने एक और चीनी मानवाधिकार कार्यकर्ता को वीज़ा देने से इंकार कर दिया है.
चीनी मूल की अमरीकी लू जिन्गहुआ को न्यूयॉर्क के एयरपोर्ट पर भारत जाने से रोक दिया गया, ठीक उस वक़्त जब वह नई दिल्ली के लिए विमान पर सवार होने वाली थीं.
लू जिन्गहुआ बताती हैं, "मैं जब भारत जाने के लिए न्यूयॉर्क एयरपोर्ट पहुंची तो एयरलाइंस अधिकारियों ने कहा कि आपका वीज़ा रद्द हो गया है और आप विमान में नहीं चढ़ सकतीं."
"मैंने उनसे बहुत विनती की कि मेरे पास वीज़ा आवेदन का कंफ़र्मेशन भी है और मुझे भारत में होने वाले कार्यक्रम में शामिल होना है, लेकिन उन्होंने मेरी एक न सुनी."
20 अप्रैल को लू जिन्गहुआ ने भारतीय वीज़ा के लिए आवेदन दिया था. वह कहती हैं कि उन्होंने धर्मशाला में दलाई लामा से मुलाकात करने के लिए पर्यटन वीज़ा का आवेदन दिया था.
उन्हें वीज़ा आवेदन प्राप्त होने का तो जवाब मिल गया था और उसी के आधार पर वह एयरपोर्ट पहुंच गईं.
25 अप्रैल को वह भारत जाने के लिए न्यूयॉर्क के जॉन एफ़ केनेडी हवाई अड्डे पर पहुंचीं, तो वहां उन्हें एयर इंडिया के अधिकारियों ने विमान पर चढ़ने से रोक दिया.
लू जिन्गहुआ भारत सरकार से अपनी नाराज़गी जताते हुए कहती हैं, "मुझे बहुत अफ़सोस हुआ. चीनी सरकार ने तो मेरे साथ बुरा व्यहवार किया ही था भारत सरकार ने भी मेरे साथ न्याय नहीं किया. मैं बहुत दुखी हूं."
इससे पहले भारत ने बागी वीगर नेता डॉल्कन ईसा का वीज़ा रद्द कर दिया था जिन्हें धर्मशाला में होने वाले एक सम्मेलन में हिस्सा लेना था.
1989 में लू जिन्गहुआ चीन में थ्येनानमन चौक में नरसंहार के बाद से मानवाधिकार के लिए आवाज़ उठाने लगी थीं. इसके नतीजे में उन्हें चीन छोड़कर भागना पड़ा था और वह पिछले 20 वर्षों से अमरीका में रह रही हैं.
लू जिन्गहुआ कहती हैं कि भारत सरकार को चाहिए कि वह चीन की सरकार से नज़दीकी न बढ़ाए.
लेकिन वह अब भी भारत जाने की आस लगाए बैठी हैं, "मुझे जैसे ही भारत जाने का वीज़ा मिलेगा मैं फ़ौरन चली जाउंगी. मेरी बड़ी तमन्ना है कि वहां धर्मशाला में दलाई लामा से मुलाकात करूं."
इस मामले में बीबीसी हिंदी ने भारतीय कॉन्सूलेट से संपर्क किया लेकिन ख़बर के प्रकाशन के समय तक जवाब नहीं मिल पाया था.
अब लू जिन्गहुआ इस मामले में न्यूयॉर्क के भारतीय कॉन्सूलेट के सामने विरोध प्रदर्शन भी करने की योजना बना रही हैं.
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