सुबह उठने पर दूध, दोपहर में देशी घी के साथ दाल-सब्ज़ियां और रात को सोने के पहले दूध किसी नौजवान की ख़ुराक हो तो ताज्जुब नही होगा.
लेकिन ये खुराक है आज़ाद हिंद फ़ौज के संस्थापक सुभाष चंद्र बोस के ड्राइवर होने का दावा करने वाले सैफ़ुद्दीन उर्फ़ ‘कर्नल’ निज़ामुद्दीन की जो दुनिया के सबसे बुज़ुर्ग पुरुष होने के रिकॉर्ड की रेस में हैं.
निज़ामुद्दीन ने आजमगढ़ जिले में अपने घर के नज़दीकी सरकारी बैंक में खाता खोलने की अर्ज़ी दी थी और उसमें प्रमाण के तौर दिए गए वोटर आईडी के अनुसार उनकी उम्र 116 वर्ष और तीन महीने है.
इसी वर्ष जनवरी महीने में दुनिया के सबसे बुज़ुर्ग व्यक्ति यसुतरो कोइडे का 112 वर्ष की उम्र में जापान के नागोया अस्पताल में निधन हो गया था.
पेशे से दर्ज़ी रहे यसुतरो को गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड ने 2015 में उन्हें ये ख़िताब दिया था.
उनके बाद अब गिनीज़ रिकॉर्ड इसराइली व्यक्ति इसराइल क्रिस्ताल के नाम है जिनका जन्म 1903 में हुआ था.
अगर ये बात साबित हो जाती है कि निज़ामुद्दीन की उम्र वही है जो उनके वोटर आईडी और पासपोर्ट पर लिखी है तो गिनीज़ वाले निश्चित तौर पर उनके पास जल्द पहुँच सकते हैं.
इस बीच ख़ुद निज़ामुद्दीन की याद्दाश्त बहुत खराब नहीं हुई है और चूंकि वे ऊंचा सुनने लगे हैं इसलिए कान की मशीन लगा कर रोज़ाना शाम टीवी पर समाचार देखते हैं और दिन में रेडियो सुनते हैं.
पिछले वर्ष मैं ख़ुद उनके घर पर मिलने गया था तब उनके नाश्ते का समय था जिसमें मखाने और दूध का सेवन चल रहा था.
मंगलवार को उनके बेटे अकरम से फ़ोन पर बात हुई तो बोले, "अब्बा अब थोड़ा कमज़ोर हो गए हैं लेकिन कभी कभी पुरानी बातें दोहराते रहते हैं".
उन्होंने कहा, "इन दिनों शाम छह बजे भोजन कर लेते हैं और अधिकतर सब्ज़ियों में इनकी पसंददीदा चीज़ है करेला. इन्हे कभी मीट या अंडे पसंद नहीं रहे. दूध के बिना तो ये रह ही नहीं सकते हैं".
वैसे कर्नल निज़ामुद्दीन की पत्नी अजीबुनिस्सा की उम्र भी 107 हो चुकी है और उनकी तबियत ख़राब ही रहती है.
निजामुद्दीन के बेटे ने बताया कि पिता को कभी डायबिटीज़ या हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत नहीं रही हालांकि उन्हें एक दिक्कत हमेशा रही.
अकरम ने कहा, "जब से मैंने होश सम्भाला, अब्बा के घुटने में दर्द की शिकायत देखी जिसके लिए वे आज तक पेन किलर खा रहे हैं. अब चूंकि बुज़ुर्ग हैं तो डॉक्टर ने कहा है कि महीने में एक बार ताकत का इंजेक्शन लगवाना ज़रूरी है".
पिछले वर्ष बीबीसी हिंदी से हुई विशेष बातचीत में ‘कर्नल’ निजामुद्दीन ने दावा किया था कि जब वे बर्मा में सुभाष चंद्र बोस के ड्राइवर थे तब नेताजी पर जानलेवा हमला हुआ था.
उनका दावा है कि किसी ने नताजी पर गोलियां चलाई थीं जिसमे से एक निजामुद्दीन की पीठ पर लगी थी और उसे आज़ाद हिंद फ़ौज में बतौर डॉक्टर काम करने वाली ‘कैप्टन’ लक्ष्मी सहगल ने निकाला था.
पिछले वर्ष चंद्र बोस की प्रपौत्री राज्यश्री चौधरी भी निजामुद्दीन से मिलने आजमगढ़ गई थीं.
2014 के आम चुनावों के दौरान वाराणसी में अपने प्रचार के दौरान भाजपा उम्मीदवार नरेंद्र मोदी ने भी निजामुद्दीन को स्टेज पर बुलाकर उनका सार्वजनिक अभिनन्दन किया था.
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