।। दक्षा वैदकर।।
इस कॉलम के कई पाठक अक्सर मुझे अपने अनुभव बताते हैं. पिछले कुछ दिनों के कॉलम से सीखी गयी बातों को अपनी जिंदगी में उतारने के बाद उन्होंने अपने अनुभव मुङो भेजे हैं. इनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
सुकृति ने लिखा है कि पहले जब भी उनके मंगेतर उनसे मिलने आने में लेट हो जाते थे, वे उन पर खूब गुस्सा होती थी. बातचीत बंद कर देती थी. एक दिन कॉलम में उन्होंने पढ़ा ‘आसपास कुछ भी हो जाये, खुद को स्थिर रखने की प्रैक्टिस करें.’ बस उन्होंने यही किया. मंगेतर के लेट आने पर भी वे बिल्कुल नहीं चिल्लायी. बहुत अच्छा व्यवहार किया, जैसे कुछ हुआ ही नहीं. मंगेतर ने इस बदलाव को नोटिस किया. उन्होंने भी खुद को बदलने की ठानी और अब वे कभी लेट नहीं होते. ध्रुव कुमार ने लिखा है कि जब भी वे ट्रैफिक में फंस जाते थे, सामनेवाली गाड़ियों को खूब गालियां देते थे.
लगातार हॉर्न बजाते रहते थे कि गाड़ियां जल्दी-जल्दी आगे बढ़ें. ऐसा करने पर गाड़ियां तो खिसकती नहीं थी, लेकिन उनका बीपी जरूर हाई हो जाता था. कॉलम में यह पढ़ने के बाद कि ‘दूसरों को बदलने की कोशिश बेकार है, आप दुनिया को, लोगों के व्यवहार को नहीं बदल सकते. बेहतर है कि खुद को बदलें. अपने आसपास सुरक्षा कवच बना लें.’ उन्होंने खुद को शांत रखना सीखा. अब जब भी वे ट्रैफिक में फंसते हैं, खुद से बार-बार कहते हैं कि शांत हो जाओ. इतना ही नहीं, वे गाड़ी में म्यूजिक ऑन कर देते हैं और उस गाने को गुनगुनाना शुरू कर देते हैं. इससे गुस्सा भी नहीं आता और ट्रैफिक जाम का समय कट जाता है, उन्हें पता भी नहीं चलता.
इन पाठकों की तरह आप भी केवल इन दो ही टिप्स को आजमा सकते हैं और अपने जीवन को खुशनुमा होते देख सकते हैं. तो देर किस बात की. आज से ही शुरू करें. हफ्ते में एक दिन तय कर लें कि मैं आज बिल्कुल भी गुस्सा नहीं करूंगा. चाहे कुछ भी हो जाये, मेरी आवाज ऊंची नहीं होगी. जब एक दिन ऐसा करने की आदत हो जाये, तो धीरे-धीरे दिन बढ़ाते जायें. आप पायेंगे कि केवल आप ही नहीं, बल्कि आपके आसपास के लोग भी बेहद खुश हैं.
बात पते की..
दूसरों की बदलने की कोशिश छोड दें. हर व्यक्ति के स्वभाव को आप बदल नहीं सकते. बेहतर है कि खुद को बदलें. सहनशक्ति को बढ़ायें
जब आप रिश्ते को बचाने के लिए अपने अंदर बदलाव करते हैं, तो आसपास के लोग भी इस बदलाव को नोटिस करते हैं. वे भी बदलने लगते हैं.