मौन धारण करना एक बड़ी साधना है़ यह हमारे सोचने की शक्ति को बढ़ाता है़ इसलिए साधना के सभी पंथ में मौन की अहमियत स्वीकार की गयी है़ मनोविज्ञानी और करियर विशेषज्ञ भी स्मरण शक्ति बढ़ाने, एकाग्रता, शांति और सकारात्मक सोच के लिए जीवन में मौन धारण करने की सलाह देते हैं़ जब हम कुछ समय मौन रहते हैं, तो स्वयं से बात करते हैं़ आत्ममूल्यांकन करते हैं इससे नयी मानसिक ऊर्जा प्राप्त होती है़ इस छोटे-से उपाय से आप अपने जीवन में बड़ा सकारात्मक बदलाव ला सकते हैं़
1. अक्रियाशीलता को बाइपास करें
हमारी काम करने की जो संस्कृति है, उसमें सिर्फ उत्पादकता की बात की जाती है. हमेशा पूछा जाता है कि आपका देश आपके लिए क्या कर सकता है या आप अपने देश के लिए क्या कर सकते हैं इस सवाल के मूल में एक ही तत्व रहता है – क्या किया जा सकता है? एकांत हमें उत्पादकता के इस चंगुल से कुछ समय के लिए आजादी हमें ब्रेक दिलाती है. कई बार यह एकांत ही बहुत ज्यादा उत्पादक हो जाता है. एक कंपनी है प्रोमेगा. इस कंपनी के कार्यस्थल पर ही ‘थर्ड स्पेस’ का निर्माण किया है, जहां कर्मचारी काम के दौरान ही नेचुरल लाइट में सॉलिट्यूड ब्रेक (एकांत के क्षण) ले सकते हैं. इससे कर्मचारियों की सेहत सुधरी और कंपनी की उत्पादकता भी बढ़ी.
2. बढ़ती है संवेदनशीलता
क्या आप दस दिन तक मौन रहने के बारे में सोच सकते हैं? बहुत से लोगों के लिए यह पानी पर चलने जैसा है. लेकिन, विपासना के साइलेंस रिट्रीट में यही होता है. इसमें भाग लेने वालों को लिखने-पढ़ने तक की मनाही होती है. वह एक-दूसरे से आइ कांटैक्ट भी नहीं कर सकते हैं. एक बार सौ वैज्ञानिकों का दल विपासना के इस तरह के रिट्रीट में शोध के लिए गया था. उन्होंने पाया कि चुप रहने से हमारी संवेदनशीलता दूसरे तरीके से बढ़ने लगती है. हमारी संवेदनशीलता दृष्टि में, सोच में, भावनाओं में समाहित हो जाती है.
3. भविष्य की समस्याओं का समाधान
एलेन वाट्स का मानना है कि हम निराशावादी इसलिए हो जाते हैंं, क्योंकि हम भविष्य में जीते हैं, जो सिर्फ एक भ्रम है. मौन हमें वर्तमान में लाता है, जहां हम खुशी का अनुभव करते हैं. मौन की मदद से ही हम भविष्य के भ्रम से निकलने में कामयाब हो सकते हैं.
4. बढ़ती है याददाश्त
डॉक्टरों की माने तो टहलना सबसे बढ़िया व्यायाम है. इससे तन और मन दोनों तंदुरुस्त रहता है. एकांत में किसी प्राकृतिक स्थान पर टहलने का एक अलग आनंद है. वैज्ञानिकों का मानना है कि इस तरह टहलने से हमारे दिमाग के उस हिस्से का विकास होता है, जो हमारी याददाश्त को मजबूत करता है. वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रकृति के करीब रहने से हमारा स्थान संबंधी याददाश्त तेज होता है, जैसा हमारे पूर्वजों का था़ जब वह भोजन की तलाश में शिकार पर निकलते थे. विशेषज्ञ मानते हैं कि एकांत में दिमाग शांत रहता है. वह यादों को सहेजने का काम करता है.
5. एक्शन को मिलती है मजबूती
मनोविश्लेषक केली मैकगोनिगल का मानना है कि जब हम मौन रहते हैं, तभी दिमाग में सकारात्मक विचार आते हैं, जिसे बाद में हम अमल में लाते हैं. इससे हमारे भीतर सकारात्मक प्रवृत्ति बढ़ती है.
6. जागरूकता बढ़ती है
जब कभी भी हम अपने बच्चों या प्रियजनों पर सख्ती करते हैं, तो बाद में पछताते हैं. यह तभी होता है, जब हम बिना सोचे-समझे यह करते हैं. यहीं पर मौन काम करता है. वह हमें जागरूक करता है, सचेत करता है. इससे हमारी गतिविधियां हमारे नियंत्रण में रहती हैं, हम उनके नियंत्रण में नहीं रहते हैं. जब हम जागरूक रहते हैं, तब हमारे ऊपर हमारा नियंत्रण रहता है. किसी बाहरी चीज से हम प्रभावित नहीं होते है. यह शक्ति हमें मौन से मिलती है.
7. दिगाम भी तेज होता है
शरीर का सबसे जटिल और ताकतवर हिस्सा दिमाग है़ जिस तरह से मांसपेशियों को कसरत करने से फायदा पहुंचता है, वैसे दिमाग को मौन से फायदा होता है. मौन एक तरह से दिमाग की सर्विसिंग कर देता है.
8. दिमाग भी तेज होता है
मान लें कि आप किसी शांत जगह पर ध्यान के लिए बैठे हैं और तभी आपको खुजली होने लगती है. विशेषज्ञ मानते हैं कि आपको खुजली नहीं करनी चाहिए. इससे आपको व्यवधान में भी ध्यान लगाने की आदत पड़ जायेगी. इससे एकाग्रता बढ़ेगी.