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‘जम्मू-कश्मीर के लिए हमारी तिजोरी खुली है’

जम्मू कश्मीर में पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार बनाने की तैयारी में है. महबूबा मुफ़्ती ने भले ही सरकार बनाने से पहले लंबे समय तक सोच-विचार किया हो, लेकिन अब वह राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने को तैयार हैं. हालांकि सरकार किस दिन शपथ लेगी, इसका अभी फ़ैसला नहीं हुआ है पर बीजेपी ने उपमुख्यमंत्री पद […]

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जम्मू कश्मीर में पीडीपी-बीजेपी गठबंधन सरकार बनाने की तैयारी में है. महबूबा मुफ़्ती ने भले ही सरकार बनाने से पहले लंबे समय तक सोच-विचार किया हो, लेकिन अब वह राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री बनने को तैयार हैं.

हालांकि सरकार किस दिन शपथ लेगी, इसका अभी फ़ैसला नहीं हुआ है पर बीजेपी ने उपमुख्यमंत्री पद के लिए डॉ. निर्मल सिंह को नामित कर दिया है.

निर्मल सिंह ने बीबीसी संवाददाता वात्सल्य राय से बातचीत में राज्य सरकार की प्राथमिकताओं के बारे में बात की. पढ़ें क्या कहते हैं वह –

जम्मू कश्मीर की समस्या पिछलों सालों में यही रही है- चरमपंथी हिंसा, विभाजन के समय विस्थापन और सीमा पर फ़ायरिंग.

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इन समस्याओं के रहते राज्य को तरक्की और विकास के रास्ते पर ले जाना हमारी प्राथमिकता है.

यह बड़ी चुनौती भी है. प्रधानमंत्री ने राज्य के विकास के लिए राज्य को 80 हज़ार करोड़ रुपए का पैकेज दिया है. उस पैकेज को लोगों तक पहुँचाना और हर आदमी को उसका हक़ देना हमारी प्राथमिकता है.

प्रधानमंत्री जब श्रीनगर आए थे, तो उन्होंने कहा था कि इस पैकेज को खर्च कीजिए, आगे और मिलेगी क्योंकि जम्मू-कश्मीर के लिए हमारी तिजोरी खुली है.

राज्य की बेरोज़गारी दूर करना भी हमारी प्राथमिकता है. इसके अलावा हमारा फ़ोकस गुड गवर्नेंस पर रहेगा.

कश्मीर के विस्थापित लोगों को उनके घरों तक पहुँचाने की कोशिश की जाएगी. मूल रूप से वे कश्मीरी हैं और अपने घर जाना चाहते हैं.

हर पार्टी चाहती है कि वे अपने घर लौटें, लेकिन इसके लिए व्यावहारिक तौर पर काफ़ी कुछ करने की ज़रूरत है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के पैकेज में इस काम के लिए काफ़ी धन आवंटित किया गया है.

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लोग बीजेपी और पीडीपी के गठबंधन पर भी सवाल उठाते रहे हैं. हमने 10 महीने तक साथ-साथ सरकार चलाई है. उन 10 महीनों में इस गठबंधन के चलते सरकार चलाने में कोई समस्या नहीं आई थी.

जब हमने समझौते का फ़ैसला किया था, उसमें एक-एक मुद्दे पर बात की थी.

हम ये मानते हैं कि हमारा वैचारिक समझौता नहीं है और न ही राजनीतिक समझौता है. हमारा समझौता गवर्नेंस के एलायंस का है. दोनों पार्टियों का अपना-अलग अलग नज़रिया है.

जब हमने 10 महीने तक सरकार चलाई, तो उस वक़्त जो भी समस्याएं आईं थीं, वो बाहरी वजहों से थीं. सरकार में कहीं कोई मुश्किल नहीं थी.

जम्मू कश्मीर में बीजेपी-पीडीपी का समझौता ही एक तरह से राष्ट्रीयता का भाव दर्शाता है. बीते 15 अगस्त को पूरे कश्मीर में हर सरकारी दफ़्तर पर तिरंगा झंडा फ़हराया गया.

उसमें लोगों की भागीदारी भी रही, क्योंकि वही एक राष्ट्रवाद है.

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