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अजजा, अजा व ओबीसी स्कूलों का लें लाभ

मित्रो, कल्याण विभाग राज्य की अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों के लिए कार्यक्रम चलाता है. राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की कुल आबादी 38.14 प्रतिशत है. इनमें 11.84 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 26.30 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति हैं. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लिए अविभाजित बिहार के समय […]

मित्रो,

कल्याण विभाग राज्य की अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, पिछड़ा वर्ग और अल्पसंख्यकों के लिए कार्यक्रम चलाता है. राज्य में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति की कुल आबादी 38.14 प्रतिशत है. इनमें 11.84 प्रतिशत अनुसूचित जाति और 26.30 प्रतिशत अनुसूचित जनजाति हैं. अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और पिछड़ा वर्ग के लिए अविभाजित बिहार के समय से छात्रवास की सुविधा थी. उस समय अनुसूचित जाति के लिए 257 छात्रवास थे, जिनमें 11520 सीटें हैं. ये छात्रवास अब भी चल रहे हैं.

राज्य बनने के बाद 146 नयेछात्रावासबनाये गये हैं, जो इन तीनों वर्गो के लिए हैं. इनके अलावा तीन व्यावसायिक प्रशिक्षण केंद्र हैं, जो कल्याण विभाग द्वारा संचालित हैं. छात्रवृत्ति, साइकिल, प्रोत्साहन राशि, साइकिल और किताब आदि की सुविधा देने की योजनाएं भी सभी स्तर पर चल रही हैं. इन योजनाओं के बारे में हम पहले बात कर चुके हैं. राज्य में 35 आयुर्वेदिक चिकित्सा केंद्र हैं, जहां अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के लोगों के इलाज की विशेष व्यवस्था का सरकार का दावा है. पहाड़िया आदिम जनजाति के लिए विशेष स्वास्थ्य केंद्र हैं, जो 1980 से चल रहे हैं. सरकार इन वर्गो के छात्र-छात्रओं के लिए दिवाकालीन और आवासीय विद्यालय चला रही है. इनका बेहतर संचालन हो और छात्र-छात्रओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिले, इसके लिए निजी क्षेत्रों की भागीदारी सुनिश्चित की गयी है. इन सब का कितना लाभ इन वर्गो के छात्रों को मिल रहा है, यह जानना एक सजग नागरिक का फर्ज भी है और अधिकार भी. हम इन योजनाओं के बारे में यहां बता रहे हैं, ताकि इनसे जुड़े छात्र-छात्र और दूसरे लोग लाभ ले सकें.

एकलव्य विद्यालय
राज्य में छह एकलव्य विद्यालय हैं. इनमें से दो आश्रम मॉडल के हैं. सभी अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए हैं. इन स्कूलों में 1638 सीटें हैं. तीन स्कूल लड़कों और तीन लड़कियों के लिए हैं. इन स्कूलों में पढ़ने वाले छात्र-छात्रओं को सभी तरह की सुविधा सरकार देती है. नामांकन के लिए कल्याण विभाग द्वारा विज्ञापन निकाला जाता है. कक्षा छह में छात्र-छात्रओं का दाखिला लिया जाता है. जहां हाई स्कूल तक पढ़ाई की सुविधा है, वहां मैट्रिक के बाद छात्रों को कॉलेज में नामांकन के लिए विरमित कर दिया जाता है. ये सभी स्कूल पब्लिक पार्टनरशिप के आधार पर चल रहे हैं. इन्हें निजी क्षेत्र की संस्थाएं संचसलित कर रही हैं, लेकिन नियंत्रण और पर्यवेक्षण कल्याण विभाग का है.

दुमका : जिले के सदर प्रखंड के काठीजोरिया में अनुसूचित जनजाति की लड़कियों के लिए एकलव्य विद्यालय है. यहां 380 सीटें हैं और इंटर तक पढ़ाई की व्यवस्था है.

पश्चिमी सिंहभूम : जिले के खुटपानी में लड़कियों के लिए इस एकलव्य विद्यालय में 88 सीटें हैं और हाई स्कूल तक की पढ़ाई यहां होती है.

गुमला : गुमला जिले के सिसई में आश्रम मॉडल स्कूल है. यह लड़कियों के लिए हैं, जहां इंटर तक पढ़ाई होती है. यहां कुल 200 सीटें हैं.

रांची : जिले के सालगड़िया एकलव्य विद्यालय में 450 सीटें हैं और यह स्कूल लड़कों के लिए है. यहां इंटर तक की पढ़ाई होती है.

साहिबगंज : जिले के भोगनाडीह (बरहेट प्रखंड) में 320 सीटों वाला यह स्कूल लड़कों के लिए है. यहां हाई स्कूल तक पढ़ाई की व्यवस्था है.

सरायकेला : जिले के कुचई में आश्रम मॉडल स्कूल है, जहां 200 लड़कों के लिए हाई स्कूल तक की पढ़ाई की व्यवस्था है.

आदिम जनजाति के लिए आवासीय विद्यालय

राज्य में आदिम जनजाति के लिए कुल नौ विद्यालय चल रहे हैं. ये विद्यालय दुमका, पूर्वी सिंहभूम, गुमला, हजारीबाग, लातेहार और पाकुड़ जिलों में हैं. यहां 950 सीटें हैं. पूर्वी सिंहभूम के आदिम जनजाति आवासीय विद्यालय में पहली से आठवीं तक तथा पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा स्थित इस विद्यालय में पहली से छठी कक्षा तक पढ़ाई होती है. इनमें से पहला स्कूल छात्रओं के लिए और दूसरा स्कूल छात्रों के लिए है. बाकी सभी स्कूलों में पहली से पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई होती है. इन नौ में से पांच विद्यालय लड़कियों के लिए और चार विद्यालय लड़कों के लिए हैं. लातेहार जिले में इस तरह के तीन विद्यालय हैं. जिनमें से औरंटांड विद्यालय का संचालन कल्याण विभाग खुद करता है, जबकि अन्य विद्यालयों का संचालन स्वयंसेवी संस्थाओं के माध्यम से कराया जा रहा है. इन स्कूलों में पढ़ने वाले लड़के-लड़कियों की पढ़ाई, रहने, खाने सहित सभी तरह की सुविधा सरकार द्वारा उपलब्ध करायी जाती है. पूर्वी सिंहभूम को छोड़ कर बाकी सभी स्कूलों में एक-एक सौ सीटें हैं. पूर्वी सिंहभूम स्कूल में 150 सीटें हैं. इन स्कूलों के संचालन से जुड़ी स्वयंसेवी संस्थाओं की यह जिम्मेवारी है कि छात्र-छात्रओं को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, बेहतर मार्गदर्शन और सुविधाएं मिलें.

दुमका : जिले के चाकुलिया में पहली से पांचवीं कक्षा तक छात्रों के लिए संचालित इस विद्यालय में 100 सीटें हैं. इस विद्यालय का संचालन बुद्धा शासनिक विकास परिषद, धनबाद कर रहा है.

पाकुड़ : लिट्टीपाड़ा में पहली से छठी कक्षा तक के छात्रों के लिए इस विद्यालय का संचालन बटेश्वर सेवा संस्थान कर रहा है.

गुमला : गुमला जिले में दो ऐसे विद्यालय चल रहे हैं. एक लड़कों के लिए और दूसरा लड़कियों के लिए. पहला स्कूल चैनपुरा में चल रहा है, जिसका संचालन मंथन युवा संस्थान, रांची कर रहा है. दूसरा विद्यालय तुसगांव में है, जिसका संचालन विकास भारती, गुमला द्वारा किया जा रहा है. दोनों स्कूलों में एक-एक सौ सीटें हैं और पहली से पांचवीं कक्षा तक पढ़ाई की व्यवस्था है.

लातेहार : जिले में ऐसे तीन विद्यालय चल रहे हैं. इनमें से एक औरंटांड में है, जो छात्रों के लिए है. इसका संचालन विभाग खुद कर रहा है. दूसरा विद्यालय बेतला और तीसरा नेतरहाट में है. दोनों छात्रओं के लिए है. बेतला स्कूल का संचालन पतरातू स्कूल और इकोनॉमिक्स, रामगढ़ तथा नेतरहाट स्कूल का संचालन सिंहभूम लीगल एड एंड डेवलपमेंट सोसाइटी, घाटशिला कर रही है. जिले की तीनों स्कूलों में एक-एक सौ सीटें हैं.

पूर्वी सिंहभूम : जिले के सुंदरनगर में संचालित इस विद्यालय का संचालन भारत सेवाश्रम संघ कर रहा है. यह विद्यालय लड़कियों का है. यहां पहली से आठवीं तक की पढ़ाई होती है. यहां 150 सीटें हैं.

हजारीबाग : जिले के विष्णुगढ़ में संचालित यह विद्यालय लड़कियों के लिए है. यहां एक सौ सीटें हैं. इस विद्यालय का संचालन बुद्धा शासनिक विकास परिषद, धनबाद कर रहा है.

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