– शैलेंद्र –
मगही, मैथिली, वज्जिका, अंगिका व भोजपुरी भाषाओं के एक लाख शब्दों का संग्रह
– जैन एलाचार्य श्रीश्रुतसागर महाराज की पहल
– जैन प्राकृत शोध संस्थान के निदेशक कर रहे काम
मुजफ्फरपुर : बदलते बिहार की अच्छी खबर. अब बिहार में बोली जानेवाली भाषाओं का अपना संयुक्त शब्दकोश होगा. नाम होगा ‘बिहारी शब्दकोश’. इसकी पहल जैन एलाचार्य श्रीश्रुतसागर जी महराज ने की है. बिहारी भाषाओं में लगभग डेढ़ लाख शब्द बोले जाते हैं, जिनमें से एक लाख शब्द जुटा लिये गये हैं.
शेष शब्दों को जुटाने का काम चल रहा है. शब्दकोश की रचना की जिम्मेदारी प्राकृत जैनशास्त्र और अहिंसा शोध संस्थान के निदेशक डॉ ऋषभ चंद जैन को मिली है. एलाचार्य श्रीश्रुतसागर जी महराज ने कहा कि बिहार में भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका, वज्जिका जैसी समृद्ध भाषाएं बोली जाती हैं. इन भाषाओं में रचनाएं भी हो रही हैं,लेकिन इनका संयुक्त कोष नहीं है.
यह बात मेरे मन में तब आयी, जब मैं इसी साल अप्रैल में वैशाली प्रवास पर आया. इसके बाद हमलोगों ने बिहारी शब्दकोश की रचना के बारे में सोचा. अभी तक भोजपुरी, मगही, मैथिली में प्रकाशित शब्दकोश मिले हैं, जबकि वज्जिका में दो बहुत कम शब्दोंवाले कोष मिले हैं. इनमें एक की रचना डॉ अवधेश्वर अरुण ने की है. दूसरे को समीक्षा प्रकाशन से छापा गया है.
अंगिका की तलाश
शब्दकोश के लिए काम कर रहे हैं डॉ ऋषभ चंद्र जैन ने कहा, ‘अंगिका का ऐसा कोई ग्रंथ या शब्दकोश अभी तक नहीं मिला है, जिनमें इस भाषा में बोले जानेवाले शब्दों को संयोजित किया गया हो. हम इसकी तलाश में हैं. जैसे ही ये मिल जायेंगे, हमारे पास बिहार में बोली जानेवाली प्रमुख भाषाओं के शब्दकोशों का संग्रह हो जायेगा.’
करनी पड़ी फोटोकॉपी
भोजपुरी का शब्दकोश आरा के एक कॉलेज की लाइब्रेरी से मिला, जिसे फोटोकॉपी कराना पड़ा, क्योंकि बाजार में बिक्री के लिए यह उपलब्ध नहीं था. डॉ जैन कहते हैं, यह बड़ा काम है, जो पूरा होने पर अपने आप में अनूठा होगा. हमारी कोशिश है कि जल्दी से जल्दी काम पूरा हो. साथ ही डॉ जैन अपील करते हैं कि अगर किसी के पास बिहार की भाषाओं से संबंधित शब्दकोश या अन्य जानकारियां हैं, तो वह उन्हें उपलब्ध करायें.