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शेखपुरा के राजकिशोर ने आइंस्टाइन के फॉर्मूले को दी चुनौती

– रिंकू झा – पटना : दिन-रात की घटना कैसे और क्यों होती है? सूर्य जब इतनी दूर है, तो फिर पृथ्वी तक रोशनी कैसे आती है? लाइट स्थिर है या मूव भी करती है? आइंस्टाइन ने कहा है कि लाइट हमेशा स्थिर होती है. इसका ‘फ्रेम ऑफ रिफरेंस’ एक जैसा होता है. अब तक […]

– रिंकू झा –

पटना : दिन-रात की घटना कैसे और क्यों होती है? सूर्य जब इतनी दूर है, तो फिर पृथ्वी तक रोशनी कैसे आती है? लाइट स्थिर है या मूव भी करती है? आइंस्टाइन ने कहा है कि लाइट हमेशा स्थिर होती है. इसका ‘फ्रेम ऑफ रिफरेंस’ एक जैसा होता है. अब तक फिजिक्स के सैकड़ों रिसर्च इसी फॉमरूला पर होते आ रहे हैं. लेकिन, बिहार के शेखपुरा जिले के मुरारपुर गांव के राजकिशोर ने इस थ्योरी को चुनौती दी है. उनका कहना है कि लाइट का वेव स्थिर नहीं है. इसका ‘फ्रेम ऑफ रिफरेंस’ अलग-अलग होता है. यह लाइट की स्थिति पर निर्भर करता है.

एक साल के रिसर्च के बाद राजकिशोर इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं. मैं नहीं मानता आइंस्टाइन के फॉमरूला को : सनराइज इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग टेक्नोलॉजी एंड मैनेजमेंट, उन्नाव, कानपुर से बीटेक के स्टूडेंट राजकिशोर आइंस्टाइन के फॉर्मूले को नहीं मानते हैं. उन्होंने बताया के मिचरल मोरले के रिसर्च को मैंने दुबारा कैलकुलेट किया.

इसके बाद उनके रिसर्च को मैंने पूरा किया. फिर मैंने आइंस्टाइन के रिसर्च को भी पढ़ा. मिचरल मोरले ने कहा था कि लाइट स्थिर होती है, लेकिन मैंने इसे और आगे बढ़ाया है. मेरे रिसर्च में कहा गया है कि लाइट स्थिर नहीं है. इसके साथ उसकी वेलोसिटी अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग होती है.

इंटरनेशनल जर्नल में प्रकाशित : राजकिशोर का यह रिसर्च इंटरनेशनल जर्नल ऑफ अप्लाइड फिजिक्स जर्नल में छपा है. आइएसएसएन 2249-3174 वोल्यूम 3, नवंबर महीने के एडिशन में पेज नंबर 67 से 70 तक इस रिसर्च को छपा गया है. राजकिशोर बताते हैं, आइंस्टाइन ने माना था कि लाइट की वेलोसिटी उसके फ्रेम ऑफ रिफरेंस से एक जैसी होती है.

यह कभी परिवर्तित नहीं होती है. वहीं, आइंस्टाइन के काफी पहले 18 सौ सेंचुरी के लगभग में हुए मिचरल मोरले ने लाइट का फ्रेम ऑफ रिफरेंस अलग माना था. उन्होंने थ्योरी तो इसकी बना ली, लेकिन प्रैक्टिकल में इसका रिजल्ट निगेटिव आ गया. उसके बाद उन्होंने इसे छोड़ दिया.

क्या है फ्रेम ऑफ रिफरेंस

लाइट जहां से निकलती है, वह लाइट का ‘ फ्रेम ऑफ रिफरेंस ‘ कहलाता है. यहां से लाइट निकल कर चारों तरफ जाती है. बाहर निकलने के बाद दूसरी चीजों से टकरा कर वापस आ जाती है. इस पर अलग-अलग वैज्ञानिकों ने अलग-अलग रिसर्च किया है. किसी ने कहा कि लाइट का फ्रेम ऑफ रिफरेंस अलग होता है, किसी ने इसे स्थिर बताया.

लाइट पर सैकड़ों रिसर्च हुए हैं. बिना इस रिसर्च को देखें कुछ नहीं कहा जा सकता है. अगर ऐसा है, तो उस स्टूडेंट को हमारे पास आना चाहिए. हम सही से स्टडी करके उसे कॉलेज के रेकॉर्ड में रखेंगे. अगर ऐसे लोग हमारे शहर के हैं, तो उसे कॉलेज के जर्नल में भी जगह मिलेगी.

एस सिन्हा, फिजिक्स एक्सपर्ट, पटना यूनिवर्सिटी

आइंस्टाइन की थ्योरी

लाइट हमेशा स्थिर होती है. इसकी वेलोसिटी उसके फ्रेम ऑफ रिफरेंस से एक जैसी होती है.

राजकिशोर का रिसर्च

लाइट स्थिर नहीं है. इसके साथ उसकी वेलोसिटी अलग-अलग जगहों पर अलग-अलग होती है.

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