खाना खाने से पहले और बाद में हाथ धोना सेहत का ख्याल रखने के लिए जरूरी माना जाता है,लेकिन हो सकता है कि आपका साबुन ही आपको बीमार कर रहा हो. अमेरिका जल्द ही एंटी बैक्टीरियल साबुन पर रोक लगाने पर विचार कर रहा है. हाल ही में आयी रिपोर्टोंमें पाया गया है कि इन साबुनों में ऐसे रसायन हैं जोहारमोनमें बदलाव करने के लिए जिम्मेदार हैं. ऐसे में डॉक्टरों की सलाह है कि साधारण साबुन से हाथ धो लेना ही काफी है,क्योंकि उन्हीं से बैक्टीरिया की मौत हो जाती है.
बाजार में रहने पर संशय
कंपनियों को2014के अंत तक अपनी रिपोर्ट पेश करनी होगी. इसके बाद एफडीए2016में यह फैसला लेगा कि इन्हें बाजार में बरकरार रखा जाना चाहिए या नहीं. बाजार में बने रहने के लिए कंपनियों को अपने साबुन में से हानिकारक रसायन हटाने होंगे.
टूथपेस्ट,कॉस्मेटिक भी नुकसानदेह
एफडीए की प्रवक्ता ने कहा कि अमेरिका में इस तरह के2,000अलग-अलग साबुन उपलब्ध हैं. जिन रसायनों की बात की जा रही है वे ना केवल हाथ धोने वाले साबुन,बल्कि टूथपेस्ट,कॉस्मेटिक,डिटर्जेंट और बर्तन साफ करने वाले साबुनों में भी मौजूद हैं. ये बीते40साल से बाजार में हैं.
फायदे कम और नुकसान ज्यादा
जानवरों पर हुए प्रयोगों में पाया गया है कि ट्रिकलोसन के कारण शरीर में थायरॉइड,एस्ट्रोजन और टेस्टोस्टेरॉन की मात्रा पर असर पड़ता है. एफडीए की कॉलीन रॉजर्स कहती हैं,नये शोध बताते हैं कि लंबे समय तक इस्तेमाल करने से एंटी बैक्टीरियल उत्पादों के फायदे कम और नुकसान ज्यादा होते हैं.
अमेरिका के खाद्य और दवा प्रशासन (एफडीए) ने ऐसे साबुन बनाने वालों से इस बात के प्रमाण देने को कहा है कि उनके साबुन बाजार में मिलने वाले साधारण साबुनों से बेहतर हैं और बीमारियां दूर रखने में कारगर हैं. एफडीए ने कहा है कि इस तरह के साबुनों में आम तौर पर ट्रिकलोसन और ट्रिकलोकार्बन जैसे रसायनों का इस्तेमाल किया जाता है,जिनसे सेहत को भारी नुकसान हो सकता है और जिनके फायदों के बारे में कोई पक्की जानकारी नहीं है.