नयी दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बीमार हैं. उनके शेयर मूल्यों में जबरदस्त गिरावट आयी है. एनपीए उनके लिए जी का जंजाल बना हुआ है. वित्तमंत्री अरुण जेटली व रिजर्व बैंक के गर्वनर रघुराम राजन दोनों के तेवर बैंकों पर कड़े हैं. मीडिया में यह खबरें आयी हैं कि सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की सेहत सुधारने के लिए उसमें विदेश निवेश की सीमा 20 प्रतिशत से 49 प्रतिशत करने की घोषणा कर सकती है या उनके लिए आर्थिक सहायता की घोषणा कर सकते हैं. वित्तमंत्री के लिए बैंकों की सेहत सुधारना इस बजट में बड़ी चुनौती है.
मालूम हो कि निवेशकों द्वारा सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के शेयरों में लगाए गए प्रत्येक 100 रुपये पर 150 रुपये के डूबेऋण या गैर निष्पादित आस्तियों यानी एनपीए का बोझ है. सरकारी बैंकों का डूबेऋण का आंकड़ा चार लाख करोड़ रुपये के पार चला गया है, जो इन कर्जदाताओं के बाजार मूल्य का डेढ़ गुना है. इसके विपरीत निजी क्षेत्र के बैंकों का एनपीए उनकी कुल बाजार हैसियत यानी शेयर भाव के हिसाब से इन बैंकों के मूल्यांकन का 6.6 प्रतिशत है. सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के मामले में यदि ऐसेऋण को भी शामिल किया जाए जिन्हें आगे चलकर एनपीए घोषित किया जा सकता है, तो मुश्किल में फंसेऋण खातों का आकार लगभग दोगुना होकरआठ लाख करोड़ रुपये के पार चला जाएगा. निजी क्षेत्र के बैंकों में यह समस्या कम गंभीर है. उनका सकल एनपीए 46,000 करोड़ रुपये है, जो उनके कुल बाजार मूल्य से काफी कम है. रिजर्व बैंक ने बैंकों के लिए अपने बही खाते को साफसुथरा करने की समयसीमा मार्च, 2017 तय की है. इसके चलते बैंकों को अपने एनपीए की घोषणा करने के अलावा सुधारात्मक उपाय करने और अपने वित्तीय बयान में उचित प्रावधान करना पड़ रहा है.
बैंकिंग क्षेत्र का सकल एनपीए उनके कुलऋण का पांच प्रतिशत है. घोषित तथा संभावित एनपीए कोजोड़ दें तो कुल संकटग्रस्त परिसंपत्तियां उनके बकायाकर्ज की करीब 11 प्रतिशत बैठती हैं. ताजा तिमाही नतीजों के विश्लेषण से पता चलता है कि 24 सूचीबद्ध सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए 31 दिसंबर, 2015 तक 3,93,035 करोड़ रुपये था. इनमें एसबीआइ और उसके अनुषंगी बैंक भी शामिल हैं. यह शेयर बाजार में उनकी कुल हैसियत की डेढ़ गुना है.
इन बैंकों का बाजार मूल्य फिलहाल 2,62,955 करोड़ रुपये है. यह उनके एक साल पहले के 2,61,918 करोड़ रुपये के सकल एनपीए पर करीब 50 प्रतिशत की बढोतरी है. रिजर्व बैंक के अनुसार जब किसी संपत्ति बैंक से आय होनी बंद हो जाती है तो यह बैंक की गैर निष्पादित या अवरद्ध आस्ति :एनपीए: बन जाती है. जब किसी कर्ज पर 90 दिन से अधिक तक ब्याज की प्राप्ति नहीं होती है, तो उस खाते को एनपीए घोषित कर दिया जाता है. भारतीय स्टेट बैंक और कुछ छोटे बैंकों को छोड़ कर सभी सूचीबद्ध सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए उनके बाजार पूंजीकरण से अधिक है. ज्यादातर मामलोंमें डूबेऋण बैंकों के बाजार मूल्य से दोगुना है. कुछ कर्जदाताओं का सकल एनपीए उनके बाजार मूल्यांकन से चार-पांच गुना है. वहीं दूसरी ओर ज्यादातर निजी क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए उनके बाजार मूल्य से कम है. हालांकि, उनके लिए भी डूबतऋण में उल्लेखनीय इजाफा हुआ है. 31 दिसंबर, 2015 तक 16 सूचीबद्ध निजी क्षेत्र के बैंकों का सकल एनपीए 46,271 करोड़ रुपये था. उनका बाजार मूल्य सात लाख करोड़ रुपये था. कुल मिलाकर सभी सूचीबद्ध बैंकों :सरकारी और निजी: का सकल एनपीए 4.4 लाख करोड़ रुपये है, जबकि उनका कुल बाजार मूल्यांकन 9.6 लाख करोड़ रपये है.