वे उत्तर कोरिया की सबसे लोकप्रिय समाचार वाचिका हैं.
रि चुन-ही परमाणु परीक्षण, रॉकेट लॉंचिंग और पश्चिम देशों की बुराइयों के बारे में सबको आगाह करती हैं.
कोरियन सेंट्रल टेलीविज़न पर समाचार पढ़ते हुए अपने चालीस साल के करियर में वे कभी रोई, कभी हंसी और कभी चिल्लाती हुई दिखीं.
हालांकि कोई नहीं जानता कि उनकी उम्र क्या है पर माना जाता है कि रि चुन-ही सत्तर से ऊपर की हैं.
वह शायद दुनिया की सबसे लोकप्रिय समाचार वाचिका हैं. लोगों को उनके बारे में अधिक से अधिक जानने की उत्सुकता रहती है.
रि चुन-ही को गुलाबी रंग पसंद है. ख़ासतौर पर लोकप्रिय कोरियाई ड्रेस चिमा जेओगोरी उनका ट्रेडमार्क है.
उन्होंने हाल ही में एक परमाणु बम से भी अधिक शक्तिशाली हथियार हाइड्रोजन बम परीक्षण की घोषणा करते समय यह ड्रेस पहनी थी.
अधिकारी रि चुन-ही पर भरोसा करते हैं और उनका सम्मान करते हैं.
माना जाता है कि उत्तर कोरिया के नेता किंग जोंग-उन की निजी रूप से इच्छा है कि रि चुन-ही ही उनकी पार्टी का संदेश दुनिया तक पहुंचाएं.
इससे पहले सत्ताधारी वर्कर्स पार्टी के नेताओं और किम जोंग उन के दादा और पिता, किम इल-सुंग और किम जोंग-इल की मौत का संदेश देने के लिए उन्हें ही चुना गया था.
रि चुन-ही ने हाल ही में ये ऐलान किया था कि उत्तर कोरिया ने एक रॉकेट लॉंच के साथ सफलतापूर्वक एक सैटेलाइट को उसकी कक्षा में स्थापित कर दिया है.
वह अन्य देशों के समाचार वाचकों के मुक़ाबले ज़्यादा नाटकीय हैं. वह अकेले ही लंबे समय तक बोल सकती हैं और इस दौरान चिल्ला सकती हैं, रो भी सकती हैं.
समाचार वाचिका के रूप में रि चुन-ही जब उत्तर कोरिया के नेताओं के संदेश प्रसारित करती हैं तो उनका लहजा एक सख़्त अधिनायकवादी जैसा होता है.
चुन-ही प्योंगयांग में रहती हैं. यहां जब वे बड़ी स्क्रीनों पर दिखती हैं तो लोग ताली बजाते हैं और कई बार रोते हैं.
संभव है कि उनके आंसू असली न हों, लेकिन उत्तर कोरिया में एक पार्टी के शासनतंत्र में निष्ठा नहीं दिखाने का मतलब मृत्युदंड भी हो सकता है.
चुन-ही के प्रशंसकों की संख्या अच्छी ख़ासी मालूम पड़ती है. संभव है कि वह अब स्क्रीन पर बहुत लंबे समय तक न दिखें.
उन्होंने हाल ही में बताया था कि वे समाचार वाचन का काम छोड़कर नई महिला समाचार वाचिकाओं को प्रशिक्षित करना चाहती हैं.
माना जाता है कि वे शानदार ज़िंदगी जीती हैं. चुन-ही राजधानी प्योंगयांग के सबसे अच्छे रेस्तरां और मनोरंजन स्थलों में जाती हैं.
हालांकि उत्तर कोरिया में आम लोगों की जिंदगी काफी मुश्किल है. नौकरियों की कमी और लगातार बिजली कटौती के कारण लोग परेशान हैं.
सहायता एजेंसियों का मानना है कि नब्बे के दशक के मध्य से खाने की कमी के कारण उत्तर कोरिया में 20 लाख तक लोगों की जान जा चुकी है.
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