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परिवारवालों से अच्छा दोस्त कोई नहीं
दक्षा वैदकर आपने अक्सर माता-पिता को यह कहते सुना होगा कि ‘‘बाहरवालों से तुम कितनी अच्छी बातें करते हो, इज्जत देते हो, लेकिन घरवालों से बात करते समय क्यों ऐसे चिढ़ कर बोलते हो’’. आपने यह भी गौर किया होगा कि युवाओं को फिल्म देखने जाना हो, तो वे अपने दोस्तों के साथ जाना पसंद […]
दक्षा वैदकर
आपने अक्सर माता-पिता को यह कहते सुना होगा कि ‘‘बाहरवालों से तुम कितनी अच्छी बातें करते हो, इज्जत देते हो, लेकिन घरवालों से बात करते समय क्यों ऐसे चिढ़ कर बोलते हो’’. आपने यह भी गौर किया होगा कि युवाओं को फिल्म देखने जाना हो, तो वे अपने दोस्तों के साथ जाना पसंद करते हैं. भाई-बहन के साथ उन्हें ऐसी जगहों पर घूमना पसंद नहीं.
क्या आपको इसकी वजह पता है? यहां वही कहावत लागू होती है ‘घर की मुर्गी दाल बराबर.’ दरअसल हमें अपने माता-पिता व भाई-बहन की कद्र ही नहीं है. हमें बाहर के लोग पसंद आते हैं, क्योंकि वह हमारी तारीफ करते हैं, हमें टोकते नहीं हैं, हमें अपनी मरजी से जीने देते हैं. इसके विपरित माता-पिता व भाई-बहन हमारी झूठी तारीफ नहीं करते. वह सच-सच बोलते हैं. अगर हम कुछ गलत करें, तो टोकते हैं, डांटते हैं.
लेकिन, अगर हम ध्यान से देखेंगे और सोचेंगे, तो पायेंगे कि दोस्तों की तुलना में हमारा परिवार ही हमारा सबसे ज्यादा भला चाहता है. परिवार का हर सदस्य चाहता है कि हमारे साथ कुछ बुरा न हो. हमें तकलीफ न पहुंचे. इसलिए वे कदम-कदम पर हमें गाइड करते हैं, टोकते हैं. ऐसे में यह सोचना बिल्कुल ही गलत है कि माता-पिता को मेरी चिंता नहीं. वह तो मुझे सिर्फ डांटते रहते हैं. उन्हें मेरी कद्र नहीं. वह मुझसे प्यार करते, तो फलां चीज दिला देते. वह मेरी भावनाओं को समझते, तो मुझे उस रात को पार्टी में जाने देते.
दोस्तों, यह याद रखें कि भले ही दोस्त आपके पीठ पीछे गॉसिप करने लगे, मन ही मन परीक्षा में आपसे आगे निकलने का कंपीटीशन रखें, दूसरे शहर जाने के बाद नये दोस्त बना कर आपको भूल जायें, लेकिन माता-पिता व भाई-बहन ऐसा कभी नहीं करेंगे. इसलिए अपना सबसे पहला दोस्त अपने माता-पिता व भाई-बहन को बनाएं.
जितना सम्मान, प्यार व वक्त आप बाहरवालों को देते हैं, उतना ही घरवालों को दें. दोस्तों के साथ फिल्म देखने की बजाय भाई-बहनों के साथ फिल्म देखें. बाहर जा कर न्यू ईयर मनाने की बजाय परिवार के साथ खुशियां बांटें. फिर देखें, परिवार में कितनी खुशियां आती हैं.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
– जो बच्चे अपने खून के रिश्तों को सम्मान व प्यार नहीं दे सकते, वे फिर किसी भी रिश्ते को निभा नहीं पायेंगे. अपनी गलती को तुरंत सुधारें.
– यह सोचना बिल्कुल भी गलत है कि परिवार वालों से सीक्रेट शेयर नहीं किया जा सकता. आप धीरे-धीरे उनसे दोस्ती तो करें. फिर देखें जादू.
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