दक्षा वैदकर
हेनरी फोर्ड का जन्म 30 जुलाई, 1863 को अमेरिका के ग्रीन फील्ड टाउन में एक किसान परिवार में हुआ था. उन्हें बचपन से ही मशीन में दिलचस्पी थी. लेकिन, जब उन्होंने प्राइमरी स्कूल की पढ़ाई पूरी की, तो उनके पिता ने उन्हें खेती के काम में लगा दिया. वे वहां भी समय निकाल कर अपने दोस्तों की घड़ियों के पुर्जे-पुर्जे खोल कर उन्हें फिर से जोड़ देते थे.
तब उनके पिता गुस्सा करते थे और यातनाएं देते थे. फिर सोलह साल की उम्र में वे घर से भाग कर डेट्रॉइट पहुंच गये और स्टीम इंजन सुधारनेवाली दुकान में काम करने लगे. उन दिनों वे दिन-रात काम करते थे, जिसकी वजह से हेनरी एक साल के भीतर ही कंपनी के चीफ इंजीनियर बन गये. तब उन्हें 125 डॉलर तनख्वाह मिलती थी, जिसमें से वो 100 डॉलर बचा लेते थे.
जब उनके पास हजार डॉलर जमा हो गये, तब उन्होंने एक ऐसी कार बनाने की योजना बनायी, जो सस्ती हो और आम आदमी के बजट में फिट बैठती हो. फिर एक साल के अंदर ही उनकी ‘मॉडल टी’ कार तैयार हो गयी. उसने सड़क पर आते ही धूम मचा दी. वह कार इतनी सस्ती थी कि आम लोग भी उसे खरीद सकते थे. काले रंग की उस कार को ग्राहकों ने खूब पसंद किया. फिर सेल के सारे रिकॉर्ड टूट गये.
जितनी कारें साल में बनती थीं, उससे ज्यादा डिमांड रहती थीं. तब हेनरी कहते थे, ‘मेहनत हमेशा रंग लाती है, लेकिन आपको विश्वास होना चाहिए कि मैं किसी भी काम को कर सकता हूं. आप बस उस रहस्य को जानने की कोशिश कीजिए, जो आपको सफलता का रास्ता दिखाये.’ बाद में हेनरी ने अपनी कंपनी को सफलता के शिखर पर पहुंचा दिया. अब उनके पोते और प्रपौत्र उस कंपनी को चलते हैं.
एक बार वे लंदन गये, वहां उन्होंने पूछताछ कार्यालय में जाकर सस्ते होटल के बारे में जानकारी मांगी, तब कर्मचारी बोला, ‘आपके बच्चे जब कभी यहां आते हैं, तो आलीशान होटल में ठहरते हैं और आप सस्ते होटल के बारे में जानकारी मांग रहे हैं.’ हेनरी फोर्ड का जवाब था, ‘मैं एक गरीब बाप का बेटा हूं और मेरे बच्चे अमीर बाप के.’
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
– जब आप किसी दूसरे के जैसा बनने की कोशिश करते हैं, तो आप हमेशा दूसरे स्थान पर रहते हैं, इसलिए भीड़ का हिस्सा न बनें.
– ट्रेन का इंजन बनें, क्योंकि इंजन को कोई नहीं खींचता. वह खुद अपनी ऊर्जा से चलता है. लेकिन, डिब्बों को चलाने के लिए उसकी जरूरत पड़ती है.