दक्षा वैदकर
एक व्यक्ति की मौत का वक्त नजदीक आ रहा था, लेकिन वह उस समय रेगिस्तान के रास्ते से कहीं जा रहा था. उसी समय उसके पास यमदूत आया, जिसे बहुत प्यास भी लग रही थी. उस व्यक्ति ने यमदूत को पहचाना नहीं, लेकिन फिर भी जब यमदूत ने पानी मांगा, तो उसने उसे पानी पिलाया और कुशलक्षेम पूछी. इसके बाद उस व्यक्ति ने पूछा, ‘तुम कौन हो और मेरे पास क्यों आये हो? यमदूत बोला, मैं यमदूत हूं और मृत्युलोक से तुम्हारे प्राण लेने आया हूं.
यमदूत ने कहा, तुमने मुझे पानी पिलाया. मुझे तुम अच्छे आदमी लगे, इसलिए मैं तुम्हें यह भाग्य की पुस्तक देता हूं. तुम इसे खोल कर अपना भाग्य बदल सकते हो, लेकिन याद रखना, तुम्हें केवल पांच मिनट का ही समय मिलेगा. यमदूत ने उसे वह पुस्तक दे दी. उस व्यक्ति ने पुस्तक पलटी, तो सबसे पहले उसके पड़ोसी का पन्ना खुल गया. उसे अपने पड़ोसी का जीवन दिखाई दिया. उनका खुशहाल जीवन देख कर वह ईर्ष्या से भर गया.
उसने तुरंत अपनी कलम निकाली और उसके भाग्य को जितना बिगाड़ सकता था, उसने बिगाड़ दिया. इसी तरह उसने अपने अन्य पड़ोसियों व रिश्तेदारों के पन्नों में किया. अंत में वह अपने जीवन के पन्ने तक पहुंचा. उसमें उसे अपनी मौत अगले ही पल आती दिखी. इससे पहले कि वह अपने जीवन में कोई फेरबदल कर पाता, मौत ने उसे अपने आगोश में ले लिया, क्योंकि उसे देवदूत से मिले पांच मिनट पूरे हो चुके थे.
वर्तमान समय में ऐसे कई लोग हमें नजर आ जाते हैं, जो अपने जीवन को संवारने की बजाय, दूसरों के काम बिगाड़ने में अपना समय बरबाद करते रहते हैं. उनका केवल एक ही लक्ष्य होता है और वह यह कि सामनेवाले की जिंदगी में भूचाल कैसे लाया जाये. किसी की नौकरी लगनेवाली होती है, तो वे अधिकारी के कान भर देते हैं. किसी की शादी होनेवाली हो, तो वे उस व्यक्ति की बुराई उसकी ससुराल कर आते हैं. ऐसे लोगों का पूरा जीवन दूसरों का जीवन बिगाड़ने में ही चला जाता है. इस तरह वे खुद का जीवन भी ठीक से जी नहीं पाते और जिंदगी की किताब खत्म हो जाती है.
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
कई लोग दूसरों का अहित करने में अपना बहुमूल्य समय गंवा देते हैं. बेहतर होगा कि हम अपने हितों को ध्यान में रख कर अच्छे कर्म करें.
अपने अंदर जलन की भावना न जगने दें. दूसरों के बारे में सोच-सोच कर खून जलाने से बेहतर हैं कि अपनी तरक्की व कर्म पर ध्यान दें.
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