दिल्ली से सटे हरियाणा के गुड़गांव में सोमवार सुबह एक लड़की को अगवा किए जाने के सात घंटे बाद पुलिस ने हालांकि सकुशल खोज लिया, लेकिन इससे शहरों में सुरक्षा व्यवस्था को लेकर फिर सवाल उठता है.
पुलिस के मुताबिक उसे अगवा करने वाले लोग जानकार ही थे. लेकिन इस पूरे मामले ने महिला सुरक्षा पर एक बार फिर सवालिया निशान लगा दिया.
दिल्ली के पूर्व कमिश्नर आरएस गुप्ता कहते हैं, "मेरे ख़्याल में जानकार होना या न होना सवाल नहीं है. सवाल ये है कि क्या मर्ज़ी के ख़िलाफ़ किसी को उठाया गया है या नहीं. इस केस में ऐसा लगता है कि उसे उसकी मर्ज़ी के ख़िलाफ़ उठाया गया है."
वो कहते हैं, "इस प्रकार की स्थिति में पुलिस ने जो काम किया वो तारीफ के क़ाबिल है. उन्होंने सात घंटे के भीतर लड़की को ढूंढ निकाला."
साथ ही, उन्होंने दिल्ली-एनसीआर में सीसीटीवी को सुरक्षा का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग बताया.
आरएस गुप्ता कहते हैं, "ऐसे हादसे रोकने के लिए बहुत ज़रूरी है कि दिल्ली और गुड़गांव जैसे शहरों में सीसीटीवी कैमरे अधिक संख्या में होने चाहिए."
उन्होंने कहा, "केवल यही नहीं उनकी निगरानी भी होती रहनी चाहिए. सिर्फ ये नहीं कि सीसीटीवी लगा के छोड़ दिए. अगर कोई कैमरा किसी आपराधिक घटना को पकड़ता है तो उस पर तुरंत कार्रवाई भी होनी चाहिए."
उन्होंने कहा कि जब तक कानून व्यवस्था और पुलिस मज़बूत नहीं होंगे तब तक ‘जिस प्रभाव की उम्मीद हम कर रहे हैं वो कैसे आएगा’?
उनके अनुसार, "अगर कोई अपराध करता है तो यह ज़रूरी है कि वो अपराध जल्द से जल्द संज्ञान में आए, अपराधी पकड़े जाएं और उसके बाद उन्हें जल्दी सज़ा हो तभी असर पड़ेगा."
समाज की भागीदारी के बारे में वो कहते हैं, "समाज की भी ज़िम्मेदारी है कि अगर उन्हें किसी अपराध की जानकारी है तो पुलिस को जल्द इसकी सूचना दें और कार्यवाही में पुलिस का सहयोग दें."
अपराध को रोके जाने के लिए उपायों पर आरएस गुप्ता कहते हैं, "हर मामले का ठीक ढंग से परीक्षण किया जाना ज़रूरी है ताकि यह पता चल सके कि क्या हम उसे रोक सकते थे."
"दूसरी तरफ अगर कोई अपराध हुआ है तो जल्दी उसकी जांच करने के बाद, उस पर केस चला कर दोषियों को सज़ा दिलानी चाहिए."
(बीबीसी संवाददाता वात्सल्य राय से बातचीत पर आधारित)
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