साल ख़त्म होने को है और इस मौक़े पर बीबीसी ने फ़िल्म समीक्षकों मंयक शेखर और अमोद मेहरा से यह जानने की कोशिश की कि आख़िर वो कौन सी फ़िल्में थीं, जिन्हें चर्चा तो मिली पर निर्माता का ख़र्च नहीं निकला.
हम यहां छोटे बजट की चर्चित फ़िल्मों जैसे ‘तितली’, ‘कजरिया’ और ‘एंग्री इंडियन गॉडेस’ जैसी फ़िल्मों की नहीं बल्कि बात करेंगे लोकप्रिय, मेगाबजट और चर्चित फ़िल्मों की, जिन्हें बॉक्स ऑफ़िस पर निराशा मिली. फ़िल्म समीक्षक इन्हें एक सुर में फ़्लॉप क़रार देते हैं.
साल की शुरुआत अर्जुन कपूर, सोनाक्षी सिन्हा और मनोज वाजपेयी स्टारर फ़िल्म ‘तेवर’ से हुई थी. इसमें सलमान के फ़ैन्स को लुभाने के लिए एक गाना ‘मैं तो सलमान का फ़ैन’ भी डाला गया था पर इसे न सलमान के फ़ैन मिले न उपर लिखे तीनों कलाकारों के. लगभग 40 करोड़ के बजट में बनी ये फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर देशभर में लगभग 39 करोड़ का बिज़नेस ही कर पाई.
फ़रवरी में रिलीज़ हुई ‘रॉय’ में मुख्य अभिनेता अर्जुन रामपाल और जैकलीन फ़र्नांडिज़ थे और रणबीर का इसमें छोटा सा रोल था लेकिन इसका प्रचार ऐसे किया गया जैसे रणबीर भी इसका हिस्सा हैं. फ़िल्म को न समीक्षकों ने सराहा, न फ़ैन्स ने और अच्छी ओपनिंग मिलने के बावजूद 40 करोड़ की लागत में बनी यह फ़िल्म 58 करोड़ ही कमा पाई.
फ़रवरी में ही रिलीज़ हुई फ़िल्म ‘शमिताभ’ को अमिताभ बच्चन की आवाज़ के लिए ट्रिब्यूट माना जा रहा था लेकिन यह फ़िल्म बॉक्स ऑफ़िस पर कोई ट्रिब्यूट नहीं दे पाई. कमल हासन की बेटी अक्षरा ने इससे अपना डेब्यू भी किया था मगर फ़िल्म की बॉक्स ऑफ़िस कमाई 22.46 करोड़ ही रही.
अप्रैल में रिलीज़ निर्देशक दिबाकर बनर्जी की फ़िल्म ‘डिटेक्टिव ब्योमकेश बख़्शी’ की इंडस्ट्री के अंदर और बाहर ख़ासी चर्चा थी मगर इसे भी दर्शक नहीं मिले. 35 करोड़ की लागत से बनी यह फ़िल्म देशभर में क़रीब 30-32 करोड़ कमाकर अपनी लागत भी नहीं वसूल सकी.
मई के महीने में रिलीज़ हुई ‘बॉम्बे वेलवेट’ साल की सबसे चर्चित फ़िल्मों में एक थी लेकिन यह साल की सबसे बड़ी फ़्लॉप साबित हुई. रणबीर कपूर, अनुष्का शर्मा के अभिनय से सजी इस फ़िल्म में करण जौहर पहली बार मुख़्य विलेन के किरदार में थे और अनुराग कश्यप इसका निर्देशन कर रहे थे लेकिन यह फ़िल्म 120 करोड़ की लागत के मुक़ाबले बॉक्स ऑफ़िस पर 30 करोड़ भी नहीं कमा सकी. हालात ये थे कि दर्शकों की कमी के चलते इसके कई शो रद्द भी करने पड़े.
बॉलीवुड के दबंग यानी सलमान ख़ान ने इस साल दो स्टार किड्स को लॉन्च करने का बीड़ा उठाया था, पर यह लॉन्चिंग फ़ेल रही. 1983 में आई फ़िल्म ‘हीरो’ के इस रीमेक में मुख्य किरदार आदित्य पंचोली के बेटे सूरज पंचोली और सुनील शेट्टी की बेटी अथिया ने निभाया, लेकिन फ़िल्म समीक्षकों ने इनकी अभिनय क्षमता पर सवालिया निशान खड़ा किया, वहीं दर्शकों ने भी इसे नकार दिया.
हालांकि इसके प्रचार प्रसार में सलमान ख़ान ने अपनी पूरी क्षमता लगाई और इसके टिकट ख़रीदने वालों से मिलने का वादा भी किया, लेकिन दर्शकों को ‘हीरो’ पसंद नहीं आया.
विश्व सुंदरी रही ऐश्वर्या राय बच्चन की वापसी के कारण चर्चा में रही फ़िल्म ‘जज़्बा’ भी बॉक्स ऑफ़िस पर कोई कमाल नहीं दिखा पाई और मात्र 30 करोड़ की लागत में बनी इस फ़िल्म ने बॉक्स ऑफ़िस पर 33 करोड़ कमाने के बाद दम तोड़ दिया.
साल का अगला झटका थी ‘क्वीन’ जैसी सुपरहिट बनाने वाले निर्देशक विकास बहल की फ़िल्म ‘शानदार’. शाहिद कपूर, पकंज कपूर, आलिया भट्ट जैसे नाम भी इस फ़िल्म को बॉक्स ऑफ़िस पर पार नहीं लगा पाए.
इनके अलावा विद्या बालन अभिनीत फ़िल्म ‘हमारी अधूरी कहानी’, कंगना राणौत की ‘कट्टी बट्टी’, अभिषेक बच्चन की अर्से बाद आई सोलो फ़िल्म ‘ऑल इज़ वेल’ भी सुपरफ़्लॉप साबित हुईं, लेकिन इन्हें ख़ासी चर्चा नहीं मिली और इसलिए ये फ़िल्में हमारी लिस्ट में नहीं हैं.
हालांकि एक चर्चित फ़िल्म के हिट न होने का दुख़ मंयक शेखर को रहा. "मेघना गुलज़ार की ‘तलवार’ बेहतरीन फ़िल्म थी और अच्छे विषय पर बनी इस कसी हुई फ़िल्म की चर्चा होनी चाहिए थी लेकिन अफ़सोस कभी-कभी अच्छी फ़िल्मों को भी दर्शक नहीं मिलते."
वैसे फ़िल्मों के असफल होने के पीछे कई वजहें बताई जाती हैं, जिनमें फ़िल्म की कहानी, अच्छी अदाकारी और प्रचार के अलावा फ़िल्में रिलीज़ के लिए पर्याप्त स्क्रीन न मिलना भी माना जाता है जिसके चलते दर्शक चाहकर भी फ़िल्में नहीं देख पाते.
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