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वह अपनी जिंदगी में खुश है, आप भी रहें
दक्षा वैदकर फेसबुक पर हम कई लोगों को बिना मिले सिर्फ प्रोफाइल फोटो व प्रोफेशन देख कर दोस्त बना लेते हैं. कोई डॉक्टर, इंजीनियर, कवि, सरकारी नौकरी, सेलिब्रिटी टाइप दिखता है, तो हमें लगता है कि यह सभ्य इनसान है. पढ़ा-लिखा भी है. इससे फेसबुक पर दोस्ती की जा सकती है. हम उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट […]
दक्षा वैदकर
फेसबुक पर हम कई लोगों को बिना मिले सिर्फ प्रोफाइल फोटो व प्रोफेशन देख कर दोस्त बना लेते हैं. कोई डॉक्टर, इंजीनियर, कवि, सरकारी नौकरी, सेलिब्रिटी टाइप दिखता है, तो हमें लगता है कि यह सभ्य इनसान है. पढ़ा-लिखा भी है. इससे फेसबुक पर दोस्ती की जा सकती है. हम उसे फ्रेंड रिक्वेस्ट भेज देते हैं या अगर उसकी आयी रिक्वेस्ट को एक्सेप्ट भी कर लेते हैं. कुछ दिनों तक एक-दूसरे की फोटो व पोस्ट पर कमेंट, लाइक का सिलसिला चलता है.
कई बार हम चैट पर बात भी कर लेते हैं. लेकिन, जब कई महीनों तक बात नहीं होती, तो हम भूल जाते हैं कि हमारी फ्रेंड लिस्ट में ऐसा भी कोई है. फिर एक दिन अचानक किसी बात से याद आता है कि ‘अरे, फलां दोस्त बहुत दिनों से फेसबुक पर दिखा ही नहीं. उसने न तो कोई कमेंट किया, न ही कोई लाइक. न ही अपनी कोई फोटो ही अपलोड की. अगर की होती, तो मुझे जरूर दिखती.’ हम तुरंत सर्च में उसका नाम डाल कर उसकी वॉल पर जाते हैं और पाते हैं कि उसने हमें अनफ्रेंड कर दिया है.
तब हमें पता चलता है कि ‘ओह, इसलिए इसकी पोस्ट इतने दिन से मुझे दिख नहीं रही थी.’ अब हमारा सोचने का सिलसिला शुरू होता है कि उसने मुझे अनफ्रेंड क्यों किया? क्या मेरी कोई बात बुरी लगी? क्या उसे मुझसे बात करना पसंद नहीं? क्या उसे मैं पसंद नहीं? क्या मैं इस काबिल भी नहीं हूं कि वह मुझे फेसबुक पर दोस्त रखे? क्या वह मुझे नहीं दिखाना चाहता कि उसकी लाइफ में क्या चल रहा है? क्या मैं इतना बुरा हूं कि उसके हजार दोस्तों में भी मेरा नाम नहीं आता? आखिर क्या वजह है कि उसने मुझे अपनी लिस्ट से हटाया?
मैं अभी उससे मैसेज कर के पूछता हूं कि मुझे फ्रेंड लिस्ट से क्यों हटाया गया? लेकिन, मैं क्यों दोस्ती के लिए गिड़गिड़ाऊ? उफ्फ.. अब सोचनेवाली बात है कि जिस दोस्त के बारे में आप कुछ महीनों से भूल चुके थे और इन सब बातों का आपकी जिंदगी पर कोई असर भी नहीं पड़ रहा था, उस दोस्त के बारे में अचानक याद आने पर और यह देखने पर कि उसने आपको दोस्तों की लिस्ट से हटा दिया, ऐसा क्या पहाड़ टूट पड़ा?
daksha.vaidkar@prabhatkhabar.in
बात पते की..
– दोस्तों, जिस दोस्त से आप कभी मिले ही नहीं, ज्यादा जान-पहचान ही नहीं, उसके चले जाने का अफसोस क्यों? आप अपनी लाइफ में मस्त होकर रहें.
– हर इंसान को हक है कि वह अपने दोस्तों का चुनाव खुद करे. आप भी तो कुछ लोगों को पसंद नहीं करने पर चुपके से उन्हें अनफ्रेंड कर देते हैं.
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