प्रकृति से सीख कर वैज्ञानिक मशीनें बनाते रहे हैं. जर्मनी की एक टेक्निकल यूनिवर्सिटी भी फिलहाल कुछ ऐसा ही कर रही है. आखेन यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक बिना ऊर्जा के द्रव को गुरुत्व दिशा के विपरीत बहाना चाहते हैं. इसके लिए उन्हें एक खास छिपकली टेक्सास हॉर्न से प्रेरणा मिली है. इसमें एक बेहद खास गुण है, इसका पानी जुटाने का हुनर.
ये ऐसी जगह रहती हैं, जहां पानी का कोई स्रोत नहीं होता. उसकी त्वचा में मौजूद रंध्रों के बीच माइक्रोस्कोपिक चैनल होते हैं, जो रेत की नमी में मौजूद पानी की बहुत कम मात्रा को भी खींचते हुए छिपकली के मुंह तक पहुंचाते हैं. शोधकर्ता छिपकली की त्वचा में मौजूद पानी के चैनलों की तकनीक को समझते हुए इसे प्लास्टिक और मेटल सरफेस पर आजमाना चाहते हैं. ऐसा हुआ तो बिना किसी ऊर्जा के इस्तेमाल के द्रव गुरुत्व बल के विपरीत ऊपर की ओर बहने लगेगा. इसके सफल परीक्षण के लिए टेक्सास हॉर्न छिपकली की मदद ली जा रही है.
एक हाइ स्पीड कैमरे की मदद से यह देखा जा रहा है कि पानी की बूंदें अलग-अलग दिशाओं में फैलने के बजाय कितनी तेजी से छिपकली की त्वचा से मुंह की ओर जाती हैं. छिपकली की त्वचा के भीतर और भी कई गुण हैं. शोधकर्ताओं को अभी उनमें से सिर्फ एक ही का पता चला है. बिना किसी ऊर्जा के लिक्विड को ट्रांसपोर्ट करना, छिपकली की मदद से यह तकनीक भविष्य में मदद कर सकती है. लेकिन प्रकृति के इस जटिल रहस्य को सुलझाने के लिए फिलहाल इंतजार करना होगा.