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खगोलविज्ञानी और स्वतंत्रता सेनानी थे साहा

मेघनाद साहा खगोलविज्ञानी के साथ ही स्वतंत्रता सेनानी भी थे. यही कारण है कि वे अपने कार्यो से भारतीय इतिहास में अमर हो गये हैं. मेघनाद साहा का जन्म बंगाल के शिओरताली गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम जगन्नाथ साहा तथा माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था. गरीबी के कारण साहा को आगे […]

मेघनाद साहा खगोलविज्ञानी के साथ ही स्वतंत्रता सेनानी भी थे. यही कारण है कि वे अपने कार्यो से भारतीय इतिहास में अमर हो गये हैं.

मेघनाद साहा का जन्म बंगाल के शिओरताली गांव में हुआ था. उनके पिता का नाम जगन्नाथ साहा तथा माता का नाम भुवनेश्वरी देवी था. गरीबी के कारण साहा को आगे बढ़ने के लिए बहुत संघर्ष करना पड़ा. उनकी आरंभिक शिक्षा ढाका कॉलेजिएट स्कूल में हुई. उनकी अध्यक्षता में गठित विद्वानों की एक समिति ने भारत के राष्ट्रीय शक पंचांग का भी संशोधन किया. इसके अलावा साहा इंस्टीट्यूट ऑफ न्यूक्लियर फिजिक्स तथा इंडियन एसोसिएशन फॉर द कल्टीवेशन ऑफ साइंस नामक दो महत्वपूर्ण संस्थाओं की स्थापना की. साहा इलाहाबाद व कलकत्ता विश्वविद्यालय में प्राध्यापक रहे और रॉयल सोसायटी के फेलो भी चुने गये थे.

देश की आजादी में योगदान
वे भारतीय विज्ञान कांग्रेस के अध्यक्ष भी बने. उनको प्रतिभाशाली अध्यापक एवं सहपाठी का सहयोग मिला. उन्होंने देश की आजादी में भी योगदान दिया था. अंगरेज सरकार ने बंगाल के आंदोलन को तोड़ने के लिए जब इस राज्य का विभाजन कर दिया तो मेघनाद भी इससे अछूते नहीं रहे. उस समय पूर्वी बंगाल के गर्वनर सर बामिफल्डे फुल्लर थे.

अशांति के इस दौर में जब फुल्लर मेघनाद के ढाका कालिजिएट स्कूल में मुआयने के लिए आये तो उन्होंने साथियों के साथ फुल्लर का बहिष्कार किया. इससे मेघनाद को स्कूल से बाहर का रास्ता भी दिखा दिया. प्रेसीडेंसी कालेज में पढ़ते हुए ही मेघनादक्रांतिकारियोंके संपर्क में आये. उस समय आजादी के दीवाने नौजवानों के लिए अनुशीलन समिति से जुड़ना देश सेवा का पहला पाठ माना जाता था. मेघनाद साहा भी इस समिति से जुड़ गये. उनका देहांत दिल्ली में हृदयघात से हुआ.

मेघनाद साहा
जीवनकाल : 1893-1956

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