आपने कई ऐसे पैरेंट्स को देखा होगा, जो अपने बच्चों के अंगूठा चूसने से परेशान रहते हैं. कभी-कभी उन्हें परिवार में बच्चों की इन हरकतों को लेकर शर्मिदगी का सामना करना पड़ता है. होमियोपैथ में कई ऐसी दवाइयां हैं, जिनके सेवन से बच्चों की इन हरकतों पर काबू पाया जा सकता है.
बच्चों में दो-तीन साल तक की उम्र में अंगूठा चूसना एक साधारण बात मानी जाती है. मगर ज्यादा उम्र के बच्चों में यह एक असाधारण क्रिया बन जाती है, जब बच्चों के उम्र चार से ऊपर हो जाये. यह आदत बना रहे, तब वैसे बच्चों के दांत बाहर की ओर उभरने लगते हैं. उन्हें बोलने में भी दिक्कत होने लगती है. अधिकांश बच्चे 3-4 वर्ष की उम्र तक खुद ही अंगुली चूसना बंद कर देते हैं.
अंगूठा चूसना निम्नलिखित बातों का संकेत देता है.
भूख लगने का, थकावट होने का, दांत निकलने का, नींद आने का, भय व बैचेनी का.
लक्षण : अगर कोई बच्च 4 वर्ष के बाद भी अगूंठा चूसता है, तब पैरेंट्स को इसकी छूटने की फिक्र करनी चाहिए. वरना बच्चों के दांत बाहर उभरने लगते हैं. अंगूठा भी बरबाद होने लगता है. बच्चे की साधारण जिंदगी जैसे खेलना, सीखना और सामाजिक वातावरण आदि से दूर ले जाने लगता है. उसे दूसरे बच्चे चिढ़ाने लगते हैं और शर्म महसूस करने लगते हैं.
मुंह के तालु पर भी बुरा असर पड़ता है और वह नाजुक होने की वजह से धंसने लगता है.
गले और पेट की विभिन्न बीमारियां होने का डर रहता है.
अंगूठे के चमड़े में कड़ापन आ जाता है.
पैरेंट्स इन बातों का रखें ध्यान
बच्चे का अंगूठा मुंह से जबरदस्ती न खींचे, वरना वह जिद से फिर अंगूठा चूसने लगता है.
प्यार से बच्चे को ऐसा करने से मनाएं या रोकें.
बच्चे के हाथों में कुछ सामान देकर उसे व्यस्त कर दें.
अगर बच्चा थोड़ा बड़ा है, तब उसे समझाएं कि दांत बाहर आ जायेंगे, अंगूठा बरबाद हो जायेगा, बार-बार गले में संक्रमण रोग होगा इत्यादि.