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देश का मूड मोदीमय है

पांच राज्यों में होनेवाले विधानसभा चुनावों और आगामी आम चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी और एनडीए की तैयारियों से जुड़े सवालों पर भाजपा की तेज-तर्रार प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी से बातचीत की कमलेश कुमार सिंह ने. प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश. पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों को 2014 का सेमीफाइनल माना […]

पांच राज्यों में होनेवाले विधानसभा चुनावों और आगामी आम चुनाव को लेकर भारतीय जनता पार्टी और एनडीए की तैयारियों से जुड़े सवालों पर भाजपा की तेज-तर्रार प्रवक्ता मीनाक्षी लेखी से बातचीत की कमलेश कुमार सिंह ने. प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश.

पांच राज्यों में होने जा रहे विधानसभा चुनावों को 2014 का सेमीफाइनल माना जा रहा है. पार्टी के लिहाज से कैसी संभावनाएं देख रही हैं?
छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में माहौल हमारे पक्ष में दिख रहा है. हमारे पक्ष में बेहतरीन चुनावी परिणाम सामने आयेंगे. सही समय पर सही लोगों को टिकट मिल जाये, यह भी आवश्यक है. आज देश की माटी और मानुष का मूड कांग्रेस के कुशासन के खात्मे के पक्ष में है. वे भाजपा के नेतृत्व में सुशासन स्थापित करना चाहते हैं. एक तरह से देश का मूड, मोदी मूड (मोदीमय) है. देश की जमीनी राजनीतिक हकीकत को समझने में कांग्रेस नाकाम साबित हो रही है. इसलिए बेसुरे और बेतुके बयान दे रही है.

चुनाव पूर्व प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने का कितना लाभ मिलता दिख रहा है?
मोदीजी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने के बाद देश भर में भाजपा की अगुवाईवाले एनडीए के पक्ष में माहौल बनता दिख रहा है. पार्टी कार्यकर्ताओं में गजब का उत्साह पैदा हुआ है. जब तक कार्यकर्ता जमीन पर नहीं उतरेंगे, तब तक चुनावी लाभ हासिल करना मुमकिन नहीं है. मोदी के व्यक्तित्व के कारण जो लोग भाजपा के साथ नहीं भी जुड़े हैं, वे भी उनके नाम पर पार्टी के पक्ष में वोट डालने को तैयार हो गये हैं. आज की तारीख में एक बात ध्रुव सत्य है कि देश के लोग मोदीजी को प्रधानमंत्री के तौर पर देखना चाहते हैं.

मोदी की रैलियों में काफी भीड़ जुट रही है. क्या आपको लगता है कि यह भीड़ वोट में परिवर्तित हो पायेगी?
बिल्कुल वोट में परिवर्तित होगी. मोदीजी की रैलियों में लोगों की भागीदारी को महज भीड़ के तौर पर देखना अनुचित आकलन होगा. मोदीजी की रैलियों में बड़ी संख्या में लोगों की भागीदारी से साफ है कि लोग उनमें करिश्माई छवि देख रहे हैं. मोदीजी ने लोगों को काम करके दिखाया है. उनके उल्लेखनीय कामों से लोग भली-भांति परिचित हैं. लोगों को उनमें आशा और उम्मीद की किरण दिख रही है. लोग मोदीजी को एक मौका देना चाहते हैं. लोग मानते हैं वे ही हमारा भविष्य बदल सकते हैं और देश को तरक्की की राह पर अग्रसर कर सकते हैं.

आज की तारीख में देश के लगभग आधे मतदाता युवा हैं. ऐसे में युवाओं को आकर्षित करने के लिए पार्टी के पास क्या खास रणनीति है?
जब आप पार्टी के घोषणा-पत्र की बात करते हैं, चाजर्शीट की बात करते हैं. जनता की क्या उम्मीदें थीं और निकम्मी यूपीए सरकार कहां-कहां विफल साबित हुई. विभिन्न राज्यों में भाजपा या एनडीए राज्य सरकारों की क्या उपलब्धियां रही हैं. इन दोनों विषयों को लोगों के सामने लाना है. इन्हीं के जरिये युवाओं के प्रति पार्टी और एनडीए की सोच सामने आयेगी. आज युवाओं के सामने सबसे बड़ी समस्या रोजगार की है. करोड़ों युवा बेरोजगार बैठे हैं. यूपीए ने युवाओं की योग्यता विकास के लिए कुछ भी नहीं किया. कार्यक्षमता या स्वरोजगार बढ़ाने पर सरकार ने कोई काम नहीं किया. यह सरकार काम मांगनेवाले युवाओं को नौकरी नहीं दे पायी. उसने युवाओं के प्रति अपने धर्म का पालन नहीं किया. यूपीए सरकार ने जिस तरह से देश की अर्थव्यवस्था का भट्ठा बिठाया है, उसके लिए सिर्फ कांग्रेस जिम्मेवार है. एनडीए का शासन हर लिहाज से बेहतरीन था. युवा आज केंद्र में एनडीए शासनकाल वाली सरकार देखना चाहते हैं.

त्न हालिया सर्वे पार्टी के लिए भले ही उत्साहजनक हो, लेकिन बहुमत के आसार काफी कम दिख रहे हैं. ऐसे में अन्य दलों के साथ आये बगैर बहुमत का आंकड़ा जुटाना कैसे संभव

हो पायेगा? भाजपा अपना कुनबा कैसे बढ़ायेगी?
एनडीए का कुनबा बढ़ेगा. राजनीति में पार्टियां राजनीतिक नफा-नुकसान के आकलन के बाद ही अपना निर्णय लेती हैं कि उन्हें किसके साथ जुड़ना है. जनमत सर्वेक्षणों की मानें तो, फिलहाल जमीनी स्तर पर स्पष्ट बहुमत का आंकड़ा मिलता नहीं दिख रहा है. आंकड़ों के दो महत्व हैं. एक, किन विषयों पर ध्यान देना होगा और दूसरा, भविष्य में उसके सहारे आगे बढ़ना. हम आंकड़ों के आधार पर भविष्य के चुनावी लाभ पर ध्यान नहीं देते, बल्कि किस विषय पर ध्यान देकर आगे बढ़ना होगा, उसे ज्यादा तवज्जो देते हैं. जहां कहीं भी कमी दिखायी गयी है, हम उन विषयों को हल करने की भरपूर कोशिश करेंगे. इन सबके बीच सर्वे में दर्ज की गयी बढ़त को कायम रखते हुए इसे पूर्ण बहुमत के आंकड़े में तब्दील करने की पूरी कोशिश करेंगे.

क्या आगामी आम चुनाव मोदी बनाम राहुल गांधी के तौर पर उभरता नजर आ रहा है?
मैं इसे अच्छाई बनाम बुराई के संघर्ष के तौर पर देख रही हूं. यूपीए ने कुशासन, भ्रष्टाचार, महंगाई आदि के जरिये भयानक बुराइयों को जन्म दिया है. जहां-जहां कुशासन है, वहां-वहां कांग्रेस स्वयं या गंठबंधन में सत्ता में बैठी है. जहां-जहां सुशासन है वहां-वहां भाजपा व सहयोगी दलों का शासन है. यह समुद्र मंथन का समय है और मैं अमृत निकलने की उम्मीद रखती हूं.

आगामी चुनावों में मुख्य प्रतिद्वंद्वी यूपीए के खिलाफ कौन-कौन से प्रभावी मुद्दें होंगे?
आगामी आम चुनाव में हमारे नेता मोदीजी का ‘देश पहले’ का नारा प्रभावी होगा. इस बार के चुनाव में सबसे बड़ा मुद्दा होगा कि जनता की आकांक्षाओं को पूरा कौन करेगा? आकांक्षाओं को पूरा करने का भरोसा कौन दिलायेगा? देश के प्रगति के लिए उत्साहजनक वातावरण कौन पैदा करेगा? मौजूदा सरकार ने तो लोगों की आकांक्षाओं पर पानी फेर दिया. 2014 में कांग्रेस की हार तय है.

पर्वताकार भ्रष्टाचार, बेलगाम महंगाई, घनघोर आर्थिक कुप्रबंधन, देश की सुरक्षा के साथ समझौते आदि के कारण देश की जनता में निराशा का वातावरण बना है. लोगों को लग रहा है कि सत्ता चलानेवाले लोगों ने धोखा दिया है और वे कुर्सी के काबिल नहीं हैं. 2014 कांग्रेस के कुशासन से मुक्ति का वर्ष होगा.

मीनाक्षी लेखी

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