आज आप केवल दस रुपये में सारी दुनिया से जुड़ जाते हैं. यह करामात सिर्फ इंटरनेट ही कर सकता है. चाहे गूगल हो, फेसबुक या फिर विकिपीडिया, अब दुनिया इंटरनेट के बिना अधूरी-सी लगती है. इंटरनेट यूज करने में सबसे ज्यादा परेशानी स्पीड की होती है. भारत इंटरनेट स्पीड के मामले में अब भी काफी पीछे है. दुनिया भर में औसत इंटरनेट स्पीड की रैंकिंग में भारत 116वें पायदान पर है, जबकि दक्षिण कोरिया नंबर एक पर है. भारत में इंटरनेट की औसत स्पीड 1.2 एमबीपीएस है, जबकि दक्षिण कोरिया में ये 14 एमबीपीएस है.
इंटरनेट की स्पीड स्पेक्ट्रम और तकनीक पर काफी हद तक निर्भर है. भारत में इस समय करीब 80-90 करोड़ मोबाइल फोन धारक हैं. ये सभी एक ही स्पेक्ट्रम पर काम कर रहे हैं. इसी कारण इंटरनेट की स्पीड प्रभावित हो रही है. ये तो कुछ भी नहीं है, जब इतने ही लोग थ्रीजी इस्तेमाल करने लगेंगे, तो और भी परेशानी होगी. भारत के पास इतना बैंडविथ उपलब्ध ही नहीं है.
यह एक बहुत बड़ी समस्या है. इस पर रिसर्च चल रहा है कि इतने ही स्पेक्ट्रम में कैसे ज्यादा चैनल हो सके और ज्यादा लोग फोन पर बात कर सके. इसके अलावा मोबाइल टावरों की कमी भी बड़ी समस्या है. इसके कारण इंटरनेट नेटवर्क एक जैसा नहीं रहता. शहर में आपको थ्री जी की सुविधा मिलेगी मगर शहर से बाहर निकलते ही वह टूजी हो जायेगा. अगर आप किसी ट्राफिक जाम में फंसते हैं, तो पायेंगे कि इंटरनेट स्पीड बेहद कम हो गयी है, क्योंकि उस घड़ी कई लोग एक ही टावर से मिल रहे नेटवर्क का इस्तेमाल कर रहे होते हैं.
अन्य देशों में भी है समस्या
इंटरनेट स्पीड को लेकर केवल भारत में ही समस्या नहीं है, बल्कियह समस्या अमेरिका में भी होती है. यह एक मुश्किल चुनौती है. अमेरिका में ऊंची इमारतों के कारण एक जैसी कवरेज नहीं होती. हालांकि, फिर भी वहां भारत से बेहतर स्पीड है. हमारे यहां एक जैसी स्पीड की समस्या है. फिनलैंड जैसे कई देशों में तो इंटरनेट कनेक्शन नागरिकों का कानूनी अधिकार है. भारत में इस तरह का कोई कानून तो नहीं है, लेकिन सरकार की नीति देश के हर कोने तक इंटरनेट पहुंचाने की है. ट्राइ(भारतीय दूरसंचार विनियामक प्राधिकरण) के ताजा आंकड़ों के अनुसार भारत में डेढ़ करोड़ से ज्यादा ब्रॉडबैंड इंटरनेट यूजर्स हैं. इसके लिए पूरे देश में इंटरनेट सेवा मुहैया कराने के लिए सरकारी और गैर सरकारी कंपनियां कोशिश में लगी हैं. देश में तेजी से इंटरनेट का विकास हो रहा है. शहरों के बाद जिला मुख्यालयों तक इंटरनेट ने अपनी पहुंच बना ली है. जल्द ही सुदूर गांवों में भी लोग 3जी स्पीड से इंटरनेट का मजा ले सकेंगे.