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बड़े उद्योगों के बिना कैसे होगा ग्रोथ

कारोबार से जुड़े आठ बुनियादी पहलुओं पर विश्व बैंक की रिपोर्ट का सार यह है कि दूसरे विकसित राज्यों की तो छोड़िए, अपने पड़ोसी राज्यों से भी बिहार पीछे है. औद्योगिक निवेश के लिए जरूरी सुविधाएं नहीं हैं. वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट ने आइना दिखाया है कि बिहार में निवेश को आकर्षित करने के लिए […]

कारोबार से जुड़े आठ बुनियादी पहलुओं पर विश्व बैंक की रिपोर्ट का सार यह है कि दूसरे विकसित राज्यों की तो छोड़िए, अपने पड़ोसी राज्यों से भी बिहार पीछे है. औद्योगिक निवेश के लिए जरूरी सुविधाएं नहीं हैं.
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट ने आइना दिखाया है कि बिहार में निवेश को आकर्षित करने के लिए ठोस और दिखने वाले पहल की जरूरत है, तभी निवेशकों में भरोसा जगेगा और यहां पैसा लगाने की मन:स्थिति तैयार होगी. क्या राजनीतिक दल इसे गंभीरता से लेंगे? क्या विधानसभा चुनाव में इस पर मंथन होगा कि बिहार की पुराने मिलें एक-एक कर क्यों बंद होती गयीं?
बिहार सिर्फ एक में
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट में चार समूहों में राज्यों का वर्गीकरण भी किया गया है जो कारोबारी सुधार से जुड़े अंकों पर आधारित है, इसमें बिहार सिर्फ समूह में शामिल हो पाया.
1. नेतृत्व : ओवरऑल कार्यान्वयन के लिए 75 फीसदी अंक रखे गये थे. लेकिन इस समूह में कोई राज्य नहीं.
2. आंकाक्षी नेतृत्व : 50 से 75 फीसदी अंक हासिल करने वालों में सात राज्यों में झारखंड भी, लेकिन बिहार नहीं.
3. गतिवर्धन अपेक्षित : 25 से 50 फीसदी अंक हासिल करने वाले नौ राज्यों में यूपी, लेकिन बिहार नहीं.
4. छलांग लगाने की जरूरत : शून्य से 25 फीसदी तक अंक हासिल करने वाले 16 राज्यों में बिहार भी.
एक नहीं, कई चुनौतियां
राज्य में रोड व रेल नेटवर्क की कमी तो है ही, उद्योगों के लिए जरूरी आधारभूत संरचना व बुनियादी सुविधाओं की भी कमी है. बिजली की अनिश्चितता है और बिजली की खराब क्वालिटी भी है.
यानी किसी कारखाने में जब चालू हालत में बिजली गुल होती है, तो इसका असर उत्पादन पर पड़ता है. एक फाइल एक टेबुल से दूसरे टेबल पर जाने में महीनों लग जाते हैं. निचले स्तर पर कोई बड़ा फैसला नहीं ले पाता है. ऐसे में छोटे-मोटे मामले भी मुख्य सचिव, मंत्री या मुख्यमंत्री के स्तर पर भेजे जाते हैं.
(एक उद्योगपति से बातचीत पर आधारित)
दम तोड़ रहा हथकरघा : बिहार में हथकरघा उद्योग क्षेत्र में लगातार गिरावट आती गयी है. 1.32 लाख से भी ज्यादा बुनकर अपनी जीविका के लिए इसी क्षेत्र पर निर्भर हैं. कच्चे माल, ट्रेनिंग की कमी, कर्ज का अभाव आदि से ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है.
28 में से 18 चीनी मिल बंद : 28 चीनी मिलों में से 18 बीमार होकर बंद हैं. नौ चीनी मिलें चल रही हैं, जो सभी निजी क्षेत्रों में हैं. राज्य में तीन लाख हेक्टेयर में गन्ने की खेती होती है. इस वजह से चीनी मिलों की जबरदस्त संभावनाएं भी मौजूद हैं.
मानक भारत बिहार प्रतिशत
कारखानों की संख्या 217554 3232 1.49}
स्थिर पूंजी (करोड़ में) 1949551 7547 0.39
कार्यशील पूंजी (करोड़ में) 588794 -236 -0.04
कुल नियोजन 13429956 126592 0.94
उत्पादों के मूल्य 5776024 60167 1.04
(स्नेत : वार्षिक औद्योगिक सर्वेक्षण, 2011-12)
खाद्य प्रसंस्करण उद्योग को क्यों नहीं बढ़ाते
बिहार में जमीन के बड़े हिस्से पर आम, केला, लीची, अमरुद और विभिन्न प्रकार के अन्य फलों की खेती होती है. सब्जियों के उत्पादन के मामले में भी उत्पादन का स्तर काफी ऊंचा है. लेकिन, वांछित भंडारण, संरक्षण और समुचित विपणन के अभाव में फल और सब्जियां बरबाद हो जाती हैं या अक्सर उन्हें कम कीमत पर बेच दिया जाता है. खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों की स्थापना की संभावना है.
वर्ल्ड बैंक की रिपोर्ट राज्यों की रैंकिंग
कारोबारी सुधार से जुड़े आठ क्षेत्रों में सुधार के उपायों के कार्यान्वयन की स्थिति पर विश्व बैंक ने यह रिपोर्ट तैयार किया है. ये क्षेत्र हैं : व्यवसाय की स्थापना, भूमि का आवंटन व निर्माण की स्वीकृति, पर्यावरण अनुपालन, श्रम संबंधी मामलों का कार्यान्वयन, आधारभूत संरचना संबंधी सुविधा, निबंधन व कर प्रक्रियाओं का अनुपालन, निरीक्षण संपादन, अनुबंध की पुष्टि.
बिहार 21वें स्थान पर
ऐसा बिहार में क्यों नहीं?
बताएं राजनीतिक दल
विश्व बैंक ने अपनी ताजा रिपोर्ट में ऐसे कई मामलों को उदाहरण के रूप में पेश किया है, जिससे उद्योग और व्यवसाय की स्थापना में सहुलियत होती है. इस रिपोर्ट के संदर्भ में बिहार में पहले से चल रही प्रक्रियाओं पर गौर करने की जरूरत है.
जब दूसरे राज्य सुधार और बदलाव के ऐसे कदम उठा सकते हैं, तो ऐसा बिहार क्यों नहीं कर सकता है? आखिरकार इसकी पहल तो राजनीतिक दलों को ही करनी होगी. विधानसभा चुनाव के मौके पर क्या औद्योगिक निवेश के लिए एक बेहतर माहौल बनाने का मुद्दा भी राजनीतिक दलों के समक्ष है?
पंजाब एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां उद्योग-व्यवसाय के लिए जरूरी सभी तरह के लाइसेंस के लिए सिंगल् विंडों सिस्टम की व्यवस्था है. यह एक सीइओ के मातहत होता है, जिन्हें सभी तरह की स्वीकृति का अधिकार प्राप्त है.
ओडिशा, राजस्थान और पश्चिम बंगाल ने राज्य सरकार के सभी तरह के करों के भुगतान के लिए एक आइडी की व्यवस्था कर रखी है.
जीआइएस मैप के जरिये उद्योगों के लिए भूमि की उपलब्धता की जानकारी सिर्फ गुजरात में है.आंध्रप्रदेश और मध्यप्रदेश में उद्योगों के लिए भवन योजना की स्वीकृति के लिए आवेदन व सर्टिफिकेट की व्यवस्था ऑनलाइन है.
बिहार के पड़ोसी राज्य झारखंड और पश्चिम बंगाल समेत देश के पांच राज्यों में ऑनलाइन प्रोपर्टी रजिस्ट्रेशन और भुगतान की व्यवस्था है.
ग्रीन इंडस्ट्री की स्थापना के पहले प्रदूषण नियंत्रण पर्षद से क्लीयरेंस सर्टिफिकेट लेने की अनिवार्यता को 12 राज्यों ने समाप्त कर दिया है.
श्रम संबंधी नियमों के कार्यान्वयन में झारखंड पूरे देश में अव्वल है. कई उद्योगों में वहां श्रम संबंधी पांच कानूनों के अमल के लिए सेल्फ सर्टिफिकेशन की व्यवस्था है. फैक्टरीज एक्ट, 1948 के तहत रजिस्ट्रेशन और लाइसेंस के लिए ऑनलाइन व्यवस्था भी है.
झारखंड व पंजाब में दुकान एवं प्रतिष्ठान एक्ट के तहत नवीकरण की व्यवस्था ऑनलाइन है.
झाररंड ने उद्यमियों के लिए एक समेकित ऑनलाइन पोर्टल भी खोल रखा है, जो त्वरित स्वीकृति प्रदान करता है.नये उद्योगों की स्थापना के लिए जरूरी पानी, बिजली और सीवर के कनेक्शन की समय सीमा के भीतर बेहतर व्यवस्था महाराष्ट्र ने कर रखी है. निवेशक कहीं से भी कभी भी ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं.
कर्नाटक ने कर संबंधी प्रक्रियाओं के सुधार में बड़ा कदम उठाया है. वहां सभी तरह के करों को इलेक्ट्रॉनिक मोड में लाया गया है. दफ्तरों का चक्कर लगाने की जरूरत नहीं है.
इंस्पेक्टर राज को खत्म करने की दिशा में झारखंड और गुजरात ने कदम उठाया है. झारखंड ने अलग-अलग क्षेत्रों में जांच की परिपाटी को खत्म कर इसे समेकित कर दिया है. इससे निवेशकों को अनावश्यक परेशानी नहीं होती है.

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