पिछले महीने मुजफ्फरनगर में हुए सांप्रदायिक दंगों ने कई लोगों की जान ले ली. दंगों के दौरान पूरे शहर में दोनों समुदायों में हिंसा का माहौल था. पड़ोसी, पड़ोसी के खिलाफ खड़ा था और दंगाई शहर में घूम रहे थे. लेकिन इस बीच एक आशा की किरण दिखायी पड़ी. एक गरीब मुसलिम महिला ने मानवीयता की मिसाल देते हुए एक छोटी अनाथ बच्ची को जिंदगी दी है.
बचायी जान
ईंटों से बने एक छोटे से मकान में रहनेवाली महिला को यह नवजात बच्ची दस दिन पहले एक नाले में पड़ी मिली थी. उसकी गर्भनाल भी अलग नहीं की गयी थी और कुत्तों ने उसे क्षत-विक्षत कर दिया था. वहां के मुखिया का मानना है कि एक हिंदू बच्ची अच्छी मुसलिम महिला की उदारता की वजह से वह बच गयी. महिला के पहले से आठ बच्चे होने के बावजूद उसने इस बच्ची को अपने पास रखा.
उम्मीद की किरण
बच्ची को अपने हाथों में लिये 36 वर्षीय महिला कहती है कि पहले से ही आठ बच्चे होने के बावजूद मैंने इस बच्ची को इसलिए अपनाया क्योंकि मुङो उम्मीद है कि वह बड़ी होगी और स्कूल जायेगी. मुङो आशा है कि वह पढ़ाई में बहुत तेज होगी और सरकारी नौकरी करने के साथ-साथ मेरी देखभाल भी करेगी. हमारी आर्थिक स्थिति बेहद खराब है, इस बच्ची के इलाज तक के लिए भी पैसे नहीं हैं, फिर भी मुङो उम्मीद है कि सब अच्छा होगा. इस बच्ची को पालने-पोसने के लिए पर्याप्त पैसों का इंतजाम जरूर हो जायेगा.