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बिजली की स्थिति सुधरी, पर महंगाई नहीं घटी

लोगों की नजर में पिछले एक साल में बिजली में सुधार तो हुए हैं, लेकिन महंगाई नहीं घटी है. रोजगार के अवसर थोड़े बढ़े हैं, लेकिन काले धन और भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगा. प्रभात खबर सर्वे में लोगों की यह राय उजागर हुई है. सर्वे में लोगों से छह मोरचे पर पिछले एक साल […]

लोगों की नजर में पिछले एक साल में बिजली में सुधार तो हुए हैं, लेकिन महंगाई नहीं घटी है. रोजगार के अवसर थोड़े बढ़े हैं, लेकिन काले धन और भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगा. प्रभात खबर सर्वे में लोगों की यह राय उजागर हुई है. सर्वे में लोगों से छह मोरचे पर पिछले एक साल में हुए बदलाव के बारे में उन्हें ‘हां’और ‘नहीं’ में अपनी राय बताने को कहा गया था.
नहीं घटी महंगाई : 84.5 फीसदी लोगों ने माना कि पिछले एक साल में महंगाई नहीं घटी. सिर्फ 14.9 फीसदी ने माना कि महंगाई घटी है. यानी महंगाई के स्तर पर बदलाव को लेकर ‘हां’और ‘ना’ के बीच बड़ा गैप है.
आंकड़े बनाम जमीनी हकीकत : केंद्र सरकार के आंकड़े के मुताबिक, थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर जुलाई 2014 में 5.41 % थी, जो इस साल जुलाई में नकारात्मक 4.05% रही. दलहन 35.75 % महंगा हुआ है. भले ही सरकारी आंकड़ों में पिछले नौ माह से महंगाई नकारात्मक दायरे में है, लेकिन जमीनी हकीकत यह है कि दैनिक उपभोग की वस्तुओं और सब्जियों की कीमतें बढ़ी हैं.
बिजली सुधरी : सर्वे में 65.3 % लोगों ने माना कि पिछले एक साल में बिजली की स्थिति में सुधार हुआ है, जबकि 34.4 % मानते हैं कि सुधार नहीं हुआ है. बिजली में बदलाव को लेकर ‘हां’और ‘ना’ के बीच उतना बड़ा गैप नहीं है, जितना महंगाई को लेकर है. यह गैप सिर्फ 30.9 फीसदी का है.
मौजूदा स्थिति : बिहार में प्रति व्यक्ति बिजली की खपत बढ़कर 302 किलोवाट प्रति घंटा हो गयी है. एक साल पहले तक बिजली की आपूर्ति 1700-1800 मेगावाट थी, जो अब बढ़ कर करीब 2700 मेगावाट तक पहुंच गयी है. लेकिन आधारभूत संरचना को दुरुस्त करना अभी भी बड़ा कार्यभार है.
काला धन पर अंकुश का इंतजार : पिछले लोकसभा चुनाव में काले धन का मुद्दा छाया हुआ था. यह अब भी लोगों के जेहन में है. सर्वे में 87 फीसदी लोगों ने माना कि पिछले एक साल में काले धन पर अंकुश नहीं लगा है. सिर्फ 12.4 फीसदी मानते हैं कि काले धन पर अंकुश लगा है. ‘हां’और ‘ना’ के बीच बड़ा गैप है और 74.6 % का यह गैप बाकी मुद्दों की तुलना में कहीं ज्यादा है.
सिर्फ कानून बने : एक अप्रैल को प्रभाव में आये ब्लैक मनी (अघोषित विदेशी आय एवं संपत्ति) एवं कर विधेयक अधिरोपण, 2015 के अन्तर्गत सभी निवासी भारतीय को अपनी विदेशी संपत्ति का कर अथॉरिटीज का खुलासा करना होगा. भारी जुर्माने और आपराधिक मुकदमे की कार्रवाई का प्रावधान भी रखा है. लेकिन, विदेशों में जमा काला धन भारत लाने की पहल का लोगों का इंतजार है.
भ्रष्टाचार पर अंकुश : इस पर लोगों की राय कमोवेश वही स्थिति है, जो काले धन पर है. 86.5 % राय इस पक्ष में है कि एक साल में भ्रष्टाचार पर अंकुश लगा है, जबकि 13 % लोगों ने इसका जवाब ‘नहीं’ बताया है. ‘हां’ और ‘ना’ के बीच गैप (73.5 फीसदी) यहां भी काफी बड़ा है.
स्थिति में सुधार : वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, सरकारी दफ्तरों में पक्षपात को लेकर भारत की रैंकिंग 94 से घट कर 49वें नंबर पर आया है. घूसखोरी में पिछले साल भारत 10वें स्थान पर था. अब 93वें स्थान पर है.
रोजगार के अवसर थोड़े बढ़े : सर्वे में 26.1 % लोगों ने माना कि रोजगार के अवसर बढ़े हैं, जबकि 73.4 % लोगों का जवाब ‘नहीं’ में आया है. वैसे ‘हां’और ‘ना’ राय रखने वालों के बीच 47.3 % का अंतर है.
मौजूदा स्थिति : केंद्र ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम की शुरुआत की है. बिहार में कौशल विकास के तहत एक लाख युवकों को प्रशिक्षित कर रोजगार का लक्ष्य.
किसानों की स्थिति : 80.2 % लोगों ने माना कि पिछले एक साल में किसानों की स्थिति नहीं सुधरी है, जबकि 19.4 % ने कहा कि स्थिति सुधरी है. सिर्फ 0.4 % ने इसका कोई जवाब नहीं दिया.

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