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तन की लाचारी बनी मन की मजबूती

आम लड़कियों की तरह सुजाता बुरला की आंखों में भी कुछ कर गुजरने के बुलंद हौसले थे. लेकिन वह अपने सपनों को जी पाती, उसके पहले ही एक हादसे ने उनके सपनों को चकनाचूर कर दिया. हैदराबाद से शिरडी जाते समय हुई एक भयानक दुर्घटना की वजह से सुजाता के कंधों के नीचे के पूरे […]

आम लड़कियों की तरह सुजाता बुरला की आंखों में भी कुछ कर गुजरने के बुलंद हौसले थे. लेकिन वह अपने सपनों को जी पाती, उसके पहले ही एक हादसे ने उनके सपनों को चकनाचूर कर दिया. हैदराबाद से शिरडी जाते समय हुई एक भयानक दुर्घटना की वजह से सुजाता के कंधों के नीचे के पूरे शरीर ने काम करना बंद कर दिया. महज 21 वर्ष की उम्र में सुजाता हमेशा के लिए पैराप्लेजिक अवस्था में आ गयी.

सुजाता जिंदगी के ऐसे मोड़ पर आ गयी थी, जहां से आगे बढ़ने की बात तो दूर, वह जीने की उम्मीद भी खोने लगी थी. लेकिन उन्होंने परिस्थितियों के सामने घुटने टेकने के बजाय खुद को दोबारा खड़ा किया. आज लगभग 28 साल की उम्र में वह स्टॉक मार्केट की एक सफल इन्वेस्टर होने के साथ ही सेलिब्रिटी चैट शो (क्लोज इनकाउंटर विथ सूजी) की बेहद लोकप्रिय एंकर, मोटिवेशनल स्पीकर और काउंसलर भी हैं.

मुश्किलों भरा सफर : हालांकि खुद को दोबारा जीने के लिए तैयार करने का यह सफर सुजाता के लिए आसान नहीं रहा. दुर्घटना के चार माह बाद उन्हें पता चला कि अब वह कभी अपने पैरों पर खड़ी नहीं हो सकेंगी और अपने रोजमर्रा के हर एक छोटे से काम के लिए दूसरों पर निर्भर होना होगा. ऐसे नाजुक दौर में उन्हें दोस्तों और अपनों की सही पहचान भी हुई. सुजाता के कई रिश्तेदारों और दोस्तों ने उनका साथ छोड़ दिया. यही नहीं, जिन लोगों को वह अपना समझती थीं, उन्होंने ऐसे मुश्किल दौर में नकारात्मक बातें करके हालात को और गंभीर करने में कोई कसर नहीं छोड़ी और सुजाता की शारीरिक अक्षमता का लोगों ने बेवजह फायदा उठाना शुरू कर दिया.

व्यवसाय में रखा कदम : स्टॉक मार्केट में डील करने से पहले सुजाता ने अपनी बहन के साथ टेक्सटाइल का काम भी शुरू किया था, लेकिन वहां भी उन्हें लोगों के असहयोग का सामना करना पड़ा. फिर वह स्टॉक मार्केट से जुड़ीं. यह ऐसा काम था जिसे वह अकेले तौर पर भी कर सकती थीं. उन्होंने लगभग एक साल का समय स्टॉक मार्केट के काम को सीखने में लगाया. मात्र 15 लाख रुपये से शुरू किये गये काम का आज करोड़ो में टर्नओवर है.

खुद को संभाला
पिता के गुजरने के बाद सुजाता ने खुद को संभाला और तय किया कि वह शारीरिक, मानसिक और आर्थिक रूप से किसी पर निर्भर नहीं रहेगी. आत्मनिर्भर बनने की उत्कंठा ने सुजाता को फिर अपने पैरों पर खड़ा कर दिया. रास्ते में कई रुकावटें, मुश्किलें और अड़चनें आयीं, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी. सबसे पहले उन्होंने इलेक्ट्रिक व्हील चेयर की व्यवस्था की, ताकि वह अपने काम खुद कर सकें. इसके साथ ही तकनीकी सहयोग के लिए उन्होंने कंप्यूटर भी सीखा. सुजाता के चैट शो से जुड़ा एक रोचक तथ्य यह भी है कि आयोजकों ने इस शो की शुरुआत में सुजाता की शारीरिक कठिनाई को दर्शकों के सामने उजागर नहीं किया था और लगभग 15 एपिसोड्स के बाद दर्शकों को बताया गया कि सुजाता पैराप्लेजिक हैं. सुजाता के आत्मविश्वास, सहज बातचीत और दृढ़ छवि के चलते लोग इस बात का अंदाज भी नहीं लगा पाये थे कि उनका आधे से ज्यादा शरीर सामान्य नहीं है.

दूसरों के लिए प्रेरणा
जिस तरह से सुजाता ने अपने आप को दोबारा खड़ा किया वह कई लोगों के लिए प्रेरणा है. अपनी इस जीवटता के लिए सुजाता को कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार भी मिल चुके हैं. सुजाता किसी भी मामले में अपने आप को दूसरों से कमतर नहीं मानती. वह कहती हैं कि यदि आप मन से मजबूत हैं, तो शारीरिक रूप से भी मजबूत हो जाते हैं.

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