।।दक्षा वैदकर।।
हर इनसान उत्कृष्टता को छूना चाहता है. इसके लिए आपको अपने शरीर की जांच करनी होगी कि आपके शरीर में ऊर्जा कितनी है. आप आलसी हैं या गतिशील? आपकी ऊर्जा निम्न है या उच्च? उत्कृष्टता को छूने के लिए आपका उच्च ऊर्जा को छूना जरूरी है. दोस्तों, हम सभी दो तरह का खाना खाते हैं. पहला शारीरिक खाना और दूसरा दिमागी खाना. शारीरिक खाने में रोटी, चावल, दाल, सब्जी जैसी चीजें आती हैं और दिमागी खाने में आते हैं विचार व भावनाएं.
हम सभी यह जानते हैं कि अगर हमने खाना खाने के बाद खुद को ऊर्जावान महसूस किया, तो इसका मतलब खाना पौष्टिक और अच्छा था. वहीं, अगर हमने खाने के बाद खुद को तकलीफ में पाया, गैस हो गयी, पेट दर्द होने लगा, तो इसका मतलब खाना खराब था. यह बात दिमागी खाने पर भी लागू होती है. आपको अपने दिमाग को भी बेहतरीन और अच्छी क्वालिटी का खाना देना होगा.
हमें ध्यान देना चाहिए कि हम क्या पढ़ रहे हैं, क्या देख रहे हैं, किस तरह के लोगों के साथ रहते हैं, किस तरह की बातें उनसे ग्रहण कर रहे हैं. हमें उन लोगों से दूर रहना चाहिए, जो हमारा आत्मविश्वास घटाएं, हमें नीचे की ओर खींचें, दूसरों की बुराई करें, नकारात्मक बातें करें. ऐसे लोग हमें दिमागी रूप से बीमार कर देंगे. हम 24 घंटे यह भी चेक करें कि हमारे शरीर में कहीं कोई ब्लॉकेज तो नहीं? ब्लॉकेज से मतलब गलत विचार से है. जब आप बैंक वाले, टैक्स वाले, ट्रैफिक पुलिस, बॉस किसी से भी बात करते हैं और आप सोचते हैं कि ‘यार कैसे-कैसे लोग होते हैं.’ समझ जाएं कि आपके शरीर ने उस व्यक्ति के प्रति ब्लॉकेज बना लिया. इस ब्लॉकेज को तुरंत दूर करें और शरीर को फ्री करें. जब तक आप अंदर से फ्री महसूस नहीं करेंगे, उत्कृष्टता को नहीं छू सकेंगे.
अंत में कुछ सवाल. जब आप ऑफिस जाते हैं, तो आपका शरीर ढीला होता है? पैरों को घसीटते हुए जाते हैं? शरीर में जान नहीं होती है? आंखों में थकान या नींद होती है? ऊर्जा नहीं होती है? कोई आपसे पूछता है कि काम कैसा चल रहा है और आप कहते हैं ‘बस, जी रहे हैं’, तो समझ जाएं कि आप लूजर हैं.
बात पते की..
-जब भी आप किसी को गले लगाएं, तो असल में उस इनसान के बारे में अच्छा सोचें. गले लगा कर सिर्फ फॉरमैलिटी न निभाएं.
-बार-बार दोहराएं कि मैं सक्षम हूं, मुझमें काबिलीयत है, मैं सारी समस्याओं को हल कर सकता हूं. ये विश्वास आपको उत्कृष्टता तक पहुंचायेंगे.