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ओबामा के गांधी

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा महात्मा गांधी को अपना हीरो मानते हैं. पहली बार राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के वक्त जब उन्होंने गांधी से उधार लेते हुए ‘बी द चेंज’ का नार दिया था, अब तक ओबामा ने जिन दो शख्सीयतों का जिक्र सबसे ज्यादा बार किया है, वे हैं मार्टिन लूथर किंग जूनियर और […]

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा महात्मा गांधी को अपना हीरो मानते हैं. पहली बार राष्ट्रपति पद का चुनाव लड़ने के वक्त जब उन्होंने गांधी से उधार लेते हुए ‘बी द चेंज’ का नार दिया था, अब तक ओबामा ने जिन दो शख्सीयतों का जिक्र सबसे ज्यादा बार किया है, वे हैं मार्टिन लूथर किंग जूनियर और महात्मा गांधी. नोबल पुरस्कार प्राप्त करने के मौके पर भी अपने भाषण में ओबामा ने महात्मा गांधी का उल्लेख किया था.

2010 में अपने भारत दौरे के दौरान संसद को संबोधित करते हुए ओबामा ने कहा था, ‘मुझे इस बात का ध्यान है कि अगर गांधी नहीं होते, तो मैं अमेरिका के राष्ट्रपति के रूप में आपके सामने खड़ा नहीं होता. अगर उन्होंने पूरी दुनिया और अमेरिका के साथ अपना संदेश साझा नहीं किया होता, तो मैं आपके सामने खड़ा नहीं होता. अपने पूरे जीवन में, एक युवा के तौर पर शहरी गरीबों के लिए काम करते वक्त, मैंने हमेशा गांधी से प्रेरणा हासिल की है. उनकी सामान्य शब्दों में दी गयी लेकिन गहरी सीख का मुझ पर गहरा असर रहा है. ‘आप खुद में वह बदलाव लाएं(बी द चेंज), जो आप दुनिया में देखना चाहते हैं.’ गांधीजी ने सिर्फ भारतीयों से अपनी नियति हासिल करने का आह्वान नहीं किया, उन्होंने दुनियाभर में समानता के योद्धाओं को प्रेरित किया, जिसमें युवा मार्टिन लूथर किंग जूनियर भी थे.

करीब आधी सदी पहले भारत में अपनी यात्रा के बाद युवा मार्टिन लूथर किंग ने कहा था, ‘न्याय और विकास के संघर्ष के लिए गांधी का अहिंसक प्रतिरोध का दर्शन ही एकमात्र तार्किक और नैतिक रास्ता है.’ इसी दौरे के दौरान ओबामा ने मुंबई में गांधी के आवास मणि भवन की यात्र के बाद विजिटर्स बुक में लिखा था, ‘गांधी जी के जीवन की इस वसीयत (टीस्टामेंट) को देखने के बाद मैं उम्मीदों और प्रेरणाओं से भरा हुआ हूं. गांधी सिर्फ भारत के नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के हीरो हैं.’

अपने नोबेल व्याख्यान में ओबामा ने कहा था-‘यहां यह भाषण देते वक्त मुझे मार्टिन लूथर किंग जूनियर द्वारा इसी जगह दिया गया भाषण याद आ रहा है, ‘ हिंसा से कभी भी स्थायी शांति नहीं आती. यह किसी समस्या का समाधान नहीं करती. इसके उलट यह नयी और ज्यादा जटिल समस्याओं को जन्म देती है.’ हालांकि राष्ट्रपति बनने के बाद ओबामा ने अपने शब्दों को क्रियाओं में कितना ढाला है, यह विवाद का विषय हो सकता है. जाहिर है, गांधी के अनुयायी होने का दावा करना आसान है, गांधी के पद-चिह्नें पर चलना बेहद मुश्किल.

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