मर्चेट नेवी में कई तरह के कैरियर विकल्प मौजूद हैं. कुछ अलग तरह के कैरियर को चुनने के इच्छुक युवा इस ओर रुख कर सकते हैं. आइए जानें, कितने मौके हैं और कैसा है यह क्षेत्र..
क्या आप साहसिक और खतरों के खिलाड़ी हैं? क्या आप शारीरिक रूप से हष्ट-पुष्ट हैं? क्या आपको काम करने की स्वतंत्रता पसंद हैं? परिवार से दूर और पानी के बीच लंबा समय बिताने में सक्षम हैं? अगर इन प्रश्नों के जवाब हां हैं, तो आपके लिए मर्चेट नेवी का कैरियर बेहतर है. इतना ही नहीं, मर्चेट नेवी युवाओं को कई तरह की नौकरियां भी प्रदान करता है. कैसी है यह इंडस्ट्री और इसमें जॉब, आइए जानें.
वर्तमान स्थिति
इस इंडस्ट्री में काम कर रहे लोगों का कहना है कि इसमें लोगों की बहुत जरूरत है. भारत इसका एक उभरता हुआ केंद्र है. भारतीयों को परिश्रमी, सक्षम, काम के प्रति बेहतर रुख रखनेवाला समझा जाता है. साथ ही शिपिंग इंडस्ट्री में मौजूद भारतीय फिलहाल बहुत अच्छा कर रहे हैं. इसलिए बाहर की कंपनियां भारतीयों का चयन करना पसंद करती हैं. यहां विस्तृत विकास की संभावना के साथ नौकरी के मौके हैं.
फिलहाल वैश्विक स्तर पर करीब 50 हजार कार्गो जहाजों में करीब एक लाख भारतीय काम कर रहे हैं. यह कुल श्रमिक का करीब सात फीसदी है. 2020 तक उम्मीद की जा रही है कि यह नौ फीसदी पहुंच जायेगा. इसका मुख्य कारण भारतीय मंत्रलयों और प्राइवेट सेक्टर के लोगों का शिपिंग की ओर बढ़ता रुझान है. हर देश की अर्थव्यवस्था पूर्ति और मांग पर निर्भर करती है. इस देश से उस देश में सामानों के आवाजाही के लिए जहाजों की मदद ली जाती है. इसलिए हर देश में कार्गो अर्थव्यवस्था में एक अहम किरदार निभाते हैं.
काम में मिलता है लचीलापन
मर्चेट नेवी में कांट्रैक्ट पर नौकरी मिलती है. इसमें बहुत फ्लैक्सिबिलिटी दी जाती है. ये कांट्रैक्ट कुछ इस तरह के होते हैं, जैसे पेड वैकेशन आदि. इसके तहत काम करनेवाले व्यक्ति को छह-सात महीनों तक जहाज पर रहना पड़ता है. इसके बाद वे दो से तीन महीने की छुट्टी लेकर घर में समय बिता सकते हैं. दोबारा से उसी कंपनी या किसी और कंपनी को ज्वाइन कर सकते हैं. इसमें एक नियम है, जिसके तहत काम करनेवाले व्यक्ति का परिवार भी जहाज पर यात्र कर सकता है. इसके लिए आपको बस वीजा की व्यवस्था करनी पड़ती है और उसका खर्च भी आपको ही वहन करना पड़ता है. विश्व के सभी बंदरगाहों पर जहाजों पर रहनेवालों के लिए क्लब्स, इंटरनेट सुविधा आदि उपलब्ध होती है.
कैसे पाएं प्रवेश
12वीं के बाद विद्यार्थियों को एक कोर्स में इनरोल होना होता है. इस कोर्स में एक वर्ष का प्री-सी ट्रेनिंग प्रोग्राम कराया जाता है. इसके बाद 18 महीने के लिए जहाजों पर डेक कैडेट के रूप में ट्रेनिंग करनी पड़ती है. फिर चार महीने कॉलेज में बिताने होते हैं. सेकेंड मेट एग्जाम पास करना पड़ता है. इसके बाद बीएससी नॉटिकल साइंस होने पर थर्ड ऑफिसर के रूप में ज्वॉइन कर सकते हैं.
किसी भी कॉलेज का चयन करने से पहले विद्यार्थियों को विभिन्न कॉलेजों के बारे में अच्छे से अध्ययन कर लेना चाहिए. इसके लिए विद्यार्थियों को सरकार की वेबसाइट www.dgshipping.com को देखना चाहिए. इसमें दी गयी मान्यता प्राप्त कॉलेज की सूची को देख लें, इसके बाद ही कॉलेज चुनें.
सैलरी की शुरुआत
डेक कैडेट के रूप में शुरुआत में करीब 20 हजार रुपये वेतन प्रतिमाह मिलते हैं. वहीं एक कैप्टन को चार लाख रुपये महीने के करीब मिलते हैं. इतना ही नहीं, यह रकम टैक्स में शामिल नहीं होती है.
अन्य संभावनाएं
नौकरी के दौरान अच्छा पैसा मिलना, फिर 30 के पड़ाव तक आते-आते अगर चाहें, तो आपके लिए तट पर नौकरी प्राप्त करने का विकल्प भी मौजूद होता है. ऐसे में कैटरिंग, लॉजिस्टिक्स आदि क्षेत्र में काम कर सकते हैं. इस दौरान भी मिलनेवाला वेतन करमुक्त होता है. इसमें महिलाओं के लिए भी कई तरह के मौके होते हैं. इसमें अन्य मौकों के रूप में सेफ्टी मैनेजमेंट, फ्लीट परसनल रिक्रूटमेंट आदि हैं.
मुख्य संस्थान
इंडियन इंस्टीटय़ूट ऑफ मैरीटाइम स्टडीज
वेबसाइट : www.iims.dgshipping.com
कॉलेज ऑफ मैरीटाइम स्टडीज एंड रिसर्च, कोलकाता
वेबसाइट : www.jahajee.com
श्रीराम इंस्टीटय़ूट ऑफ मैरीन स्टडीज, नयी दिल्ली
वेबसाइट : www.simsnd.in
नेशनल आइलैंड नेविगेशन इंस्टीटय़ूट, पटना
वेबसाइट : www.nini.bih.nic.in
मैरीटाइम एजुकेशन ट्रेनिंग एंड रिसर्च इंस्टीटय़ूट, पश्चिम बंगाल
वेबसाइट : www.metrikolkata.org