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सिख छात्र को मिला अमेरिकी सेना के कार्यक्रम में धार्मिक मान्यता से जुडी सामग्री रखने का अधिकार

न्यूयार्क : अमेरिका की एक अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में न्यूयार्क स्थित एक यूनिवर्सिटी के एक सिख-अमेरिकी छात्र को उसकी धार्मिक मान्यता से जुडी सामग्री को हटाए बिना सेना के एक कार्यक्रम में भाग लेने अनुमति प्रदान कर दी है. शुक्रवार को एक संघीय न्यायाधीश ने लॉन्ग आईलैंड स्थित हॉफ्स्ट्रा यूनिवर्सिटी के छात्र इकनूर […]

न्यूयार्क : अमेरिका की एक अदालत ने एक महत्वपूर्ण फैसले में न्यूयार्क स्थित एक यूनिवर्सिटी के एक सिख-अमेरिकी छात्र को उसकी धार्मिक मान्यता से जुडी सामग्री को हटाए बिना सेना के एक कार्यक्रम में भाग लेने अनुमति प्रदान कर दी है. शुक्रवार को एक संघीय न्यायाधीश ने लॉन्ग आईलैंड स्थित हॉफ्स्ट्रा यूनिवर्सिटी के छात्र इकनूर सिंह को बिना उसकी दाढी, बाल कटवाए या उसकी पगडी को हटाए बिना अमेरिकी सेना के रिजर्व ऑफिसर्स ट्रेनिंग कॉर्प (आरओटीसी) कार्यक्रम में पंजीकरण कराने के पक्ष में फैसला सुनाया.

छात्र (20) का जन्म न्यूयार्क के क्वींस में हुआ था और वह वहीं पला बढा. इससे पहले उसे धार्मिक मान्यता से जुडी सामग्री के आधार पर उसके कॉलेज के आरओटीसी कार्यक्रम में पंजीकरण कराने का अधिकार देने से इनकार कर दिया गया था. सिंह ने आरोप लगाया था कि धार्मिक मान्यता की सामग्री को धारण करने से सेना का इंकार करना ‘धार्मिक स्वतंत्रता कानून’ (आरएफआरए) का उल्लंघन है और इसी कारण उसने सेना के अन्य वरिष्ठ अधिकारियों सहित अमेरिकी सेना के जॉन मैकहग और हॉफ्स्ट्रा यूनिवर्सिटी में आरओटीसी कार्यक्रम के कमांडर लेफ्टिनेंट कर्नल डेनियल सीडरमैन के खिलाफ मुकदमा दायर किया था.

वाशिंगटन, यूएस डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के न्यायाधीश एमी जैकसन ने 49 पृष्ठों वाले फैसले में कहा, ‘‘सेना का सिंह को पंजीकृत करने से इंकार करना आरएफआरए के तहत उसके अधिकारों का उल्लंघन है. यह कानून 1993 में धार्मिक रीति रिवाजों और अभिव्यक्ति की हिफाजत के लिए बना था.’’

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