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इस जुनून को सलाम: पढ़ने का ऐसा जुनून कि बेटियां घर जाने को तैयार नहीं

पटना: बिहार में अब लड़कियों के बीच पढ़ने का जुनून बढ़ रहा है. यहां तक कि अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए लड़कियां अपना घर भी छोड़ दे रही हैं. सीतामढ़ी की अमृता और रूबी भी उन्हीं में से एक हैं, जिन्होंने पढ़ने के लिए घर छोड़ दिया. इनके घर वाले नहीं चाहते कि इनकी […]

पटना: बिहार में अब लड़कियों के बीच पढ़ने का जुनून बढ़ रहा है. यहां तक कि अपनी पढ़ाई पूरी करने के लिए लड़कियां अपना घर भी छोड़ दे रही हैं. सीतामढ़ी की अमृता और रूबी भी उन्हीं में से एक हैं, जिन्होंने पढ़ने के लिए घर छोड़ दिया. इनके घर वाले नहीं चाहते कि इनकी बेटियां आगे की पढ़ाई करें. सबसे बड़ी बात यह है कि ये लड़कियां अब घर नहीं लौटना चाहती , क्योंकि इनको डर है कि घर जाने पर इनके माता-पिता पढ़ाई नहीं करने देंगे.

सीतामढ़ी के बथनाहा ब्लॉक के लक्ष्मीपुर गांव की दो छात्राएं पढ़ाई करने के उद्देश्य से पिछले ग्यारह दिनों से पटना के रेनबो होम में रह रही हैं. 14 वर्षीय अमृता बताती है कि उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय डिहटी, शाहपुर शीतल पट्टी बथनामा में आठवीं तक पढ़ाई की. आगे पढ़ना चाहती थी, लेकिन घर वाले पढ़ाना नहीं चाहते थे. रूबी बताती है कि गांव में लड़कियों को आठवीं के बाद पढ़ने नहीं दिया जाता है. उनकी शादी कर दी जाती है. हमारे माता-पिता भी हमें पढ़ाना नहीं चाहते हैं.आठवीं के बाद दो साल तक हमें घर में बिठा कर रखने के बाद भी जब स्कूल में दाखिला नहीं दिलाया गया, तो हमने घर छोड़ दिया.

दोनों ने दी है मैट्रिक की परीक्षा

दोनों लड़कियों आठवीं के बाद किसी तरह से दूसरे स्कूलों से रजिस्ट्रेशन कर मैट्रिक परीक्षा दी . दोनों इस परीक्षा से संतुष्ट नहीं हैं. वे रेगुलर स्कूल जाकर पढ़ाई करना चाहती हैं.दोनों रिश्ते में बुआ और भतीजी हैं. दोनों ने आगे पढ़ाई करने को सोची और पटना आ गयी. लोगों की मदद से दोनों बांकीपुर गल्र्स स्कूल पहुंची. माता-पिता को सूचना दी गयी तो, वे बेटियों को लेने पहुंचे. बहुत समझाने के बाद भी वे अपने माता-पिता के साथ जाने से इनकार कर दिया.

सरकार से मदद नहीं

दोनों लड़कियां बीते 26 अप्रैल से घर से दूर हैं. अखबारों में खबर छपने के बाद भी सरकार द्वारा अब तक कोई पहल नहीं की गयी है. साथ ही जिस स्कूल में और जिस संस्था के सर्टिफिकेट के सहारे पटना पहुंची उन लोगों द्वारा भी कोई पहल नहीं की गयी है. दोनों लड़कियां पूर्व में महिला समाख्या द्वारा संचालित स्कूल में पढ़ाई करती थी. उनके पास महिला समाख्या के सर्टिफिकेट हैं.

लड़कियों में आयी चेतना

शिक्षाविद विनय कुमार कंठ ने बताया कि लड़कियों में चेतना आयी है. आगे पढ़ने और बढ़ने की. इसके लिए वे शादी से लेकर कई स्वतंत्र निर्णय ले रही है. वहीं, अभी भी परिवार समाज के साथ-साथ व्यवस्था में कमी है. इससे माता-पिता बेटियों को आगे की शिक्षा नहीं दे पा रहे हैं. इसमें आर्थिक व असुरक्षा की बातें मुख्य है. वहीं, शिक्षा के स्तर में गिरावट आयी है. वहीं, जिला शिक्षा पदाधिकारी चंद्रशेखर कुमार ने बताया कि इस बात की कोई जानकारी हमें नहीं थी. अगर लड़कियां पढ़ने की इच्छुक हैं, तो विभाग स्तर से बात कर उन दोनों लड़कि यों का स्कूल में नामांकन कराया जायेगा. इसके लिए लड़कियों से बात करनी होगी. उनकी पढ़ाई के स्तर की जांच कर उचित क्लास में दाखिला दिलाया जायेगा.

ये-ये योजनाएं

पोशाक राशि का लाभ

छात्रवृत्ति का लाभ

एमडीएम का लाभ

नि: शुल्क किताबों का लाभ

एससी, एसटी, अल्पसंख्यक प्रोत्साहन भत्ता

मुख्यमंत्री प्रोत्साहन राशि(मैट्रिक में प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण होने पर 10 हजार )

कन्या सुरक्षा योजना ( जन्म लेने के साथ एफडी)

कन्या विवाह योजना ( 18 साल के बाद शादी करने पर)

सबला योजना ( वोकेशनल कोर्स व पोषाहार)

सुकन्या समृद्धि योजना(10 तक की कन्याओं का खाता)

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