बेतिया : नेपाल के काली गंडक नदी में गिरे पहाड़ का संकट बिहार के सबसे बड़े वन क्षेत्र वाल्मीकि नगर पर पड़ सकता है. गंडक वाल्मीकिनगर जंगल से होकर गुजरती है. जंगल का भाग नदी से सटा हुआ है.सरकारी अनुमान के मुताबिक करीब 17 हेक्टेयर जंगल गंडक बीते 25 सालों में लील चुकी है. अब मलबे के चलते खतरा और बढ़ गया है, क्योंकि नेपाल से पानी छूटने के बाद वाल्मीकिनगर जंगल पर सबसे ज्यादा दबाव पड़ेगा.
बह जाते है जंगली जानवर : गंडक नदी में जब भी जलस्तर बढ़ता है तो वह वन क्षेत्र के हरियाली संग कई जंगली जानवरों को भी अपने साथ बहा ले जाती है. नौतन, बैरिया के दियारा क्षेत्र के साथ गोपालगंज जिले में भी कई बार गंडक के किनारे से जंगली जानवर मिले हैं. वन विभाग के अधिकारी ग्रामीणों की सूचना पर जंगली जानवरों को पकड़ लाते है. कुछ तो मृत अवस्था में भी मिलते है तो कुछ की स्थिति बेहद नाजुक भी रहती है.
पलायन की आशंका
वाल्मीकिनगर जंगल के वन्य प्राणियों का नेपाल के चितवन में पलायन का भी अनुमान लगाया जा रहा है. जैसे ही गंडक का दबाव बढ़ेगा तो इसके भय से वन्य प्राणी चितवन की ओर रुख कर सकते है. नेपाल का वन क्षेत्र चितवन बिहार के वाल्मीकिनगर से सटा हुआ है. अक्सर ऐसे भी वाल्मीकि नगर से चितवन जंगल की ओर जंगली जानवरों का आना जाना लगा रहता है.
बयान–
गंडक नदी के कटाव की आगामी सूचना विभाग के उच्च अधिकारियों को दे दी गयी है.
सुनील सिन्हा, रेंजर
गंडक नदी में मलबा जमा होने की बात है तो इस दिशा में प्रयास किया जायेगा. ताकि जंगल का कटाव रोकी जा सके. प्रति वर्ष गंडक करीब 7 मीटर वन क्षेत्र का कटाव करती ही है.
अमित कुमार, डीएफओ