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बेरोजगार महिलाओं की रोशनी बनीं दीपाली

रांची : बरियातू निवासी दीपाली बनर्जी बंगाली समुदाय से हैं, पर झारखंड की कला संस्कृति से उन्हें शुरू से बेहद लगाव रहा है. शुरू से उनकी तमन्ना थी कि यहां की महिलाओं के लिए कुछ किया जाये. इसी उद्देश्य से दीपाली ने अपने आसपास की गरीब और बेरोजगार महिलाओं को एकत्र कर लक्ष्मी स्वयं सहायता […]

रांची : बरियातू निवासी दीपाली बनर्जी बंगाली समुदाय से हैं, पर झारखंड की कला संस्कृति से उन्हें शुरू से बेहद लगाव रहा है. शुरू से उनकी तमन्ना थी कि यहां की महिलाओं के लिए कुछ किया जाये. इसी उद्देश्य से दीपाली ने अपने आसपास की गरीब और बेरोजगार महिलाओं को एकत्र कर लक्ष्मी स्वयं सहायता समूह का गठन किया.

फिर उन्होंने महिलाओं को बांस के काम और सूखे फूल बनाना सीखा कर स्वरोजगार से जोड़ा. इससे धीरे-धीरे उसकी पहचान राज्य स्तर पर बनीं. बरियातू स्थित नयाटोली की 10 महिलाओं के समूह को दीपाली ने मकई के सूखे पत्तोंसे आकर्षक फूल बनाना सिखाया. इन फूलों को महिलाएं ट्रेंड फेयर में बिक्री के लिए बना रही है. इसकी बाजार में मांग भी काफी है. दीपाली ने रांची के चान्हो, पिठौरिया, रातू , बरियातू समेत कई क्षेत्रों की महिलाओं को यह हुनर सीखाया है. दीपाली मध्य प्रदेश के चार गांवों की गरीब महिलाओं को भी प्रशिक्षण देने जाती हैं. अब तक 300 से ज्यादा महिलाओं को उन्होंने प्रशिक्षण दिया है. जो आज आत्मनिर्भर हैं. स्वयं सहायता समूह की महिलाएं दिल्ली, मुंबई, गोवा, बेंगलुरु जैसे महानगरों में लगनेवाले सरकारी मेले में भी अपने उत्पाद का प्रदर्शन करती हैं.

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