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साहस के आगे है जीत की कहानी

माउंट एवरेस्ट फतह करनेवाली सऊदी अरब की राहा ने बनायी अलग पहचान माउंट एवरेस्ट दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है. जब इस पर महिलाओं की फतह करने की बात होती है तो हमारे मन में बछेंद्री पाल का नाम आता है. लेकिन अब ऐसे कई नाम जुड़ गये हैं, जिन्होंने अपने अदम्य साहस के […]

माउंट एवरेस्ट फतह करनेवाली सऊदी अरब की राहा ने बनायी अलग पहचान

माउंट एवरेस्ट दुनिया की सबसे ऊंची पर्वत चोटी है. जब इस पर महिलाओं की फतह करने की बात होती है तो हमारे मन में बछेंद्री पाल का नाम आता है. लेकिन अब ऐसे कई नाम जुड़ गये हैं, जिन्होंने अपने अदम्य साहस के दम पर इस चोटी को लांघा है. कृत्रिम पैरों से विजय पानेवाली अरुणिमा सिन्हा, पाकिस्तान की समीना बेग के साथ सऊदी अरब की राहा मोहर्रक का भी नाम जुड़ गया है. राहा सऊदी अरब से पहली महिला हैं. 27 वर्षीय राहा उन महिलाओं के लिए मिसाल बन चुकी हैं, जो जीवन में कठिन रास्ते अपनाती हैं और जीत हासिल करती हैं.

खुदको दी एक चुनौती

राहा कहती हैं कि मैंने अपने सपने के लिए समाज से बगावत की क्योंकि वह मुङो इसकी इजाजत नहीं देता. राहा ऐसे समाज से आती हैं, जहां लड़कियों को साइकिल चलाने की भी इजाजत लेनी पड़ती है. मगर राहा उनमें से अलग थीं. दुस्साहसी मिजाज रखनेवाली राहा की रुचि खेलकूद, साइक्लिंग में ज्यादा थी. पर्वतों पर चढ़ने का ख्याल राहा को सबसे पहले नवंबर 2011 में आया, जब किसी ने उनसे कहा कि वह वहां नहीं जा सकती क्योंकि वह एक सऊदी महिला हैं. राहा कहती हैं कि किसी खास जगह पैदा होने के कारण मैं अयोग्य बता दी जाऊं, यह मुङो मंजूर नहीं था.

ऊंचाई पर पहुंच कर खुशी हुई

पहाड़ पर चढ़ने का सबसे पहला अभियान राहा ने अफ्रीका के किलीमंजारो से शुरू किया. पहाड़ पर चढ़ने का उनका पहला अनुभव काफी खराब और थकाऊ रहा. मगर इस अनुभव से उन्हें हिम्मत आयी. वह कहती हैं कि इतने थकान के बावजूद मुङो अच्छा लगा कि मैं 5800 मीटर की ऊंचाई पर अफ्रीका की छत तक पहुंच गयी थी.

परिवार का नहीं मिला सहयोग

अरब देश किसी लड़की को ऐसे किसी गतिविधि की इजाजत नहीं देता. इस पर राहा बताती हैं कि मैं किसी को समाज से विद्रोह करने के लिए नहीं कह रही. अपने सपनों को पाने की धुन में हम संस्कृति से खुद को काट लें यह भी सही नहीं है.

जब मैंने अपने पिता को फोन पर अफ्रीका के पहाड़ पर सफलतापूर्वक चढ़ने की बात बतायी, तो उन्होंने ठंडी प्रतिक्रि या दी. उनकी नाराजगी के बावजूद मैंने अपना हौसला बनाये रखा क्योंकि मेरी अगली मंजिल थी माउंट एवरेस्ट.

कुछ अलग करने की चाह

राहा अपने सपनों के लिए संघर्ष करने में विश्वास रखती हैं. वह इन सबसे बाहर निकलना चाहती थीं. वे लीक से हट कर कुछ ऐसा करना चाह रही थीं, जिसमें जोखिम हो, चुनौती हो. राहा ने जो किया, उसके लिए उन्हें कड़ी आलोचना का भी शिकार होना पड़ा, लेकिन उन्हें आलोचना से ज्यादा लोगों की सराहना मिली. वह कहती हैं कि मैं तब चकित रह गयीं, जब मुङो आलोचना से ज्यादा लोगों की सराहना मिली. एक लड़की ने मुङो मेल में कहा कि उसे मेरी कहानी से इतना साहस आया कि वह पिता से साइकिल की मांग कर बैठी. यह मेरे लिए सबसे ख़ूबसूरत लम्हा था.

लोगों में उत्साह दिखा

राहा बताती हैं कि मैंने सपने में भी नहीं सोचा था कि मेरे इस काम को मीडिया इतनी तवज्जो देगा. मैं हैरान थी कि लोग मेरी उपलिब्धयों के बारे में बातें करने लगे थे. वे आश्चर्य जताते हुए पूछते थे कि यह सब मैंने किस तरह किया. एक सऊदी महिला होने के कारण मैं किसी भी आलोचना के लिए तैयार थी. उन्हें अनुमान नहीं था कि उनका ये कदम अरब में एक तरह के आंदोलन को जन्म देगा. उनके अनुमान से परे उनकी उपलब्धियां अरब में बच्चियों के लिए प्रेरणा बन रही हैं. लोग महिलाओं की परंपरागत भूमिका में इस तरह के परिवर्तन के लिए राहा को पोस्टर चाइल्ड के बतौर देख रहे हैं. समाज के इस रवैये के बारे में राहा कहती हैं, मैं अपने काम के जरिये बस इतना संदेश देना चाहती हूं कि सपने देखो, साहस करो और आगे बढ़ कर उसे पूरा करो.

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