100 में 17 को लगा रोग
रांची :झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों की गर्भवती महिलाओं को डायबिटीज तेजी से अपनी चपेट में ले रहा है. ग्रामीण क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं में 10 से 12 फीसदी की दर से यह बीमारी फैल रही है. डायबिटीज इन प्रेगनेंसी स्टडी ग्रुप (डिप्सी) के आंकड़े बताते हैं कि देश की 17 फीसदी गर्भवती महिलाएं डायबिटीज की चपेट में आ रही हैं. झारखंड में भी डायबिटीज से पीड़ित गर्भवती महिलाओं की संख्या 100 में 17 है. यह आंकड़ा हर साल दो प्रतिशत की दर से बढ़ रहा है.
लाइफ स्टाइल है मुख्य कारण : मशीनीकरण के इस युग में महिलाओं की दैनिक दिनचर्या (खान–पान, रहन–सहन) में भी बदलाव आया है. महिलाएं घरेलू कार्य के निबटारे में मशीन का उपयोग करने लगी हैं. वह शारीरिक मेहनत से दूर होती जा रही है. महिलाओं में डायबिटीज का यह भी एक कारण माना जा रहा है. ग्रामीण क्षेत्रों का तेजी से शहरीकरण होता जा रहा है, इससे वहां की महिलाएं भी नॉन कम्युनिकेल डिजीज जैसे डायबिटीज, ब्लड प्रेशर की चपेट में आ रही हैं.
क्या है नुकसान
गर्भवती महिलाओं को डायबिटीज होने से उनके एवं गर्भ में पल रहे बच्चे के शारीरिक एवं बौद्विक विकास पर सीधा असर पड़ता है. महिलाओं में गर्भपात होने की संभावना बढ़ जाती है. अगर बच्चे जन्म लेते हैं, तो उनमें जन्मजात बीमारी होने की संभावना भी रहती है. प्रसव में जटिल समस्या भी आ सकती है. बच्च का वजन बढ़ जाने पर महिला का सिजिरियन भी करनी पड़ती है.
डिप्सी की रिपोर्ट में यह पाया गया है कि ग्रामीण क्षेत्र की गर्भवती महिलाओं में डायबिटीज बढ़ रहा है. यह आंकड़ा 12 प्रतिशत तक पहुंच गया है. गर्भवती महिला को डायबिटीज होने से महिला व बच्चे के शरीर पर असर पड़ रहा है.
डॉ विनय कुमार ढढानिया, डायबिटीज विशेषज्ञ