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ऑफिस में दिमाग के साथ लायें दिल भी

।। दक्षा वैदकर ।। ऑफिस और कर्मचारी दोनों के संबंधों में पिछले कुछ सालों में बहुत बदलाव आया है. एक वक्त था, जब कर्मचारियों को कहा जाता था कि ‘ऑफिस में सिर्फ अपना हाथ ले कर आओ, दिमाग लाने की जरूरत नहीं. तुम्हें जितना बताया जाये, उतना ही करो. सोचने के लिए हम हैं न.’ […]

।। दक्षा वैदकर ।।

ऑफिस और कर्मचारी दोनों के संबंधों में पिछले कुछ सालों में बहुत बदलाव आया है. एक वक्त था, जब कर्मचारियों को कहा जाता था कि ऑफिस में सिर्फ अपना हाथ ले कर आओ, दिमाग लाने की जरूरत नहीं. तुम्हें जितना बताया जाये, उतना ही करो.

सोचने के लिए हम हैं . यानी आइडिया देने का अधिकार केवल ऊपर के लोगों को था. कुछ सालों बाद यह ट्रेंड आया कि ऑफिस में हाथ के साथ अपना दिमाग भी लेकर आओ. कई बार सीनियर गुस्से में डांटा करते थे कि दिमाग क्या घर पर छोड़ आये हो? इस दौर में कर्मचारियों के आइडिया को जगह मिलने लगी. उनसे भी पूछा जाने लगा कि कंपनी के लिए कौनसी चीज बेहतर है.

उनके सुझाव पर गंभीरता से विचार किया जाने लगा. व्यक्ति छोटा हो या बड़ा, सभी के सुझावों को समान महत्व दिया जाने लगा. अभी जो ट्रेंड चल रहा है, उसमें यह कहा जा रहा है कि अपना हाथ, दिमाग और दिल तीनों ऑफिस लेकर आओ. यह बदलाव इसलिए हुआ क्योंकि जो दूसरे नंबर का दौर था, जिसमें केवल हाथ और दिमाग लाना होता था, उसमें कई तरह की समस्याएं आने लगी.

लोग ऑफिस में दिमाग लाने लगे. दिमाग यानी कि इगो. अपने आइडिया, अपने पद से जुड़ाव. अब लोगों में आइडिया को लेकर झगड़े होने लगे. वे सोचने लगे मेरा आइडिया इन्होंने कैसे कैंसल किया. मेरा आइडिया इनके आइडिया से अच्छा था. इन्होंने मेरे आइडिया में गलती आखिर निकाली कैसे? कर्मचारी अपने आइडिया से कुछ ज्यादा ही जुड़ने लगे. कई लोग अपने पदों से लगाव करने लगे.

फलां व्यक्ति ने मुङो बैठने को नहीं बोला, उसने मुङो गुड मॉर्निग विश नहीं किया. इस तरह की चीजें ऑफिस में दिमाग लाने की वजह से होने लगी. इसलिए इस तीसरी चीज यानी कि दिल को ऑफिस में लाने को कहा गया. ऐसा इसलिए ताकि लोगों में अपनापन जगे. वे ऑफिस को भी परिवार समझें.

आप खुद सोचें, जब घर में हमारा छोटा भाई कोई गलती कर देता है, तो हम परिवारवाले यही कहते हैं कि यह बात घर के बाहर जाय. परिवार की इज्जत का सवाल है. और सच में कोई भी उस बात को बाहर नहीं जाने देता. लेकिन जब ऑफिस में कोई कर्मचारी गलती करता है, तो हम क्या करते हैं? हम सभी के पास जाजाकर उसकी गलती बताते हैं.

बात पते की..

– ऑफिस में इस बात का इंतजार करना बंद करें कि कोई कर्मचारी गलती करे और हम उसकी गलती के बारे में सब को जा कर बता दें.

– हम अपना अधिकांश समय ऑफिस में ही गुजारते हैं. आप यहां का माहौल तभी अच्छा रख पायेंगे, जब आप यहां दिल भी साथ ले कर आयेंगे.

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