एक सर्वे के मुताबिक दुनिया में हरेक वर्ष 29 फीसदी लोग दिल की बीमारी से मरते हैं. यानी दुनिया भर में 1.71 करोड़ लोग हर वर्ष दिल की असमय धड़कन बंद होने से मौत के मुंह में समा जाते हैं. एशियाई देशों विशेष कर भारत में ऐसे मामले साल-दर-साल बढ़ते ही जा रहे हैं. भारत के उत्तरी राज्यों में ऐसे मामले अधिक देखने को मिल रहे हैं. गलत खान-पान और जीवनशैली की वजह से वे जल्दी इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं. वयस्कों के साथ-साथ बच्चों में भी यह बीमारी तेजी से फैल रही है. ऐसे में जीवनशैली सुधार कर ब्लड प्रेशर को काबू में करें. खानपान से शुगर नियंत्रण में रखें. मोटापा कम करें. शारीरिक श्रम करें. भरपूर नींद लें.रेशेवाले फल व सब्जियां ज्यादा खाएं.
शहरी जीवन शैली व रहन-सहन में बदलाव ने लोगों को असमय बीमार बनाना शुरू कर दिया है. इस माहौल में दिल कब दगा दे जाये, पता ही नहीं चलता. बुजुर्ग, किशोर व बच्चे अब सब इसकी चपेट में आने लगे हैं. एक सर्वे के मुताबिक दुनिया में हरेक वर्ष 29 फीसदी लोग दिल की बीमारी से मरते हैं. यानी दुनिया भर में 1.71 करोड़ लोग हर वर्ष दिल की असमय धड़कन बंद होने से मौत के मुंह समा जाते हैं.
एशियाई देशों विशेष कर भारत में ऐसे मामले साल-दर-साल बढ़ते ही जा रहे हैं. देश के उत्तरी राज्यों में ऐसे मामले अधिक देखने को मिल रहे हैं. गलत खान-पान व जीवनशैली की वजह से वे जल्दी इसकी गिरफ्त में आ रहे हैं. व्यस्कों के साथ-साथ बच्चों में भी यह बीमारी तेजी से फैल रही है. ऐसे में दिल को स्वस्थ व संभाल कर रखना बहुत जरूरी है.
हो जाएं सावधान
सांस फूलना, अचानक ज्यादा पसीना आना, बार-बार चक्कर आना, घबराहट, बेचैनी व थकान शुरुआती तौर पर हृदय रोग के लक्षण हो सकते हैं. इसलिए सावधान हो जाएं. इन्हें गंभीरता से नहीं लेने पर आगे चल कर बीमारी गंभीर हो जाती है. इसके अलावा सीना, दांत, जबड़ा, गर्दन, पीठ, कंधा, पेट व सिर में बराबर दर्द होने को भी गंभीरता से लेना चाहिए. इसलिए समय-समय पर डॉक्टरी जांच कराते रहना चाहिए. ब्लड प्रेशर और इसीजी से हृदय की असामान्य धड़कन का पता चल जाता है.
ऐसे काम करता है दिल
हृदय मानव शरीर का एक महत्वपूर्ण अंग है. यह छाती के मध्य में थोड़ी-सी बायीं ओर स्थित होता है. यह एक दिन में लगभग एक लाख बार व एक मिनट में 60 से 90 बार धड़कता है. यह हर धड़कन के साथ शरीर में रक्त को धकेलता है. हृदय को पोषण व ऑक्सीजन रक्त से मिलता है, जो कोरोनरी धमनियों द्वारा प्रदान किया जाता है. यह अंग दो भागों में विभाजित होता है, बायां व दायां. हृदय के दाहिने और बाएं प्रत्येक ओर दो चैंबर, ‘एट्रिअम’ व ‘वेंट्रिकल’ नाम के होते हैं. कुल मिला कर हृदय में चार चैंबर होते हैं. हृदय का दाहिना भाग शरीर से दूषित रक्त प्राप्त करता है. उसे फेफड़ों में पंप करता है. फेफड़ों में रक्त शोधित हो कर हृदय के बाएं भाग में पहुंचता है. यहां से वह वापस शरीर में पंप कर दिया जाता है. चार वॉल्व, दो बायीं ओर (मिट्रल व एओर्टिक) और दो हृदय के दायीं ओर (पल्मोनरी व ट्राइक्यूस्पिड) रक्त के बहाव को निर्देशित करने के लिए एक दिशा द्वार की तरह कार्य करते हैं.
हृदय की मांसपेशियां जीवंत होती हैं. उन्हें जिंदा रहने के लिए आहार व ऑक्सीजन चाहिए. जब एक या ज्यादा आर्टरी अवरु द्ध हो जाती है, तो हृदय की कुछ मांसपेशियों को आहार और ऑक्सीजन नहीं मिल पाता है. इस अवस्था को हार्ट अटैक यानी ‘दिल का दौरा’ कहते हैं. हार्ट अटैक के दौरान आमतौर पर लक्षण आधे घंटे तक या इससे ज्यादा समय तक रहते हैं व आराम करने या दवा खाने से आराम नहीं मिलता. लक्षणों की शुरु आत मामूली दर्द से होकर गंभीर दर्द तक पहुंच सकती है. कुछ लोगों में हार्ट अटैक का कोई लक्षण सामने नहीं आता, जिसे हम साइलेंट मायोकार्डियल इंफ्रैक्शन यानी एमआइ कहते हैं. ऐसा आमतौर पर उन मरीजों में होता है, जो डायबीटीज से पीड़ित होते हैं.
पहचान नहीं है मुश्किल
दिल की बीमारियों का दायरा बहुत बड़ा है. जैसे वॉल्व की समस्या, कंजिनाइटल हार्ट प्रॉब्लम, कोरोनरी आर्टरी डिसीज, एन्जाइना, दिल का दौरा आदि. कोरोनरी आर्टरी डिजीज या कार्डियो वैस्कुलर बीमारी के ज्यादातर मामलों में वसा जिम्मेदार है. अथिरोमा नामक वसा धमनियों के भीतर जम जाती है. समय के साथ यह बढ़ती जाती है. खून के बहाव में रूकावट आने लगती है. इससे एन्जाइना का दर्द होने लगता है. धमनियों में जबरदस्त रुकावट आ जाती है. जब ऐसा होता है, तो हृदय की मांसपेशियों के एक हिस्से में अचानक खून की कमी हो जाती है. वह क्षतिग्रस्त हो जाता है. अगर यह क्षति सीमित हो, तो हृदय अपनी पहलीवाली अवस्था में आ सकता है, लेकिन यदि नुकसान ज्यादा हो, तो मौत भी हो सकती है. धमनियों के क्षतिग्रस्त होने से मस्तिष्क में भी रक्त का बहाव नहीं हो पाता, जिससे लकवा मार सकता है.
बाइपास सजर्री
धमनियों में खून की रु कावट शल्य क्रि या (बाइपास सर्जरी) से ठीक की जाती है. यह शल्य क्रि या 3 से 6 घंटे की होती है. इसके लिए मरीज को अस्पताल में एक सप्ताह से दस दिनों तक भर्ती होना पड़ता है. शल्य क्रि या के बाद कुछ घंटे मरीज को आइसीयू में रखना होता है. इस दौरान मरीज की हालत पर निगरानी रखी जाती है.
ऐसे होता है दिल बीमार
ब्लड प्रेशर का कम या ज्यादा होना, कॉलेस्ट्राल का बढ़ जाना, तैलीय चीजें ज्यादा खाना, शारीरिक श्रम व व्यायाम बिल्कुल नहीं करना, चिंता, तनाव व अवसाद में रहना, अधिक वजन होना, अधिक ध्रूमपान या शराब पीना, शुगर बढ़ना, अनियमित जीवन शैली, भरपूर नींद न लेना.
जीवनशैली सुधारें, दिल को बचाएं
जीवनशैली सुधार कर ब्लड प्रेशर को काबू में करें. खानपान से शुगर नियंत्रण में रखें. मोटापा कम करें. तली-भूनी चीजें न खाएं. शारीरिक श्रम करें. प्रदूषण भरे माहौल से दूर रहें. भरपूर नींद लें. किसी भी तरह का नशा न करें. रेशेवाली फल और सब्जियां ज्यादा-से-ज्यादा खाएं. गलत धारणाओं से बचें. एक आम धारणा यह है कि पुरु षों में महिलाओं की तुलना में हृदय रोग होने का खतरा ज्यादा होता है. रजोनिवृत्ति तक लड़कियों में यह खतरा कम है, लेकिन इसके बाद महिलाओं में भी हृदय रोग की आशंका बढ़ जाती है. बदलती जीवन शैली की वजह से अब महिलाएं भी इसकी चपेट में आने लगी हैं.
आनुवंशिक है तो क्या!
आनुवंशिक हृदय रोग के खतरे को रोका नहीं जा सकता है, लेकिन जीवन शैली में बदलाव कर उसके खतरे को कम किया जा सकता है. आनुवांशिक रोग के शिकार बच्चों में इसके लक्षण शुरुआत में ही दिखने लगते हैं. इन लक्षणों में सामान्यत: तेजी से सांस लेना, त्वचा, होंठ और अंगुलियों के नाखूनों में नीलापन दिखने लगता है. इसकी मुख्य वजह खून का संचार कम होना है. ऐसे बच्चे बड़े होने पर शारीरिक क्रि याकलाप करते समय जल्दी थक जाते हैं.
तेज सांस लेने लगते हैं. अमूमन गर्भाशय में या जन्म के तुरंत बाद बच्चों में हृदय की खराबी के लक्षण दिख जाते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह तब तक पहचान में नहीं आता, जब तक कि बच्चा बड़ा नहीं हो जाता. कभी-कभी तो वयस्क होने तक इसके लक्षण पहचान में नहीं आते हैं. अमूमन शल्य क्रिया (बाइपास सर्जरी) के छह महीने के बाद कोई भी व्यक्ति सामान्य शारीरिक क्रि या के लिए फिट होता है. वह सामान्य तौर पर जीवन जी सकता है. हृदय की सामान्य बीमारियों में भी वह हर शारीरिक गतिविधि में भाग ले सकता है.
यहां होता है बेहतर इलाज
अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स), नयी दिल्ली, सफदरजंग अस्पताल, लोकनायक जयप्रकाश अस्पताल. इसके अलावा देश में कई ऐसे प्राइवेट हॉस्पिटल हैं, जहां हार्ट डिजीज का बेहतर इलाज संभव है.
प्रस्तुति: संजीव कुमार