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हिलेरी क्लिंटन ने की महिला अधिकारों की वकालत, भारत के प्रयासों को सराहा

न्यूयार्क : अमेरिका के राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए डेमोक्रैटिक उम्मीदवारी की होड में उतरीं हिलेरी क्लिंटन ने छोटे ऋण के लिए संगठित प्रयास करने वाली भारतीय महिला उद्यमियों का उदाहरण दिया है और दुनियाभर में महिलाओं के लिए समान वेतनमान, यौन हिंसा के खात्मे एवं उन्हें समान अवसर उपलब्ध कराये जाने का आह्वान […]

न्यूयार्क : अमेरिका के राष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए डेमोक्रैटिक उम्मीदवारी की होड में उतरीं हिलेरी क्लिंटन ने छोटे ऋण के लिए संगठित प्रयास करने वाली भारतीय महिला उद्यमियों का उदाहरण दिया है और दुनियाभर में महिलाओं के लिए समान वेतनमान, यौन हिंसा के खात्मे एवं उन्हें समान अवसर उपलब्ध कराये जाने का आह्वान किया है.

क्लिंटन ने कल ‘विश्व में महिलाएं’ नामक छठे वार्षिक सम्मेलन में वैश्विक दर्शकों से कहा कि पुरुषों एवं महिलाओं को समान रूप से बदलाव का वाहक बनना है तथा सभी के लिए बराबरी वाले विश्व सुनिश्चित करने के लिए जरुरी तरक्की में योगदान करना है. उन्होंने उम्मीद जतायी कि दुनिया ऐसे बदलाव को हासिल करने के पहले से कहीं ज्यादा करीब है.

उन्होंने इस बात का उदाहरण दिया कि कैसे भारत, बांग्लादेश और लाइबेरिया में महिलाएं अपनी जीविका सुधारने और अपने अधिकार हासिल करने के लिए संगठित प्रयास कर रही हैं.

उन्होंने कहा, ‘हमने देखा कि पूरी दुनिया में महिलाए बदलाव की एजेंट, तरक्की की वाहक और शांति कायम करने वाली बनी हैं. मैंने देखा है कि भारत और बांग्लादेश में जिन महिलाओं के पास फूटी कौडी नहीं थी, उन्होंने छोटे ऋण लेने और अपना छोटा कारोबार शुरू करने के लिए संगठित प्रयास किया.

हिलेरी क्लिंटन ने कहा, ‘कई महिलाओं को एक ही काम के लिए पुरुषों की तुलना में अब भी कम भुगतान किया जाता है तथा यह अंतर अश्वेत महिलाओं के लिए और भी अधिक है.’ समान वेतनमान के मापदंड पर 142 देशों के समूह में अमेरिका को 65 वें स्थान पर रखने के विश्व आर्थिक मंच की रैकिंग का हवाला देते हुए उन्होंने कहा, ‘इसका कल्पना कीजिए, हमें पहले नंबर पर होना चाहिए था.’

उन्होंने कहा, ‘जब महिलाओं को रोका जाता है तो हमारा देश रुक जाता है. जब महिलाएं आगे बढती हैं तो सबकुछ आगे बढता है.’ हिलेरी क्लिंटन ने इसे चौंका देने वाली बात बतायी कि विकसित देशों में अमेरिका एक ऐसा देश है जो महिलाओं को सवैतनिक मातृत्व अवकाश की गारंटी नहीं देता.

उन्होंने कहा, ‘यह विश्वास करना मुश्किल है कि वर्ष 2015 में भी महिलाएं मां बनने की कीमत चुकाती हैं.’ उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए समान अधिकार का संघर्ष बस महिलाओं का संघर्ष नहीं है बल्कि पूरी दुनिया का संघर्ष है और हमें मिलकर उसे जीतना है.

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