।। अजय साहनी ।।
(सुरक्षा मामलों के जानकार)
पाकिस्तानी आतंकी कश्मीर में सुरक्षा बलों के दबाव और बाड़बंदी के कारण वहां से घुसने में कामयाब नहीं हो पाते हैं. इसलिए उनका टॉप लीडरशिप बांग्लादेश या नेपाल रूट का प्रयोग करता रहा है. भटकल और टुंडा की नेपाल सीमा से गिरफ्तारी इसी तथ्य को पुष्ट करती है.
आ तंकी संगठन इंडियन मुजाहिदीन के संस्थापक व देश में कई आतंकी घटनाओं के लिए जिम्मेवार यासीन भटकल की गिरफ्तारी व इसके कुछ ही दिन पहले एक और आतंकी अब्दुल करीम टुंडा की गिरफ्तारी भारतीय खुफिया एजेंसियों की बड़ी कामयाबी मानी जायेगी.
कुछ ही दिनों के अंतराल पर जिस तरह से दोनों की गिरफ्तारी हुई है, इससे जाहिर है कि हमारी खुफिया एजेंसियां पुख्ता सूचनाओं के आधार पर सही तैयारी के साथ अपनी गतिविधियों को संचालित कर रही हैं.
जब भी किसी आतंकी संगठन का कोई बड़ा चेहरा पकड़ा जाता है, तो हमें उसके जरिये उसके पूरे आतंकी नेटवर्क, उनके प्रभाव, देश में फैले उनके संजाल के विषय में जानकारी मिलती है. साथ ही उनके द्वारा दी गयी सूचनाओं के आधार पर इस पूरे नेटवर्क को समाप्त करने की दिशा में मदद मिलती है.
ऐसी गिरफ्तारी से आतंकी संगठनों के निचले स्तर के कारिंदों के मनोबल पर असर पड़ता है, जिसका फायदा खुफिया एजेंसियों को मिलता है. इंडियन मुजाहिदीन, जो पहले सिमी के नाम से काम करता था, आगे भी किसी और नाम से संचालित किया जा सकता है.
नाम से कोई फर्क नहीं पड़ता. ये सभी आतंकवाद का ही विस्तार है, जिसे पाकिस्तान की आइएसआइ अपने पैसों, अपने साधनों के आधार पर पोषित करती है. कभी यह जेकेएलएफ, अल मुजाहिदीन के नाम से सामने आता है, तो कभी जैश–ए–मोहम्मद, लश्कर–ए–तैयबा नाम से. कहा जाता है कि इंडियन मुजाहिदीन पाकिस्तानी आतंकी संगठन लश्कर–ए–तैयबा द्वारा पोषित व समर्थित संगठन है.
इंडियन मुजाहिदीन हो या लश्कर–ए–तैयबा इन सभी संगठनों को आइएसआइ भारत में आतंकी गतिविधियों को संचालित करने के लिए चला रही है. आइएसआइ पाकिस्तानी सेना के कहने पर ही ऐसी गतिविधियों को बढ़ावा देती है. जब–जब पाकिस्तान में कोई सिविलियन सरकार (चुनी हुई सरकार) आती है, तो पाकिस्तानी सेना आइएसआइ के जरिये भारत में आतंकी संगठनों की गतिविधियों को और तेज करने का प्रयास करती है.
इसलिए यह देखना जरूरी है कि इनके नेटवर्क कितने फैले हुए हैं, और इनके नेटवर्क का आइएसआइ से सहयोग को रोकने में हम कितना कामयाब होते हैं. पाकिस्तानी आतंकी कश्मीर में सुरक्षा बलों के दबाव और बाड़बंदी के कारण वहां से घुसने में कामयाब नहीं हो पाते हैं. इसलिए उनका टॉप लीडरशिप बांग्लादेश या नेपाल रूट का प्रयोग करता रहा है.
भटकल और टुंडा की नेपाल सीमा से गिरफ्तारी इसी तथ्य को पुष्ट करती है. इन गिरफ्तारियों से यह तथ्य भी सामने आ रहा है कि अब पश्चिमी एशिया के देशों, जैसे दुबई, सऊदी अरब आदि, जो इन संगठनों द्वारा पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल किये जाते रहे हैं, का सहयोग हमारी खुफिया एजेंसियों को मिल रहा है.
इन देशों के सहयोग के कारण ही और इनके द्वारा दी गयी खुफिया जानकारियों के आधार पर ऐसा लगता है कि ये पकड़े जा रहे हैं. इस लिहाज से यह बहुत बड़ी सफलता है. पिछले दिनों दाऊद गैंग के लोग भी पकड़े गये थे, यहां तक कि उसके भाई की गिरफ्तारी भी हुई थी.
अगर इस तरह से आतंकियों की गिरफ्तारी होती रही, तो निश्चित रूप से दाऊद के नेटवर्क पर भी प्रभाव पड़ेगा और वह भी असुरक्षित महसूस करेगा. हां इन क्षेत्रों से हो रही गिरफ्तारियों के बाद हमारी सुरक्षा एजेंसियों को इसकी तरफ भी ध्यान देना होगा कि केवल कश्मीर के बॉर्डर को सुरक्षित करने से काम नहीं चलेगा, हमें इन पूर्वी राज्यों के बॉर्डर पर भी सुरक्षा बढ़ानी होगी.
(संतोष कुमार सिंह से बातचीत पर आधारित)