नयी दिल्ली : अमेरिका के एक अनुसंधानकर्ता ने अपनी नियुक्ति पर हो रही राजनीति पर दुख जताते हुए सेंट स्टीफन्स में नौकरी की पेशकश को स्वीकार करने से इनकार कर दिया है. उन्होंने यह कदम संस्थान के पूर्व छात्रों के एक समूह के इस आरोप के बाद उठाया है कि संस्थान अयोग्य शिक्षकों को नौकरी पर रख रहा है. समूह ने यद्यपि दावा किया कि अनुसंधानकर्ता द्वारा पद पर नौकरी स्वीकार नहीं करने के पीछे हितों का टकराव कारण है क्योंकि वह कालेज की सर्वोच्च परिषद और शासी निकाय के एक सदस्य के पुत्र हैं.
समूह ने जारी एक बयान में कहा, ‘जोसेफ द्वारा नौकरी नहीं स्वीकार करने के पीछे सच्चाई और वास्तविक कारण हितों का टकराव है. वह सर्वोच्च परिषद और शासी निकाय के एक सदस्य के पुत्र हैं.’ समूह ने कहा कि वह कानूनी चुनौती की चेतावनी से घबरा गए थे. उनके पास नियुक्ति से इनकार करने के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं था जिसे उस अस्थायी शिक्षक को देने से इनकार कर दिया गया था जो लंबे समय से वहां पढा रहा था और जो इस पद के लिए सबसे योग्य और सक्षम था.’
डा. सेसिल जोसफ ने कॉलेज के प्राचार्य वाल्सन थंपू को भेजे ईमेल में लिखा, ‘जिस तरह से मेरी नियुक्ति को लेकर राजनीति हो रही है जैसा कि मुझे अनेक सूत्रों से पता चला है, उससे मैं बहुत निराश हूं. ऐसी धारणा बनायी जा रही है कि मेरी नियुक्ति मेरी अकादमिक योग्यता से भिन्न किसी अन्य कारण पर आधारित है. मैं इसे व्यक्तिगत अपमान समझता हूं.’ उन्होंने कहा, ‘मैंने अपनी काबिलियत के लिए बहुत मेहनत की है और अत्यंत प्रतियोगी परिस्थितियों में खुद को साबित किया है.
मेरे काम को भलीभांति जाना जाता है और मेरे क्षेत्र में उसका सम्मान है. मेरी नियुक्ति को सांप्रदायिक रंग देना (मेरे पास उपलब्ध सूचना के अनुसार) अन्याय के समान है.’ सेंट स्टीफन्स कॉलेज के पूर्व छात्र और यूनिवर्सिटी ऑफ मेसाचुसेट्स लॉवेल के सहायक संकाय सदस्य ने भौतिकी विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद के लिए आवेदन किया था और उनका चुनाव इसके लिए हो गया. हालांकि कॉलेज की चयन प्रक्रिया में ईसाइयों का पक्ष लिये जाने के आरोपों पर विरोध दर्ज कराते हुए उन्होंने इसे खारिज कर दिया.
जोसफ ने कहा, ‘मैंने अपने कॉलेज से प्यार होने की वजह से अमेरिका में अपने विश्वविद्यालय में स्थाई पद की पेशकश को नजरअंदाज करके भारी कीमत चुकाकर साक्षात्कार दिया. इन परिस्थितियों में मैं प्रस्ताव स्वीकार करते हुए कठिनाई महसूस कर रहा हूं. कोई गंभीर और स्वाभिमानी शिक्षाविद प्रतिकूल परिस्थितियों में काम नहीं कर सकता और संस्थान के साथ तथा ही अपनी क्षमताओं के साथ न्याय नहीं कर सकता है.’
ओल्ड स्टीफनियन्स एसोसिएशन ने आरोप लगाया था कि मार्च में नियुक्त आठ शिक्षकों में से सात ईसाई हैं. यह संगठन कॉलेज द्वारा मान्यताप्राप्त नहीं है. संगठन ने एक बयान में कहा था, ‘स्टीफंस के प्राचार्य ने केवल किसी एक विशेष समुदाय के होने की वजह से जानबूझकर अयोग्य शिक्षकों का चयन करके जिस तरह से अल्पसंख्यक अधिकार और ईसाइयों के हितों के संरक्षण के बेबुनियाद आधार का इस्तेमाल किया है, उससे संस्थान के पूर्व छात्र हैरान हैं.’
कॉलेज ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा था कि सभी नियुक्तियां निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से की गयीं और उम्मीदवारों का चयन योग्यता के आधार पर किया गया. थंपू ने दावा किया कि कुछ ‘अंसतुष्ट तत्व’ अभियान चला रहे हैं और कॉलेज की साख गिरा रहे हैं.