अमरेश कुमार राय
विज्ञान में आज लाइफ साइंसेज के बारे में बात करते हैं. इसमें माइक्रोबायोलॉजी खासा महत्वपूर्ण कोर्स है. आज हम इसके कोर्सेस और उसमें प्रवेश पाने की प्रक्रिया के बारे में बात करेंगे. ठीक इसी तरह हम जानने की कोशिश करेंगे मॉलेक्यूलर माइक्रोबायोलॉजी और न्यूरोसाइंस के बारे में.
माइक्रोबायोलॉजी है क्या
माइक्रोबायोलॉजी में जीवों के सबसे छोटी सेल्स यानी कोशिकाओं का अध्ययन किया जाता है. सबसे छोटी कोशिकाओं के अध्ययन के लिए माइक्रोस्कोप का प्रयोग होता है. ऐसे ही मॉलेक्यूलर माइक्रोबायोलॉजी में बैक्टीरिया, वायरस आदि के बायोलॉजिकल प्रक्रियाओं के बारे में पढ़ा जाता है. न्यूरोसाइंस में तंत्रिका तंत्र से संबंधित क्रियाओं, प्रक्रियाओं, इसके कारण होनेवाले प्रभाव का अध्ययन किया जाता है. ये सभी बायोलॉजिकल प्रोग्राम्स वास्तव में रिसर्च से संबंधित कोर्सेज होते हैं. अधिकतर छात्र मास्टर्स, फिर पीएचडी करने की ओर रुख करते हैं. अत: इन सभी कोर्सेज के लिए विश्वविद्यालयों का चयन करना भी महत्वपूर्ण प्रक्रिया है. इसे सोच-समझ कर चुनना बेहद महत्वपूर्ण है.
इन विषयों में मास्टर्स तक की पढ़ाई करने के बाद छात्र को दवा बनानेवाली संबंधित कंपनियों में आसानी से नौकरी मिल सकती है. इसके अलावा विश्वविद्यालयों में लेक्चरर आदि बनने की भी अच्छी संभावना होती है.
श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों की सूची
बायोलॉजिकल साइंसेज में पढ़ने के लिए दुनिया के विभिन्न विश्वविद्यालयों में से कुछ प्रमुख नामों पर नजर डालें, तो वे इस प्रकार हैं- हार्वर्ड यूनिवर्सिटी, मेसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआइटी), यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज, यूनिवर्सिटी ऑफ ऑक्सफोर्ड, स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया बर्कले, येल यूनिवर्सिटी, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सेन डिएगो, इम्पीरियल कॉलेज लंदन, इटीएच जुरिच, कैलिफोर्निया इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया लॉस एंजिल्स, द यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न, यूनिवर्सिटी ऑफ कैलिफोर्निया सेन फ्रांसिस्को, कॉर्नेल यूनिवर्सिटी, द यूनिवर्सिटी ऑफ टोक्यो, क्योटो यूनिवर्सिटी, नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर, प्रिंसटन यूनिवर्सिटी आदि.
यह जरूरी नहीं कि विद्यार्थी सिर्फ ऊपर दिये गये विश्वविद्यालयों की सूची को ही ध्यान में रखें. इसके अलावा भी बहुत से ऐसे विश्वविद्यालय हैं, जो अच्छी शिक्षा प्रदान करते हैं. वहां के छात्रों ने दुनियाभर में नाम कमाया है.
आवेदन का तरीका
अब रही बात छात्र के आवदेन की, तो उन्हें सबसे पहले अपने एकेडेमिक और अन्य संबंधित कागजातों के आधार पर अपनी प्रोफाइल तैयार करनी होती है. इसके बाद अपनी योग्यता के आधार पर विश्वविद्यालयों की सूची तैयार करें. छात्रों को लगभग 15 विश्वविद्यालयों का चयन करना चाहिए. फिर उनमें से करीब 10 यूनिवर्सिटी में आवेदन करें. गौर करने की बात यह भी है कि सभी विश्वविद्यालयों में आवेदन करने के लिए आवेदन शुल्क भी देना होता है. आवेदन फीस के अलावा विश्वविद्यालयों की ट्यूशन फीस भी भारत के विद्यार्थियों के लिए भारी पड़ती है. इसलिए इसके बारे में परिवार के बड़े लोगों से सलाह लेने के बाद ही कदम उठायें.
स्कॉलरशिप भी है एक माध्यम
अंतरराष्ट्रीय विश्वविद्यालयों में पढ़ना जितना उत्साही होता है, उसकी कीमत अदा करना भी उतना ही महंगा. कुछ विश्वविद्यालयों में स्कॉलरशिप्स की व्यवस्था की गयी है. इन स्कॉलरशिप को प्राप्त करने के लिए आवेदकों को अलग से आवेदन करना होता है. छात्रों को अपनी प्रोफाइल को इस काबिल बनाना होता है कि दूसरे देश में मौजूद एडमिशन और स्कॉलरशिप टीम आपको चुन ले. आप अपने सामान्य एकेडेमिक प्रोफाइल को तो नहीं बदल सकते, लेकिन उसे प्रोफेशनल तरीके से उनके सामने प्रस्तुत करने की कला जरूर सीख सकते हैं.