कॉमर्शियल पायलट का लाइसेंस, फिर एसपी जैन मैनेजमेंट कॉलेज से एमबीए की डिग्री, इसके बाद अमेरिका में काम. सफर यहीं नहीं थमा. फिर एंटरप्रेन्योर के रास्ते पर निकलना. काफी विविधताओं से पूर्ण है निधि सक्सेना का अब तक का सफर. वे क्लिनिकल रिसर्च ऑर्गेनेजाइजेशन कार्मिक लाइफसाइंसेस की संस्थापक और सीइओ हैं.
निधि सक्सेना कार्मिक लाइफसाइंसेस, जो क्लीनिकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन (सीआरओ) है, की संस्थापक हैं. जब दुनिया की अर्थव्यवस्था मंदी की शिकार नजर आ रही थी, तब उनकी कंपनी का कुल रेवेन्यू करीब 300 डॉलर का था. लेकिन पिछले वर्ष तक उनकी कंपनी का रेवेन्यू 10 मिलियन डॉलर था. उनकी कंपनी ऑनकोलॉजी सेगमेंट पर काम करती है. इस वर्ष उनकी कंपनी के पांच वर्ष पूरे हो गये हैं.
कहां से हुई शुरुआत
निधि जब 18 वर्ष की थीं, तब भी उन्हें यही लगता था कि वे खुद का काम करेंगी, लेकिन उनके विचारों ने मूर्त रूप एमबीए की पढ़ाई के दौरान लिया. उस समय उन्हें कई विश्लेषणात्मक चीजें करने को मिलीं. जब वे अमेरिका पहुंचीं, तो उनके विचारों को और बल मिला. वहां पर उनका अच्छा-खासा नेटवर्क बना, जिससे उन्हें एंटरप्रेन्योर बनने के विचार पर गहराई से सोचने के बेहतरीन मौके मिले.
तकनीकी क्षेत्र में मास्टर
निधि खुद टेक्निकल बैकग्राउंड की हैं, पर उन्होंने शुरुआत की एक क्लीनिकल रिसर्च ऑर्गनाइजेशन से. निधि के अनुसार किसी भी कंपनी को स्थापित करने के लिए जेनेरिक क्षमताएं होना ज्यादा जरूरी हैं. ये क्षमताएं हैं- विजन, विश्लेषणात्मक वैचारिक प्रक्रिया, संवाद क्षमता, नेटवर्किग, कस्टमर मैनेजमेंट और नेगोसिएशन स्किल्स आदि. उन्होंने खुद को तीन वर्ष का समय दिया. इस दौरान उन्होंने इस इंडस्ट्री, डॉक्टर और फार्माकोलॉजिस्ट से मिलने, क्लीनिकल रिसर्च सुविधाओं और इसके बाजार को समझने के लिए शोध करने के साथ ही अपने दिमाग को चुस्त-दुरुस्त करने के लिए कई किताबों की मदद ली.
कैसा है यह क्षेत्र
ऑनकोलॉजी सिस्टम इस बाजार का बड़ा क्षेत्र है. यह 100 बिलियन डॉलर से ज्यादा का क्षेत्र है. इसमें ज्यादा से ज्यादा रिसर्च एंड डेवलपमेंट का असर दिखता है. यह जटिल, आकर्षित करनेवाला और वैज्ञानिक दृष्टि से चुनौतीपूर्ण क्षेत्र है. खासतौर से तब, जब जीन थैरेपी और एंजियोजेनेसिस के क्षेत्र में काम करते हैं. निधि को व्यक्तिगत तौर पर लगता है कि उनकी टीम को ऑनकोलॉजी काफी पसंद आ रहा है. यह एक ऐसा क्षेत्र है, जिस पर विज्ञान को अभी फतह करना बाकी है.
अच्छी सुविधा देना है लक्ष्य
बढ़िया क्लीनिकल प्रैक्टिस देने के लिए निधि अपने स्टाफ को लगातार और कठिन प्रशिक्षण भी देती हैं. कार्मिक लाइफसाइंसेस के सभी कर्मचारियों के लिए छह महीने में एक गुड क्लीनिकल प्रैक्टिस (जीसीपी) लेना अनिवार्य है. बस इतना ही नहीं, ट्रेनिंग के दौरान जीसीपी सर्टिफिकेट प्राप्त करना भी जरूरी होता है.