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गरमी की छुट्टी में बच्चों के साथ करें यह प्रयोग

दक्षा वैदकर परीक्षा खत्म हो गयी है और बच्चे बिल्कुल फ्री बैठे हैं. कभी वे कमरे में कूद-कूद कर उधम मचाते हैं, तो कभी गली-मोहल्ले में क्रिकेट खेल कर भागते फिरते हैं. पैरेंट्स परेशान हैं कि आखिर इनकी मस्ती को कम कैसे किया जाये. कुछ पैरेंट्स तो ड्रॉइंग या म्यूजिक क्लास भेजने की भी तैयारी […]

दक्षा वैदकर

परीक्षा खत्म हो गयी है और बच्चे बिल्कुल फ्री बैठे हैं. कभी वे कमरे में कूद-कूद कर उधम मचाते हैं, तो कभी गली-मोहल्ले में क्रिकेट खेल कर भागते फिरते हैं. पैरेंट्स परेशान हैं कि आखिर इनकी मस्ती को कम कैसे किया जाये. कुछ पैरेंट्स तो ड्रॉइंग या म्यूजिक क्लास भेजने की भी तैयारी कर चुके हैं. इस माहौल में मुङो इंदौर काएक शख्स याद आ गया. गरमी की छुट्टियों पर जब मैं स्टोरी कर रही थी, तो उन्होंने बताया था कि वे अपने बच्चे को किस तरह बिजी रखते हैं.

उन्होंने कहा था कि वे बच्चे को ज्यादा-से-ज्यादा समय दे कर उसे अच्छी चीजें सिखाते हैं. वे उसे एक अच्छा इनसान बनाने के लिए गरमी की छुट्टी के दिनों को सबसे बेहतर मानते हैं. उन्होंने बताया कि बेटे अक्षय के लिए वे हर गरमी की छुट्टी में ढेर सारी फिल्में, बुक्स ले कर आते हैं.

फिल्मों का चयन वे खुद करते हैं और ऐसी फिल्में ही चुनते हैं, जिनसे कोई शिक्षा मिले. इनमें बच्चों के लिए खास तौर पर बनायी गयी फिल्में होती हैं. जैसे- बुट पॉलिश, धूमकेतु, लंच बॉक्स, दो कलियां, थैंक्स मां, अंजलि, अब दिल्ली दूर नहीं, चिल्ड्रन ऑफ हेवन, मराठी फिल्म एलिजाबेथ एकादशी. पुराने समय की ब्लैक एंड व्हाइट मूवी देख कर कभी-कभी बेटा कोई लेटेस्ट फिल्म लगाने को कहता, लेकिन जब वे उसे समझाते और उसके साथ खुद भी बैठ कर उस फिल्म को देखते, तो वह देख लेता. उन्होंने कहा था- फिल्म देखने के बाद हम उस पर चर्चा करते हैं.

मैं जानने की कोशिश करता हूं कि बेटा फिल्म की घटना को किस रूप में देखता है. अगर वह सही दिशा में सोच रहा है, तो मैं उसे प्रोत्साहित करता हूं, लेकिन अगर वह गलत दिशा में सोच रहा है, तो फिर चर्चा के माध्यम से, उदाहरण दे कर मैं उसे शिक्षा देता हूं. पूरी गरमी की छुट्टी हम इसी तरह बिताते हैं. अच्छी बुक्स उसे खरीद कर देता हूं और कहता हूं कि शाम को यह कहानी मैं तुमसे सुननेवाला हूं. वह बुक भी पढ़ लेता है और सीख भी मिल जाती है. यह एक क्लास की तरह ही है, जहां मस्ती-मजाक में पढ़ाई हो जाती है. मुङो देख कर मेरे कई दोस्तों ने बच्चों के साथ फिल्म देखना शुरू किया है. सिर्फ अच्छी फिल्में.

बात पते की..

– गरमी की छुट्टी को आफत न समङों. यह बेहतरीन समय है, जब आप बच्चे के साथ समय बिता सकते हैं, उनके साथ दिन भर फिल्म देख सकते हैं.

– आज के समय में सिर्फ कोर्स की पढ़ाई ही जरूरी नहीं है. आज जरूरत है कि पैरेंट्स अपने बच्चों के साथ अच्छी-अच्छी बातें शेयर करें.

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