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धान की भूसी से बना तेल स्वास्थ्य के लिए लाभदायक

हृदय रोग विशेषज्ञ और डायटीशियन मानते हैं कि अगर हृदय के अनुकूल तेल इस्तेमाल किया जाये तो इससे दिल संबंधी बीमारियों के रिस्क को कम किया जा सकता है और इससे सेहत में भी सुधार होता है. नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ न्यूट्रीशिन ( एनआइएन) की हालिया सिफारिशों के मुताबिक राइस ब्रैन तेल सेहतमंद तेलों की श्रेणी […]

हृदय रोग विशेषज्ञ और डायटीशियन मानते हैं कि अगर हृदय के अनुकूल तेल इस्तेमाल किया जाये तो इससे दिल संबंधी बीमारियों के रिस्क को कम किया जा सकता है और इससे सेहत में भी सुधार होता है. नेशनल इंस्टीटय़ूट ऑफ न्यूट्रीशिन ( एनआइएन) की हालिया सिफारिशों के मुताबिक राइस ब्रैन तेल सेहतमंद तेलों की श्रेणी में फिट बैठता है. बाजार में मौजूद ढेर सारे विकल्पों में ऐसे खाद्य पदार्थो को चुनने में बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है जो न सिर्फ स्वादिष्ट हो बल्कि सेहतमंद भी हो.

इंडियन हर्ट जर्नल में प्रकाशित अध्ययन के मुताबिक शहरी इलाकों में 1960 में हृदय संबंधी बीमारियां दो प्रतिशत थी जो 2000 में बढ़कर 10.5 प्रतिशत हो गयी है जबकि गांव-देहात के इलाकों में 1970 में दिल संबंधी बीमारियां दो प्रतिशत थी जो 2000 में बढ़कर 4.5 प्रतिशत हो गयी हैं. दिल्ली के सर गंगाराम अस्पताल के सीनियर हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ जेपीएस स्वाने का कहना है, ‘ आजकल लोगों का ज्यादातर काम बैठकर करने का है जिससे शारीरिक गतिविधियां कम होती हैं और स्वस्थ खानपान न होने के कारण लोगों में कई तरह की बीमारियां फैल रही हैं जिसमें हृदय संबंधी बीमारियां सबसे ज्यादा रजिस्टर हो रही हैं. दिल संबंधी बीमारियों के बारे में लोगों को जानकारी देने के साथ साथ उसे रोकने के उपाय करना भी बहुत जरूरी है. इसमें सुबह की सैर और खाना बनाने वाला तेल में बदलाव करके दिल संबंधी बीमारियों को कम किया जा सकता है’. उनके अनुसार खाना बनाने वाले तेल में अगर संतुलित फैटी एसिड हो तो लिपिड प्रोफाइल में सुधार होता है, जिससे कॉलोस्ट्रोल का स्तर नीचे जाता है और पूरी सेहत फिट रहती है.

इंडियन डायबटिक एसोसियेशन की प्रेसिडेंट और नयी दिल्ली के ऑल इंडिया इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल सांइसेज की पूर्व चीफ डायटीशियन रेखा शर्मा के मुताबिक, ‘ समय की कमी और डाइट प्लान न बना पाने के कारण अकसर लोग दिल संबंधी बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं. ऐसी स्थितियों से बचने के लिए लोगों को खाने का तेल बदलना चाहिए. खासतौर से सेहतमंद विकल्प जैसे राइस ब्रैन तेल का इस्तेमाल. राइस ब्रैन तेल लिपिड प्रोफाइल को सही रखता है और अगर लोग थोडा डाइट पर ध्यान दें तो दिल संबंधी बीमारियों से बचा जा सकता है.

नेशनल मेडिकल जर्नल ऑफ इंडिया 2005 के अनुसार, राइस ब्रैन तेल को खाने के तेल के रूप में इस्तेमाल करने से सीरम कॉलेस्ट्रोल और ट्राग्लीस्राइड के स्तर में काफी कमी आती है और अगर इसके साथ साथ जीवनशैली में भी कुछ सकारात्मक बदलाव हो जाए तो हृदय संबंधी बीमारियों के रिस्क को काफी कम किया जा सकता है.

राइस ब्रैन तेल को चावल के भूसे में से निकाला जाता है. इस तेल की खासियत है कि इसे तलने और फ्राइ करने में इस्तेमाल किया जा सकता है और इसमें सरसों और नारियल के तेल की तरह कोई खास महक नहीं होती. इसलिए उच्च तापमान के अलावा इसका अपना कोई स्वाद न होने के कारण ये दूसरे तेलों से अलग है. हालांकि राइस ब्रैन कोई नई अवधारणा नहीं है, इसे एशिया के कई देश जैसे कि जापान और चीन बहुत इस्तेमाल करते हैं.

राइस ब्रैन तेल की खासियत बताते हुए डायटीशियन रेखा शर्मा का कहना है, कॉलेस्ट्रोल कम होने के अलावा राइस ब्रैन तेल में एंटी ऑक्सिडेंट ऑरिजनॉल और विटामिन ई की मात्र काफी ज्यादा है. इसी वजह से राइस ब्रैन तेल सेहत के लिए काफी फायदेमंद है. द जर्नल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रयिल रिसर्च में प्रकाशित लेख के मुताबिक राइस ब्रैन तेल में मौजूद ऑरिजानॉल से कॉलेस्ट्रोल, हाइपरलिपिडिमिया और मनोपॉज के विकार को ठीक करने और मांसपेशियों को बढ़ाने में मदद करता है. राइस ब्रैन तेल दूसरे खाने वाले तेलों के मुकाबले कई स्तरों पर बेहतर है.

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